सूरत(अमर छत्तीसगढ) , 4 सितम्बर। पर्युषण आत्मा को पावन एवं पवित्र बनाने का अवसर है। मानसिक शांति के बिना परिवार कभी खुशहाल नहीं हो सकता। अपने मन को हो नहीं घर को भी मंदिर माने। नमस्कार या वंदन हमारी संस्कृति एवं परम्परा है जिसे कभी नहीं भूलना चाहिए।
ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आठ दिवसीय आराधना के चौथे दिन बुधवार को खुशहाल परिवार जीवन का आधार विषय पर प्रवचन में व्यक्त किए। मधुर व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि पहले घर छोटे ओर सदस्य ज्यादा होते थे फिर भी सभी प्रेम से साथ रहते थे।
अब घर बड़े ओर सदस्य कम हो गए फिर भी शांति नहीं है। घर बड़े ओर दिल छोटे होते जा रहे है। पहले मकान कच्चे ओर रिश्ते पक्के होने से कभी वृद्धाश्रम शब्द ही नहीं सुना गया था। अब मकान पक्के ओर रिश्ते कच्चे होने से वृद्ध माता-पिता को भी संताने वृद्धाश्रम में भेजने में संकोच नहीं करती।
बेटियां अपने माता-पिता के समान अपने सास-ससुर का भी आदर-सम्मान करे ओर सास-ससुर अपनी बेटी के समान प्रेम बहु को भी दे तो वृद्धाश्रम की जरूरत ही नहीं रहेगी ओर परिवारों में खुशहाली का वातावरण हो जाएगा। धर्मसभा में तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कहा कि मां जैसी जन्नत ओर पिता जैसा साया ओर कहीं नहीं मिलता।
घर में सुख-शांति का वातावरण चाहिए तो बच्चों को बचपन से ही धर्म से जोड़ना होगा। खुशहाल परिवार के लिए जरूरी है कि परिवार के साथ वक्त बिताए, एक-दूसरे से संवाद रखे ताकि समस्या का समाधान हो सके, परिवार के सदस्यों की तारीफ करते रहे, एक-दूसरे के प्रति विश्वास व समपर्ण भाव रखे ओर हर मुश्किल में एक-दूसरे का साथ निभाएं। यदि हम ऐसा कर पाएंगे तो हमारे परिवार से खुशियां कभी गायब नहीं होगी।
शुरू में पूज्य आगममर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्री म.सा. ने अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचन करते हुए कहा कि ज्ञान तभी फलता है जब व्यक्ति में विनय का गुण होता है। श्रीकृष्ण भगवान इसके प्रतीक है तो तीन खण्ड के नाथ होने के बावजूद विनम्रता का गुण रखते थे। उन्होंने अतंगड़ सूत्र के चौथे वर्ग के दस अध्ययन पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने श्रीकृष्ण भगवान से जुडे़ जीवन प्रसंगों की चर्चा की।
सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भजन ‘‘स्वर्ग से सुंदर सपनों से प्यारा होता है परिवार’’ की प्रस्तुति दी। दोपहर में कल्पसूत्र वांचन पूज्य हिरलप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से हुआ। पर्युषण में आठ दिवसीय अखण्ड नवकार महामंत्र जाप भी जारी है।
पर्युषण में प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे से अंतगड़ सूत्र का वांचन, सुबह 9.30 बजे से प्रवचन एवं दोपहर 2 से 3 बजे तक कल्पसूत्र का वांचन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं सूर्यास्त से प्रतिक्रमण हो रहा है। पर्युषण के पांचवे दिन गुरूवार को आधुनिक नहीं आध्यात्मिक बने विषय पर प्रवचन एवं दोपहर में हाव-भाव प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
छाई महावीर जन्म की खुशियां,उल्लास व भक्ति के माहौल में दी बधाईयां
महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में बुधवार दोपहर में भगवान महावीर स्वामी का जन्मोत्सव उल्लास के माहौल में मनाया गया। साध्वी हिरलप्रभाजी म.सा. द्वारा कल्पसूत्र वाचन किया जा रहा है। इसके तहत भगवान महावीर जन्मप्रसंग का वाचन होने के साथ भक्ति व उत्साह के माहौल में जन्मोत्सव मनाया गया। उन्होंने भगवान महावीर जन्म प्रसंग सुनाया।
इसके बाद श्रीसंघ द्वारा महावीर जन्मकल्याणक उत्सव मनाया गया। जन्म के बाद पालने में शिशु वर्धमान को झुलाने के लिए भक्तों में होड लग गई। राजसी वेशभूषा में इस तरह जन्मोत्सव का मंचन हुआ कि महावीर भवन कुण्डलपुर नगरी प्रतीत हुआ। भगवान महावीर का जन्म होते ही बजे कुण्डलपुर में बधाई कि नगरी में वीर जन्में महावीरजी जैसे भजन प्रस्तुत करते हुए बधाईयां दी गई।श्रावक श्राविकाएं महावीर भक्ति के रंग में डूब गए। राजसी पालने में भगवान महावीर को झूला झुलाने की होड लग गई।
पर्युषण में लग रहा तप त्याग का ठाठ
पर्युषण में जप,तप व भक्ति का माहौल बन चुका है। पर्युषण के साथ ही कई श्रावक-श्राविकाएं तपस्या के पथ पर गतिमान है। सुश्राविका भारती कावड़िया ने पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से सात उपवास के प्रत्याख्यान लिए। तेला,बेला, उपवास,आयम्बिल, एकासन, दया व्रत आदि तप के भी प्रत्याख्यान लिए गए। साध्वी मण्डल ने सभी तपस्वियों के प्रति मंगलभावना व्यक्त की। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के उपाध्यक्ष राकेश गन्ना ने किया।
आज की प्रभावना के लाभार्थी कुशालराजजी, पारसमलजी, रमणीक कुमारजी चौपड़ा परिवार मेड़तासिटी वाले रहे। धर्मसभा में 11 लक्की टॉकन के लाभार्थी पवनकुमारजी हिंगड़ जुणदा वाले रहे। सिल्वर कॉइन के लाभार्थी नवयुवक मण्डल अध्यक्ष मुकेशकुमार नाहर पाटनवाले रहे। धर्मसभा में राजकीय अतिथि के रूप में सूरत के डिप्टी मेयर श्री नरेन्द्रजी पाटील, क्षेत्र के नगरसेवक श्री अमितकुमारजी राजपूत, नगरसेविका श्रीमती वर्षाजी बल्दानिया भी मौजूद रहे। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के उपाध्यक्ष राकेश गन्ना ने किया।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627