अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ) 3 नवम्बर। जो इंसान सांसारिक सुखों व भोग के पीछे भागते है वह कभी संसार सागर से पार नहीं हो सकते ओर जन्म-जन्मांतर के बंधन में जकड़े रहते है। आत्मा को भवसागर से पार कराना है तो भौतिक सुख छोड़ धर्म के साथ स्वयं को जोड़ना होगा। धर्म की आराधना के बिना जीवन का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकता।
ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा. ने रविवार को श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में अंबिका जैन भवन आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जो धर्म की क्रिया करता है वहीं सनाथ होता है। सुख-दुःख के कहीं ओर से नहीं हमारी आत्मा व कर्मो से आता है। धर्म की राह पर चलकर भगवान की आराधना करने वाले का जीवन सार्थक हो जाता है।
मधुर व्याख्यानी श्री हितेशमुनिजी म.सा. ने कहा कि इस सृष्टि में हर कोई नाथ नहीं बन सकता। नाथ वहीं कहला सकता जो केवल अपनी नहीं बल्कि छह जीव काय की रक्षा करें। जब तक हम अपने भीतर की तरफ नहीं झांकेंगे हमारा कल्याण नहीं हो सकता। जीवन में धन से अधिक महत्वपूर्ण धर्म है इसलिए धन छूट जाए तो दुःख नहीं करे लेकिन धर्म छूट जाए तो अवश्य दुःख की अनुभूति होनी चाहिए।
चंचल मन को एकाग्र करने के लिए धर्म की शिक्षा आवश्यक है। प्रार्थनार्थी श्री सचिनमुनिजी म.सा. ने कहा कि कुरितियों एवं अंधविश्वास पर जीवन में कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। ये हमारी समस्याओं का समाधान नहीं करके हमारे पाप कर्म का बोझ बढ़ाते है। भगवान महावीर के समय भी कुरितियों एवं पशुबलि आदि का बोलबाला था।
परमात्मा महावीर ने लोगों को इनसे बचने की प्रेरणा दी ओर सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन एवं सम्यक चरित्र रूपी त्रिरत्न प्रदान किए। ज्ञान के साथ इन त्रिरत्नों की आराधना करके स्वयं को नारकीय गति में जाने से बचाया जा सकता है। धर्मसभा में सेवारत्न श्री हरीशमुनिजी म.सा.,युवारत्न श्री नानेशमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
धर्मसभा में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सोजत के अध्यक्ष ललितकुमार पगारिया, गुरू मरूधर केसरी रूप सुकुन चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पदमचंद धोका, सोजत श्रीसंघ के महामंत्री राजूजी ओरीमुथा, कार्यकारिणी सदस्य उगमचंद कटारिया, सोजत के उद्योगपति माणकचंद चौहान, खवासपुरा श्रीसंघ के अमरचंद सुराणा, महावीरचंद कोठारी, अशोककुमार कोठारी, सोजत के गोलेच्छा परिवार के सदस्य सहित जैतारण,अहमदाबाद, सूरत,बेंगलौर सहित विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक श्राविकाएं भी मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन गौतमचंद बाफना ने किया।
प्रस्तुतिः अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627