बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 11 फरवरी। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर, CIMS में एक महिला चिकित्सक ने मेडिसन विभाग के HOD पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। मेडिसिन विभाग के HOD पर अनुचित व्यवहार करने, उत्पीड़न और बैड टच का आरोप लगाया है। इसको लेकर छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन ने सीएम विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। शिकायत सामने आने के बाद सिम्स के डीन ने बैठक कर संबंधित HOD को परीक्षा कार्य से पृथक कर दिया है।
एमडी मेडिसिन की सेकंड ईयर की पोस्ट ग्रेजुएट रेसिडेंट सिम्स मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई कर रहीं हैं। उन्होंने मेडिसिन विभाग के HOD डॉ. पंकज टेंभूर्निकर पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन संगठन के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने पिछले आठ महीने से मेडिसिन विभाग के HOD डॉ. पंकज टेंभूर्निकर के ऊपर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
महिला रेसिडेंट डॉक्टर ने अपनी शिकायत में बताया कि, पिछले आठ महीने से मैं HOD पंकज टेंभूर्निकर की ज्यादतियों का शिकार हो रही हूं। वह लगातार उनका मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न कर रहे हैं। जब मैं आपातकालीन ड्यूटी कर रही थी इस दौरान डॉक्टर टेंभूर्निकर ने मेरा फोन फेंक कर तोड़ दिया।
ड्यूटी के दौरान वह मुझे मौखिक रूप से दुर्व्यवहार करते हैं और अनुचित तरीके से स्पर्श करते हैं। रेसिडेंट महिला चिकित्सक ने आगे बताया कि, मेडिसिन विभाग के HOD डॉ. टेंभूर्निकर के व्यवहार की वजह से वह लगातार मानसिक तनाव में रहती है।
उनके द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न से ना ही वह अपने कर्तव्य को प्रभावी ढंग से अपनी पूरी क्षमता के साथ पूरा कर पा रही हैं. बल्कि, इससे उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाया है।
महिला रेसिडेंट चिकित्सक के पत्र को संज्ञान में लेकर छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन ने सीएम विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है। फेडरेशन ने महिला इंटर्न डॉक्टर की शिकायत का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि, इंटर्न और अन्य डॉक्टर, रेसिडेंट्स के द्वारा आंतरिक रूप से इस मुद्दे को संबोधित करने के पूर्व प्रयासों के बावजूद कोई प्रभावी उपाय नहीं किया गया है।
लगातार हो रहे इस उत्पीड़न में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, ताकि सभी पोस्ट ग्रेजुएट रेसिडेंट्स के लिए एक सुरक्षित और पेशेवर कार्य वातावरण सुनिश्चित हो सके। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में तुरंत कार्यवाही नहीं की जाती है तो हमें इस मामले को न्याय संगत तरीके से हल करने के लिए कानूनी चैनलों के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और सिम्स बिलासपुर में चिकित्सा विभाग की सभी महिला पोस्ट ग्रेजुएट रेसिडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करनी पड़ेगी।