(सूरत गुजरात) संवत्सरी का यहीं संदेश मिटाए, क्षमादानी बन मिटाए सभी तरह के वैर विरोध- इन्दुप्रभाजी मसा… शुद्ध भावों से संवत्सरी की आराधना करने पर जीवन का कल्याण-दर्शनप्रभाजी मसा

(सूरत गुजरात) संवत्सरी का यहीं संदेश मिटाए, क्षमादानी बन मिटाए सभी तरह के वैर विरोध- इन्दुप्रभाजी मसा… शुद्ध भावों से संवत्सरी की आराधना करने पर जीवन का कल्याण-दर्शनप्रभाजी मसा

सूरत(अमर छत्तीसगढ) 8 सितम्बर। मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आठ दिवसीय आराधना के अंतिम दिन रविवार को संवत्सरी महापर्व की आराधना हुई। तपस्या, साधना व भक्ति की ऐसी अविरल त्रिवेणी धारा प्रवाहित हुई जिसमें सरोबार होकर हर कोई स्वयं को धन्य महसूस कर रहा था। संवत्सरी पर तप त्याग का ठाठ रहा तो जिनवाणी श्रवण करने के लिए भी गोड़ादरा-लिम्बायत सहित सूरत व आसपास के क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएं उमड़े।

महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमारा पर्युषण पर्व मनाना ओर संवत्सरी की आराधना करना तभी सार्थक होगा जब हम अपने मन के वैर विरोध को मिटाएंगे ओर सभी तरह का वैर भाव समाप्त कर दुश्मन से भी मित्रवत व्यवहार करते हुए क्षमायाचना करेंगे। सच्चे मन से की गई क्षमायाचना सभी वैर समाप्त कर देती है। उन्होंने पर्युषण पर्व की समाप्ति के बाद भी धर्म साधना से जुड़े रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हमे अपना धर्म चातुर्मास या आठ दिन तक सीमित नहीं कर लेना चाहिए।

पर्युषण पर्व की समाप्ति के बाद भी जब तक चातुर्मास चले तब तक धर्मस्थान पर जाकर संत-साध्वियों के मुखारबिंद से जिनवाणी सुनने का संकल्प अवश्य ले। पर्युषण का अर्थ यह नहीं होना चाहिए कि हमारे धर्म हो गया अब अगले पर्युषण तक कुछ नहीं करना है। धर्म की आराधना तो सतत चलती रहनी चाहिए तभी जीवन का कल्याण होगा।

मधुर व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका दर्शनप्रभाजी म.सा. एवं तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने संवत्सरी पर्व पर क्षमा के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि संवत्सरी पर्व मना क्षमायाचना करना तभी सार्थक होगा जब हम अपने मित्रों से नहीं जिनसे वैर-विरोध है उनसे क्षमायाचना करेंगे।

हम पापी से नहीं पाप से नफरत करनी है। जो हमारे विरोधी है उनसे पहले क्षमायाचना करनी है ताकि वैर अनुबंध समाप्त होकर सभी के प्रति मैत्री भाव कायम हो सके। सच्चे मन से जो संवत्सरी की आराधना कर लेता है उसके जीवन का कल्याण हो जाता है। साध्वी दीप्तिप्रभाजी एवं हिरलप्रभाजी ने क्षमा के महत्व व तपस्वियों की अनुमोदना में भजनों की प्रस्तुति दी।

अंतगड़ दशांग सूत्र श्रवण करने वालों ने लिया तप का संकल्प

पर्युषण के अंतिम दिन सुबह 8.30 बजे से अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचना पूज्य आगममर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्री म.सा. के मुखारबिंद से सम्पन्न हुई। उन्होंने कहा कि आर्य सुधर्मास्वामी से उनके शिष्य आर्य जम्बूस्वामी पूछते है कि आठवें अंग सूत्र में परमात्मा प्रभु महावीर ने क्या फरमाया ओर किस विषय का प्रतिपादन किया। उस समय सुधर्मास्वामी ने अपने मुखारबिंद से जो फरमाया वही अंतगढ़ दशांग सूत्र के अंदर है। इस आठवें अंग में प्रभु महावीर ने आठ वर्ग का प्रतिपादन किया जिनमें 90 अध्ययन है। प्रत्येक अध्ययन में एक-एक अंतकृत केवली (सिद्धात्मा) का वर्णन है जिनका इन आठ दिन में वांचन हुआ।

वांचन सम्पन्न करने के बाद उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं को संकल्प कराते हुए कहा कि आगम श्रवण करने का ऋण हम तप के माध्यम से एक वर्ष में आगामी पर्युषण से पूर्व उतारना है। पर्युषण अवधि में प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक पूज्य आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से हो रहा कल्पसूत्र वांचन भी संवत्सरी पर सम्पन्न हुआ। इसमें कल्प सूत्र के विभिन्न प्रसंगों को सुनाने के साथ उनके महत्व व प्रभाव के बारे में चर्चा की गई।

पर्युषण में लग गया तपस्याओं का ठाठ

पर्युषण में जप,तप व भक्ति का माहौल बन चुका है। पर्युषण के साथ ही कई श्रावक-श्राविकाएं तपस्या के पथ पर गतिमान है। सुश्राविका भारती कावड़िया ने अनुमोदना के जयकारो की गूंज के बीच पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से 11 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने नौ,आठ,पांच, तेला,बेला, उपवास,आयम्बिल, एकासन, दया व्रत आदि तप के भी प्रत्याख्यान लिए गए। पर्युषण में करीब 350 दया, 300 एकासन, 20 आयम्बिल, 31 अठाई या इससे बड़ी तपस्या, 60 तेला, 200 उपवास सहित विभिन्न प्रकार के तप त्याग का ठाठ रहा। साध्वी मण्डल ने सभी तपस्वियों के प्रति मंगलभावना व्यक्त की। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के उपाध्यक्ष राकेशजी गन्ना ने किया।

विभिन्न परिवारों ने लिया धर्म प्रभावना का लाभ

धर्मसभा में आज के 15 लक्की टॉकन के लाभार्थी अभिषेककुमारजी खाब्या परिवार आकड़ासादा वाले रहे। सिल्वर कॉइन के लाभार्थी नवयुवक मण्डल अध्यक्ष मुकेशकुमारजी नाहर पाटनवाले रहे। इसी तरह 11 लक्की टॉकन सिल्वर के लाभार्थी लुणकरणजी कोठारी परिवार मेड़तासिटी वाले, 15 लक्की टॉकन के लाभार्थी पीयूषकुमार डांगी परिवार रहा। सोमवार को सामूहिक क्षमायाचना व पारणा के लाभार्थी शांतिलालजी विशालकुमारजी डूंगरवाल परिवार थावला वाले, पारसमलजी, मोनूकुमारजी, सोनूकुमारजी कावड़िया परिवार शंभूगढ़ वाले होंगे।

आज की प्रभावना के लाभार्थी गेहरीलालजी कमलेशकुमारजी रातड़िया, मनोहरलालजी हगामीलालजी गन्ना ताल वाले, कुशलकुमारजी रोहितकुमारजी चपलोत रूद वाले रहे। आठ दिन पर्युषण पर्व पर नवकार महामंत्र के अखण्ड जाप की तस्वीर के लाभार्थी राजेशकुमारजी अखिलेशकुमारजी मयंकुमारजी सुराणा परिवार सहाड़ा वाले रहे। अखण्ड जाप के कलश के लाभार्थी मनोहरलालजी आशीषकुमारजी चौरड़िया परिवार किशनगढ़ वाले रहे। कलश की बोली एक लाख 35 हजार रूपए एवं तस्वीर की बोली 33 हजार में छूटी।

प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627

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