(धनराज जैन)
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 13 जनवरी। जिला पंचायत सदस्य एवं कांग्रेस नेता महेंद्र यादव ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को टारगेट करके आरक्षण में कम लाभ दिया जा रहा है। इससे ओबीसी वर्ग सरकार से काफी नाराज है।
भाजपा सरकार ने जानबूझकर ऐसी हरकत की है। ताकि अन्य वर्गों को ज्यादा लाभ दिलाया जा सके यह अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ सरासर अन्याय है। 5 साल पहले के चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जितना आरक्षण था। उसे घटा दिया गया है। नाराज मतदाता विष्णुदेव साय नीत भाजपा सरकार को सबक सिखाने ठान चुके हैं।
श्री यादव ने आगे कहा कि कांग्रेस अपनी रीति नीति तथा पिछड़ा वर्ग का बराबर समुचित ध्यान रखती रही है। लेकिन भाजपा ने पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा की है। भाजपा की सरकार ने पूरे प्रदेश में षडयंत्र पूर्वक ओबीसी के आरक्षण में कटौती किया है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रावधानों किए गए दुर्भावना पूर्वक संशोधन के चलते अधिकांश जिला और जनपद पंचायतों में ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है। प्रदेश के जिला पंचायत और जनपदों में जहां पहले सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हुआ करती थी, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है। मैदानी क्षेत्रों में अनेकों पंचायतें ऐसी है जहां पर लगभग 90 से 99 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है लेकिन वहां पर भी ओबीसी के लिए सरपंच का पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में कम है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित ये सभी सीटें अब सामान्य घोषित हो चुकी है। साय सरकार के द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए दुर्भावना पूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था, वह अब सामान्य सीटे घोषित हो गई है। इस सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय (त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय) चुनाव में आरक्षण के प्रावधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है उसके परिणाम सामने हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए जिला पंचायत, जनपद पंचायत, सरपंच और पंचों के आरक्षण में ओबीसी के हक और अधिकारों में बड़ी डकैती इस सरकार ने की है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के बदनियति से चलते अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण के संदर्भ में साय सरकार ने जो दुर्भावना पूर्वक संशोधन किया है वह ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय है, अत्याचार है। भारतीय जनता पार्टी का मूल चरित्र ही आरक्षण विरोधी है, जब ये विपक्ष में थे तब विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक को रोका जिसमें अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 से बढ़कर 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था, 2 दिसंबर को पारित यह विधेयक भाजपा के षडयंत्रों के चलते ही आज तक राजभवन में लंबित है। अब स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण के नियमों में बदलाव करके ओबीसी अधिकारों में दुर्भावना पूर्वक कटौती किया गया है।