रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 4 सितंबर।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा आयोजित पर्युषण महापर्व के अंतर्गत आध्यात्मिक प्रवचनमाला के चौथे दिन “वाणी संयम दिवस” पर प्रवचन करते हुए मुनि सुधाकर ने कहा – शब्द संसार के रचयिता हम स्वयं है। शब्दों में अद्भुत शक्ति होती है। ये हम पर निर्भर करता है, हम उस शक्ति से कौन सा इतिहास लिखते है नायक या खलनायक का। एक शब्द स्वर्ग जैसा नजारा बता सकता है, वही एक शब्द नरक से बदतर हालात भी पैदा कर सकता है। सच कहा गया है – पत्थर तो हड्डियां तोड़ते है पर शब्द तो दिल भी तोड़ देते हैं।
मुनिश्री रायपुर स्थित श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में जय समवशरण में विशाल जनमैदनी को संबोधित कर रहे थे। मुनिश्री ने आगे कहा- वाणी में सत्यता, उच्चता, उत्कृष्टता, सौम्यता और मधुरता का समावेश होता चाहिए। याद रखे- “बन्दुक से निकली गोली और मुंह से निकली बोली” अपना परिणाम लेकर ही वापस लौटती है। मुनिश्री ने भगवान महावीर की भव परम्परा का भी विवेचन किया।
मुनिश्री ने आगे कहा- वाणी के द्वारा व्यक्तित्व की पहचान होती है। वाणी में हो मिठास, माधुर्य तो व्यक्ति लोकप्रिय बन जाता है। वाणी संयम के लिए वाणी को दृष्ट, मिष्ट और शिष्ट बनाए । वाणी ऐसी हो जो किसी के दिल को चीरे नहीं, दिल में शान्ति की फुआर बहाए। वाणी के द्वारा हर समस्या का समाधान संभव है। मुनिश्री ने आगे कहा- कब, कहाँ, कैसे, क्यों कितना बोलना बोलने से पूर्व इस पर भी चिन्तन करना चाहिए। मुनिश्री नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। मंगलाचरण तेरापंथ महिला मण्डल ने किया।