रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 6 सितंबर। सामायिक स्वाध्याय के मार्गदर्शक जैन मुनि श्री शीतलराज ने कहा आज के आधुनिक युग में बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देना जरुरी है। मां यह काम कर सकती है उन्होंने कहा जैन साध्वी चंदन बाला की तरह मां बनकर ही किया जा सकता है।
उन्होंने आज लोगों को अहिंसा के बदले हिंसा से जुड़े रहने पर कहा घर की व्यवस्था काम वाली बाई देखती है बाजार से जो खाने-पीने की सामग्री लाते है वह हिंसा से ओत-प्रोत रहती है। महिलाएं अपनी जिम्मेदारी भूल गई। बच्चों को संस्कार भी नहीं दे पा रही है। आज जरुरत है चंदन बाला को जीवन में उतारने की बच्चों को ऐसा ज्ञान सिखाओं सिर्फ स्कूल की पढ़ाई नहीं संस्कार से भी शिक्षित करें।
संस्कार बिना पढ़ाई बेकार है जैन धर्म सिखाता है।
वीर वंदना के साथ अपना प्रवचन शुरु करते हुए शीतलराज मसा ने कहा सबसे बड़ा ज्ञान संस्कार बच्चों को देना है। एक मां 100 शिक्षक के बराबर है आज की मां को शिक्षा के साथ संस्कार दें लेकिन संस्कार नहीं दे पाती। भटको मत बच्चों को लेकर बिना पुण्य को बढ़ाए समय से पहले कुछ नहीं होगा। बच्चा पुण्य शाली होगा तो सब कुछ करेगा। महावीर की वाणी सुनकर मां 100 शिक्षक बना सकती है। महिलाएं घर हुकुम चलाती है हाथ से काम नहीं होता। उन्होंने कहा भाव शुद्ध हो तो सब ठीक शालिभद्र का उदाहरण दिया।
सामायिक स्वाध्याय के प्रेरणाश्रोत मार्गदर्शन में आगामी 29 सितम्बर को अखिल भारतीय सामायिक संघ द्वारा विशाल सामायिक स्वाध्याय का आयोजन मानस भवन में किया जा रहा है। भवन के ऊपर नीचे हाल में साधकों की व्यवस्था की जावेगी। फिर भी स्थाना भाव हुआ तो नगर के पटवा भवन सहित कुछ अन्य भवनों में श्रावक श्राविका अपने सुविधा अनुसार वहां भी सामायिक स्वाध्याय आयोजन में भाग लेने जा सकते है।
सामायिक स्वाध्याय का अमोध शस्त्र वचन सुहिधारी शीतल मुनि के सानिध्य में गत डेढ़ माह से मानस भवन में धर्म मय तप तपस्या के वातावरण में छत्तीसगढ़ के साथ ही 50 से अधिक मध्यप्रदेश, राजस्थान के भी श्रावक-श्राविका पहुंचकर पिछले एक सप्ताह से से नियमित रुप से दया संवर प्रतिक्रमण सामायिक में भाग ले रहे है।
शीतल मुनि अपने प्रवचनों में कहते है कि जीवन में चिरशांति का राजमार्ग, संभवपूर्वक, ज्ञान आदि प्राप्ति के साथ ही सभी साधनाओं के आधार सामायिक से संभव की साधना हिंसा से डरकर अहिंसा के पास ले जाने आत्मशोध का रिसर्च मानवता के पूर्ण विकास का सर्वोच्च साधन मुक्ति का महामार्ग जैनत्व की पहचान, आत्मा का दर्शन, युवको का पुरुषार्थ, नारी का श्रंृगार, आत्मा की खुराक, वितरागता का दर्शन, जैनत्व की पहचान यही सब तो सामायिक स्वाध्याय में है।
वैसे भी सामायिक स्वाध्याय के प्रमुख प्रणेता हस्तीमल जी मसा रहे है जिनकी प्रेरणा के साथ शीतल मुनि भी देशभर में लाखों लोगों के सामायिक स्वाध्याय से जोड़ रहे है।
