रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 11 जनवरी।
चीन में फैले ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस जिसे एचएमपीवी के नाम से भी जाना जाता है, के संक्रमण ने एक बार फिर दुनियां की पेशानी में चिंता की लकीरें खींच दी है। लोग कोविड-19 की भयावहता को याद कर सिहर रहें हैं। लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है, सोशल मीडिया में इसे अनावश्यक तूल दिया जा रहा है।
यह जानलेवा बिल्कुल नहीं है। प्रायः हर वर्ष वसन्त ऋतु में इसका संक्रमण होता है। भारत में भी इसके संक्रमण होने के कुछ मामले सामने आये हैं। मुख्यतः यह वायरस भी श्वसन तन्त्र को प्रभावित करता है, और सामान्य फ़्लू के समान सर्दी, खाँसी,बुख़ार, सिरदर्द, आदि लक्षणों को प्रकट करता है। इस वायरस की जानकारी वैज्ञानिकों को पच्चीस वर्ष पहले से ही है।
चीन का रवैया सकारात्मक और सहयोग का कभी रहता ही नहीं, इस बार भी वह इस संक्रमण के संबंध में पूरी और सही जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहा है। किसी भी वायरस के संक्रमण फ़ैलने की स्थिति में उससे बचाव के उपायों से अधिक प्रभावी उससे लड़ने के लिये स्वयं को तैयार करना होता है। और इसके लिये आवश्यक है शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता जिसे व्याधि क्षमत्व भी कहते हैं को मज़बूत बनाना।
रोग प्रतिरोधक क्षमता कोई दो-चार दिन में ही किसी संक्रमण से लड़ने योग्य नहीं हो जाती, अतः हमें चाहिए कि हम अपनी इम्युनिटी को हमेशा उच्चतम स्तर पर बनाये रखें। जिससे हम किसी भी वायरस के संक्रमण से अपने आप को सुरक्षित रख सके।
कुछ उपाय हैं:-
नाक और मुँह को अच्छी तरह से ढंकते हुए मॉस्क लगाना। हाथों को बार-बार साबुन से धोना।
संक्रमण की संभावना वाले स्थान एवं चीजों को सेनेटाइज करना। यथासंभव भीड़ से बचना। सामान्य से लगभग दुगना गरम पानी पीना। नाक और मुँह से दिन में तीन बार भाप लेना एवं नियमित प्राणायाम करना। कम से कम 8 घण्टे की नींद लेना।
विटामिन सी,डी और जिंक की गोली दिन में तीन बार नियमित लेना। नींबू, आंवला, लहसुन, कालीमिर्च, हल्दी, लौंग, इलायची,अदरक,गुड़ का किसी न किसी रूप में नियमित प्रयोग करना। गिलोय, अदरक, कालीमिर्च, दालचीनी, लौंग, इलायची, तेज़पत्र, का काढ़ा बनाकर पीना। एक-एक चम्मच च्यवनप्राश और दो-दो गोली गिलोय घन वटी का नियमित सेवन करना।
इन उपायों को अपनाकर हम किसी भी प्रकार के संक्रमण से अपना बचाव कर सकते हैं। क्योंकि इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ।इनके बावज़ूद यदि किसी चूक से संक्रमण हो भी गया तो बहुत संभावना है कि वह अधिक गम्भीर प्रकृति का नहीं होगा ।
अन्ततः एचएमपीवी का सामना हम धैर्य, संयम , अनुशासन और बताये गये उपायों से कर सकते हैं। याद रखिये किसी बीमारी से अत्यधिक भयग्रस्त रहने से भी इम्युनिटी कमज़ोर होती है, और रोग शमन में कठिनाई आती है। अतः बचाव के उपायों का पालन करते हुए शरीर को संक्रमण का सामना करने योग्य बनाना आवश्यक है।
डॉ हरीन्द्र मोहन शुक्ला
पंचकर्म विशेषज्ञ