सूरत(अमर छत्तीसगढ), 3 नवम्बर। श्रावक हो या संत सभी के जीवन में स्वाध्याय का बहुत महत्व है। स्वाध्याय करने से ज्ञानावरणीय कर्म की आराधना होती है। हमे जीवन में नियमित स्वाध्याय करने के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए यह धर्म के पथ से जोड़ने में सहायक होता है।
ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में रविवार को भाईदूज के अवसर पर चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित्र एवं पावन होता है। सुख दुःख में भाई बहन एक दूसरे की रक्षा करते है ओर आपस में सच्चे मित्र भी होते है जो मन की बात एक-दूसरे को बताते है। भगवान महावीर के बड़े भाई नंदीवर्धनजी ने अपनी बहन सुदर्शना की रक्षा की थी। ब्राह्मीजी ओर सुंदरजी द्वारा अपने भाई बाहुबली को मान रूपी अभिमान से नीचे उतारते ही उन्हें केवलज्ञान व केवलदर्शन हो गया।
रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि मुक्ति का जो मार्ग मनुष्य गति में मिलता है वह देव गति में भी नहीं है। देवता प्रत्याख्यान नहीं करा सकते पर्युपासना करा सकते है। भगवान के समोशरण की रचना देवता करते है। एक करोड़ देवता प्रतिपल उनकी सेवा में रहते है।
उन्होंने जीवन में अहंकार से बचने की नसीहत देते हुए कहा कि अहंकार ही इंसान के पतन की सीढ़ी है। अहंकारी मुर्दे के समान होता है जीवंत इंसान में विनय का गुण होना चाहिए। संतों के चरणों में श्रद्धाभाव पूर्वक आने से हमारा अहंकार नष्ट होता है ओर आचरण में सुधार आता है।
धर्मसभा में तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए कहा कि मनुष्य के अंदर जो अशुचिता भरी हुई है उसके निकलने के 9 द्वार है। इसका 11 अंग सुखविपाक सूत्र है। इसमें 10 आत्माओं का जिक्र किया गया है। मनुष्य के अंदर की गदंगी साफ हो जाए तो बाहर की गदंगी साफ होने में अधिक समय नहीं लगेगा। हमे बाहरी सफाई से अधिक जरूरत भीतर की सफाई करने की है। भीतर की सफाई ही आत्मा को निर्मल बनाती है।
धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ.चेतनाश्रीजी म.सा., सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। वैरागन समर्पिता ने भक्तामर व लोगस्स के पाठ सुनाए। एकासन, उपवास, आयम्बिल आदि तपस्याओं के भी प्रत्याख्यान लिए गए।
प्रवचन में 5 लक्की ड्रॉ, प्रश्नमंच एवं आज की प्रभावना के लाभार्थी स्व.नौरतबाईजी की पुण्यस्मृति में गोड़ादरा श्रीसंघ के मंत्री महावीरप्रसादजी नानेचा, अरविन्दजी नानेचा परिवार (संग्रामगढ़ वाले) रहे। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप भी हो रहा है। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन नवयुवक मण्डल के श्री अरविन्दजी नानेचा ने किया।
प्रस्तुति :अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा
मो.9829537627