राजनंदगांव(अमर छत्तीसगढ) 23 फरवरी। श्री दुर्गा मंदिर समिति किलापारा द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के सप्तम दिवस की कथा की व्यास पीठ पर विराजित सुप्रसिद्ध भागवत आचार्य रमेश भाई ओझा के विशेष कृपा पात्र अंचल के नवोदित भागवताचार्य पंडित अर्पित भाई शर्मा ने दिग्विजय कॉलेज के सामने खचाखच भरे पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भक्त माता बहनों एवं बंधुओ से कहा कि मित्रता हो तो कृष्ण सुदामा की तरह हो , सुदामा अत्यंत गरीब होते हुए भी भगवान कृष्ण के पास धन की लालसा से कभी नहीं गए ।
उन्होंने अपनी पत्नी सुशीला से कभी कृष्ण के मित्रता का जिक्र भी नहीं किया । सुदामा के पास सांसारिक धन नहीं था पर वे ब्रह्म ज्ञानी थे और उनके पास ब्रह्म धन था वह इंद्रियों से विरक्त व वाणी से जितेंदीय थे ।
सुदामा चरित्र की कथा की मीमांसा करते हुए पंडित अर्पित भाई ने कहा कि भगवान कृष्ण ने दिव्य दृष्टि से सुदामा की दरिद्रता को देखकर ब्राह्मण का रूप धारण कर सुदामा के घर जाकर उनकी पत्नी सुशीला से भिक्षा मांगी । सुशील ने कहा कि मैने निर्धनता को जन्म दिया है अतः मेरे घर में अभी सावड है , अर्थात अशुद्धि है ।
मैं आपको भिक्षा नहीं दे सकती । तब भगवान कृष्ण ने सुशीला को उनके पति सुदामा के साथ द्वारकाधीश कृष्ण के साथ मित्रता की बात बताई । वर्तमान समय में किसी छोटी पोस्ट के व्यक्ति के साथ मित्रता को भी व्यक्ति भुनाने से नहीं चूकता ।
कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए पंडित अर्पित भाई ने कहा कि चार वर्ण ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य व शूद्र में पौराणिक काल से ही कभी भेद नहीं रहा किंतु तत्कालीन सरकारों की शिक्षा प्रणाली के पाठ्यक्रम में ऐसे भेद बताकर आपस में भ्रम फैलाने का कार्य किया।
अब वर्तमान सरकार इस दिशा में पाठ्यक्रमों में बदलाव लाकर इसे ठीक करने प्रयासरत है । जो प्रशंसनीय है। भंडारे की व्यवस्था इसीलिए की गई थी कि भंडारे में बिना किसी भेदभाव , बिना किसी ऊंच – नीच एवं बिना किसी जाति – संप्रदाय के सभी एक साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं ।
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अर्पित भाई ने आगे कहा कि ब्राह्मण सदैव पूजनीय है , उनका अपराध कभी नहीं करना चाहिए , ब्राह्मण को भूदेव कहा गया है । बनते कोशिश हमेशा ब्राह्मण का सम्मान करें जिससे उनके आशीर्वाद से जीवन में अनेक प्रकार की सफलताएं प्राप्त होती है तथा उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाले अनेक प्रकार के कष्ट व बाधाएं दूर हो जाती हैं ।
पंडित अर्पित ने श्रीमद् भागवत कथा के संदर्भ में कहा कि भगवान कृष्ण ने महाभारत की रचना के लिए युद्ध का बीजारोपण करने ही दुर्योधन के थल समझकर जल में गिरने पर द्रौपदी को हंसने की मानसिक प्रेरणा दी थी ।
उन्होंने भगवान कृष्ण के 16108 रानियां के विवाह प्रसंग की सुंदर व्याख्या करते हुए अष्ट विवाह का विशेष वर्णन किया तथा नरकासुर द्वारा 16000 रानियां को बंदी बनाकर रखने के प्रसंग को सविस्तार बताया । पंडित अर्पित भाई शर्मा ने श्रीमद् भागवत कथा के संदर्भ में कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के सुनने से कलयुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं , इसके श्रवण से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति गहरी आस्था बढ़ती है । इसका श्रवण शांति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है ।
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श्रीमद्भागवत कथा भगवान कृष्ण का साहित्यिक अवतार है । इससे श्रोता का भक्ति और आध्यात्मिक विकास होता है साथ में मन की शुद्धि होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं । श्रीमद् भागवत महापुराण में अनेक बार श्री कृष्ण के ईश्वरीय वर्णन और अलौकिक रूप का वर्णन करते हुए 24 अवतारों की कथा कही गई है ।
श्री दुर्गा मंदिर समिति द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कल 24 फरवरी को दोपहर हवन , पूर्णाहुति तथा श्री भागवत भगवान की शोभायात्रा निकाली जाएगी ।