प्रेक्षा वर्ष के अंतर्गत अर्हं मंत्र साधना कार्यशाला का आयोजन… अर्हं जैन धर्म का सर्वसिद्धि दायक मंत्र- मुनि रमेश कुमार

प्रेक्षा वर्ष के अंतर्गत अर्हं मंत्र साधना कार्यशाला का आयोजन… अर्हं जैन धर्म का सर्वसिद्धि दायक मंत्र- मुनि रमेश कुमार


राजविराज नेपाल(अमर छत्तीसगढ) 31 दिसम्बर। महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ सभा द्वारा “अर्हं साधना” विषय पर कार्यशाला का आयोजन स्थानीय तेरापंथ भवन में सोमवार की रात्रि में आयोजन किया गया जिसमें लगभग 50 भाई बहनों ने भाग लिया।

मुनि रमेश कुमार जी ने अर्हं मंत्र साधन का महत्व बताते हुए कहा – “अ” और “ह” वर्णमाला के आदि और अंतिम वर्ण है। इनके मध्य संपूर्ण भाषा का ज्ञान अभिव्यक्त होता है अतः अर्हम् का ध्यान करने वाला परमात्मा का ध्यान करता है। योग शास्त्र में आचार्य श्री हेमचंद्र जी ने “सर्वसिद्धि प्रदायकं अर्हं बीजमंत्रम्” बताया है। इस बीज मंत्र से संस्कारों को भी निर्माण होता है। इसलिए अर्हं जैन धर्म का सर्वसिद्धि दायक मंत्र है। अर्हं की सघन साधना से सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास संभव है। अर्हं से अनन्त अर्हता का विकास करने वाला तीर्थंकर कहलाता है।


मुनि रमेश कुमार ने “अर्हम् मुद्रा, स्पन्दन के साथ अर्हं की अनुभूति, नाद के साथ अर्हं की ध्वनि” का प्रशिक्षण देते हुए प्रयोग भी कराये।

मुनि रत्न कुमार जी ने भी इस अवसर पर प्रासंगिक विचार व्यक्त किये।

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