शीतल मुनि ने अपने प्रवचन में यह भी कहते है कि एक सामायिक करने से 92 करोड़ 59 लाख 925 पल्योपम से अधिक नारकी का आयुष्य क्षय कर देव आयुष्य का उपार्जन होता है। भगवान महावीर ने सामायिक का मूल्य राजा श्रेणिक को बताया सामायिक से धर्म धन, शील, तप एवं भाव धर्म का पालन होता है।
इससे लाभ का अंत नहीं है। इसके प्रारंभ करने से उसमें स्वाध्याय जप-तप, ध्यान, संयम, भावना इत्यादि की वृद्धि होती है। इसको करते समय 32 दोषो से बचना होता है। शीतलराज मुनि के सानिध्य में देशभर में लगभग 9 अखिल भारतीय सामायिक स्वाध्याय संघ द्वारा क्रमश: इंदौर, उज्जैन, बैतुल, रायपुर, बालाघाट, दुर्ग, नागपुर, जयपुर, धार इत्यादि में संपन्न हो चुका है।
रायपुर में दूसरी बार यह आयोजन हो रहा है। शीतल मुनि द्वारा देश के राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तनिलनाडु सहित कई प्रदेशों में शीतल मुनि द्वारा प्रेरित जैन समाज धार्मिक पाठ शालाएं संस्थाएं भी संचालित कर रहा है। अखिल भारतीय सामायिक 29 सितम्बर को रायपुर में भी आयोजित है। जिसकी तैयारियां चल रही है। जिसकी जानकारी व मार्गदर्शन स्वयं शीतल मुनि से आयोजक प्राप्त कर रहे है। श्रावक सुरेश जैन ने भी कुछ जानकारियां भी दी। सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने उपस्थितजनों का तप तपस्या वालों का पचखान कराया।
अंतगडदसांग सूत्र यक्षोन्मादी अर्जुन माली के अर्जुन बनने पर सूत्र के 5 से 15 अध्ययन की जानकारी देते हुए इंदौर के अतिथि व वाचक बंधुओं ने कहा अर्जुन मुनि को राज गृह नगर में छोटे-बड़े मध्यम कुलो में भिक्षार्थ घूमते देखकर नगर के अनेक स्त्री पुरुष, बच्चों वृद्धों युवा बोले अर्जुन माली ने कितने माता-पिता, भाई-बहन, पुत्र-पुत्रियों को मारा।
इसमें अनेक अमुक स्वजन संबंधी परिजनों को मारा है। ऐसे कहकर कोई आक्रोशित कोई गाली देता, कोई निंदा करता, कोई हाथ बताकर तर्जना करता, कोई थप्पड़ ईट-पत्थर से मारने लगा। प्रतिकार कर सकने की स्थिति में होते हुए भी क्षमा भाव धारण करते हुए उन परिषहो को झेल लेते एवं निर्जरा का लाभ समझते रहे। वाचक ने अर्जुन मुनि द्वारा भिक्षार्थ का वर्णन किया। अर्जुन मुनि ने जिस काम के लिए संयम ग्रहण किया उसे सफल किया।
वे अर्जुन अनगार यावत सिद्ध हुए वाचक ने कहा धर्म संस्कार से विमुख होने वाले बच्चों को साधु साध्वियों के सानिध्य में लाएं तप तपस्या संस्कार आराधना साधना में जाए। आज पर्युषण पर्व का छठवां दिन संयम दिवस है। अर्जुन माली के मामले में दृष्टांत पुणवानी जाग जाए तो कल्याण होते देर नहीं लगती। समय बलवान होता है मनुष्य नहीं पाप से डरो पापी से नहीं। उन्होंने अति मुक्त कुमा के बारे में भी जानकारी दी तथा वाचकों ने उपस्थितजनों से आज के प्रसंग का प्रश्नावली के माध्यम से जानकारी का आदान-प्रदान किया।