नेहरू नगर में पर्युषण पर्व का अंतिम दिन शनिवार को संवत्सरी प्रतिक्रमण…. जाप कैसे, कहां और कब करें, पूरी प्रक्रिया की जानकारी गुरु से कर लेनी चाहिए (वैशाली नगर)…. मनुष्य मन से मांगना, चाहना, इच्छा करना, अभिलाषा, आकांक्षा, लालसा, वासनात्मक का त्याग करना चाहिए (टिकरापारा)

नेहरू नगर में पर्युषण पर्व का अंतिम दिन शनिवार को संवत्सरी प्रतिक्रमण…. जाप कैसे, कहां और कब करें, पूरी प्रक्रिया की जानकारी गुरु से कर लेनी चाहिए (वैशाली नगर)…. मनुष्य मन से मांगना, चाहना, इच्छा करना, अभिलाषा, आकांक्षा, लालसा, वासनात्मक का त्याग करना चाहिए (टिकरापारा)

जैन उपाश्रय टिकरापारा, वैशाली नगर एवं नेहरू नगर में हो‌ रहे पर्यूषण पर्व पर धार्मिक आयोजन

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 6 सितंबर। श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2024 के कार्यक्रमों में शुक्रवार को बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए । दिन भर पूजा-पाठ कई धार्मिक आयोजन होते रहे । नेहरू नगर में पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन शनिवार को होगा । जिसमें प्रतिक्रमण दोपहर से नेहरु नगर में मंदिरमार्गी और स्थानकवासीयो का मिनोचा कॉलोनी में होगा ।


पर्युषण महापर्व के सातवें दिन नेहरू नगर में पूजन वेशभूषा धारण कर स्तवन कुलनायक पूजा, शांति कलश पूजा, मंगल दीपक सहित कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । समाज की श्रीमती ज्योति चोपड़ा, श्रीमती शोभा मेहता एवं श्रीमती पुष्पा श्रीश्रीमाल द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया ।
इस अवसर पर विमल चोपड़ा, नरेंद्र मेहता, रूपेश गोलछा, योगेश चोपड़ा, सुभाष श्रीश्रीमाल, अमित, संजय छाजेड़, अमरेश जैन, रवीन्द्र जंदानी, अमित गोलछा सहित समाज के लोग उपस्थित थे ।

जाप कैसे, कहां और कब करें, पूरी प्रक्रिया की जानकारी गुरु से कर लेनी चाहिए (वैशाली नगर)

पर्युषन पर्वाराधना के छट्ठे दिन जाप दिवस के दिन उपासिका बहनों ने प्रातः कालीन प्रवचन के दौरन जाप के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि व्यक्ति जो बनना चाहता है उसकी स्मृति दिलाए ऐसे शब्द को दोहराना जप है ।जप का प्रयोजन है देव आराधना, विघ्न निवारण ,आत्म आराधना, पवित्रता की वृद्धि इत्यादि कोई भी जाप कैसे, कहां और कब करें, इसकी पूरी प्रक्रिया की जानकारी गुरु से कर लेनी चाहिए। कौन से मंत्र का चुनाव करें यह अपने ध्येय पर निर्भर करता है। जिसे आत्मा की आराधना करनी है वह आत्मा के अनुकूल मत्रों का चुनाव करता है जिसे स्मृति और बुद्धि का विकास करना है उसे सरस्वती मंत्र का चुनाव करना चाहिए।
भगवान महावीर के जीवन वर्णन में आज गौशालक, कटपूतना व्यंतरि इत्यादि का प्रसंग चला। संगम देव के प्रसंग के बारे में बताते हुए कहा कि किस प्रकार संगम ने भगवान को 6 महीने तक माराणांतिक कष्ट दिए और भगवान ने समभाव से उनको सहा। अंत में जब संगम ने पूछा कि मैं आपको कैसा लगता हूं तो भगवान महावीर ने कहा कि संगम कोई व्यापारी जो परदेश में कमाई कर रहा हो और उसे अपने घर जाना हो और एक दलाल उसके सारे माल को सवाये दामों पर जल्द ही बिकवा दे तो वह व्यापारी को कैसा लगेगा । तब संगम ने उत्तर दिया कि वह दलाल तो उस व्यापारी को अच्छा ही लगेगा ।

भगवान महावीर ने जवाब दिया इसी तरह संगम तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो क्योंकि मुझे तो कर्मों को खपाना ही था और मोक्ष जाना था। तुमने जल्दी मेरे कर्मों को खपा दिया इसलिए तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो।साथ ही आज 11 गणधरों की कथाओं का विवेचन हुआ और साथ ही अमर कुमार, अभय कुमार नन्दीषेण के बारे में कथा के माध्यम से बताया गया।

मनुष्य मन से मांगना, चाहना, इच्छा करना, अभिलाषा, आकांक्षा, लालसा, वासनात्मक का त्याग करना चाहिए (टिकरापारा)

आज के प्रवचन में जागृति दीदी एवम जिन्ना दीदी के द्वारा बताया गया कि मनुष्य को अपने मन से मांगना, चाहना, इच्छा करना, अभिलाषा करना, आकांक्षा करना, लालसा करना, कामना करना, वासनात्मक कामना करना, और किसी चीज का मनोरथ करने कि भावना को हमेशा त्याग करना चाहिए ब्रेक लगाना चाहिए, मन में ऐसे ख्याल आने से रोक लगाना चाहिए। क्योंकि ऐसी भावना होने से जीवन में खुशहाली नहीं रहती आनंद नहीं रहता कठिनाइयां ही कठिनाइयों रुकावट ही रुकावट रहती है। इसलिए मनुष्य को अपने मन वचन काया को कंट्रोल मे रखना चाहिए।


आगे बताया गया कि हमारे द्वारा कोई भी तप,त्याग, उपवास, एकासना, किया जाता है तो उसका गुरू से पचखान ( प्रतिज्ञा )लेना जरूरी है पचखान दो तरह के होते हैं । प्रवृत्ति का पचखान और निवृत्ति का पचखान। पचखान लेने से उस तप, त्याग, उपवास, एकासना करने में भगवान की दया, करुणा और सुरक्षा प्राप्त होती है। समाज में पांच लोगों के द्वारा तप किया जा रहा है । जिसमें पूनम बेन तेजाणी को 28 वा, आरुषि बेन सुतारिया 6वा, मिशिका बेन कामदार 6वा, सिया दोषी को 6वा, लिशा कामदार को 6वा तप है। सभी तपस्वी सुखसता में है सभी तपस्वियों को जैन समाज के तरफ से अनुमोदना करते हैं खूब खूब धन्यवाद देते हैं।

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