राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 4 फरवरी/ छत्तीसगढ़ साहित्य समिति और कस्तूरबा महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में बसंत पंचमी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती पूजन सहित बगरो- बसंत पर साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
इस दौरान सुविख्यात पंडवानी गायिका तरुणा साहू द्वारा मां वीणावादन के चरणों में पंडवानी के सुरों से लोक रंगी कला पुष्प अर्पित किया गया। रेल्वे सुरक्षा बल अधिकारी श्रीमती साहू की पंडवानी सुनने बड़ी संख्या में कस्तूरबा की समाज सेवी महिलाए एवं कवि/ साहित्यकारों की उपस्थिति रही।
बसंत पंचमी पर आयोजित, कस्तूरबा व साहित्य समिति के इस आयोजन में मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमती रत्ना ओस्तवाल जी ने सरस्वती पुत्र कहे जाने वाले मूर्धन्य साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी और महादेवी वर्मा जी के वृतांत को सुनाकर आयोजन को जीवंतता प्रदान की वहीं कृषि विस्तार अधिकारी व कवयित्री सुषमा शुक्ला ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की यशोधरा कविता की तरह “मैं बुद्ध नहीं यशोधरा बनना चाहती हूं”,, कविता सुनाकर नारी पीड़ा को व्यंजित किया ।
इस दौरान साहित्य समिति के अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक वरिष्ठ कवि साहित्यकार एवं लोक कला धर्मी आत्माराम कोशा “अमात्य” ने “ढर जाए जे आंसू ते मोती,, जम जाए ये बज्रा हीरा ये”,, सुनाकर छत्तीसगढ़ की दया- मया- पीरा का सुमधुर बखान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कमला कालेज के प्रोफेसर डॉ कृष्ण कुमार दीक्षित ने ऋतु राज बसंत के आगमन के संदर्भ में कामदेव के अनंग होने की कथा सविस्तार बताई और सबको बसंत पंचमी की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
वर दे,,,वीणा वादिनी वर दे
कार्यक्रम में कवयित्री अनिता जैन ने निराला जी की “वर दे वीणा वादिनी” कविता पाठ से वहीं कवि लखन लाल साहू “लहर” ने अपनी “बसंत आगे,, तुलसी के पाना हरियागे,,रचना से बासंती आयोजन में रंग भरे।
ग्रामीण क्षेत्र से पधारे कवि आनंद राम सार्वा ने प्रासंगिक विषय “बगरो बसंत” पर छत्तीसगढ़ी में रचना सुना कर आनंदित किया वहीं पवन यादव पहुना ने श्री निराला पर सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत कर वाहवाही पाई।
इस दौरान कवयित्री माया अग्रवाल ने अपनी रचना पाठ में बासंतिक परिवेश को छुआ वहीं कवि/ साहित्यकार एवं फिल्म निर्माता अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा ने “देखो बसंत आया । प्रीत जगा दिल में” कविता सुनाकर वाहवाही पाई।खतरे में है कुर्सी साहित्य समिति के उपाध्यक्ष गिरीश ठक्कर “स्वर्गीय” ने “कुर्सी खतरे में है”,, सहित विभिन्न क्षणिकाएं सुनाकर तालियां बटोरी, वहीं कार्यक्रम का विभिन्न रसमयी क्षणिकाओं के साथ संचालन कर रहे कवि शैलेश गुप्ता की सुपुत्री नवोदित वसुधा गुप्ता ने अपनी चुटीली रचना पाठ से प्रशंसा पाई ।
साहित्य समिति के सचिव कथाकार मानसिंह मौलिक ने “महुआ संग मस्ती में डूबे, पलाश बिखेरे रंग”,,सुनाकर तालियां बटोरी वहीं समाज सेवी श्रीमती किरण अग्रवाल ने बसंत पंचमी पर विद्यारंभ संस्कार की महत्ता बताते हुए तथा श्रीमती माला शुक्ला द्वारा अपने प्रेरक काव्य- पाठ से उपस्थितों को बासंती काव्य रंग में सराबोर किया।
इस दौरान चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शरद अग्रवाल व आशीष जयकिशन चितलांग्या ने बसंत पंचमी पर सबको बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए बासंती आयोजन की सराहना की। श्रीमती तरुणा साहू के सुमधुर पंडवानी गायन में हारमोनियम पर संगत चतुर दाऊ ने की वहीं तबले पर अपना जौहर मनहरण साहू “मनु” ने दिखाया। रागी की भूमिका में नत्थन दास जी व बिसराम साहू छाए रहे।
वासंती काव्यायोजन की शुरुआत कस्तूरबा की अध्यक्ष श्रीमती अलका जानी, श्रीमती रत्ना ओस्तवाल व पंडवानी गायिका तरुणा साहू व श्री कोशा के द्वारा मां सरस्वती की पूजा कर की गई।
इस दौरान आराधना मंच की प्रभा बरडिया ,कस्तूरबा की जनक बाई गुप्ता शकुन गुप्ता, दुर्गा खंडेलवाल, मोना लोहिया, भगवती खंडेलवाल,प्राचार्य प्रवीण गुप्ता, सीताराम वैष्णव, सहित बड़ी संख्या में कस्तूरबा के छात्र -छात्राओं एवं शिक्षक- शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही।