बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 24 फरवरी। दुर्ग से कानपुर के लिए पूज्य गुरुदेव 4 ठाणा विहार पर निकले हुए हैं जो की बिलासपुर होते हुए पेंड्रा, शहडोल मार्ग से कानपुर जाने वाले हैं पूज्य श्री बिलासपुर में हीरचंद संजय चोपड़ा के फार्म हाउस रामावेली में विराजमान थे जो सोमवार को बिहार कर तेलीपारा स्थित अशोक अविनाश चोपड़ा के निवास स्थान में विराजमान रहेंगे। उसके पश्चात टिकरापारा स्थित जैन भवन तीन चार दिवस में पहुंचने की संभावना है।
पूज्य श्री 4 ठाणा है पूज्य श्री सतीश मुनि महाराज साहब, पूज्य श्री सुकल मुनि महाराज साहब, पूज्य श्री आदित्य मुनि महाराज साहब पूज्य श्री रमन मुनि महाराज साहब सभी गुरु भगवंत से बिलासपुर पधारने के लिए विनती करने हेतु
श्री दशाश्रीमाली स्थानकवासी जैन संघ के अध्यक्ष भगवान दास भाई सुतारिया, सचिव गोपाल भाई वेलाणी, एवं हितेंद्र भाई सुतारिया सभी पूज्य गुरुदेव के दर्शन हेतु एवं बिलासपुर पधारने की विनती करने पहुंचे थे। वहां पहुंचकर पूज्य गुरुदेव जी का आशीर्वाद ग्रहण किया और गुरुदेव के आगे की रूपरेखा की जानकारी ली।
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सतीश मुनि महाराज साहब, श्री आदित्य मुनि के प्रवचन का विषय था धर्म.. धर्म के नाम पर कितने झगड़े और युद्ध हुए हैं । धर्म कभी तोड़ने का काम नहीं करता हमेशा जोड़ने का काम करता है। सूई कैंची के काम के बारे में बताते हुए कहा कि सूई जोड़ने का काम करती है, कैंची काटने का इसी तरह धर्म जोड़ने का कार्य करती है।
धर्म के बारे में गुरुदेव अपने प्रवचन के दौरान एक श्रावक को समझाते हुए जीवन में घटित घटना का उदाहरण देकर समझाया । उन्होंने कहा जो धर्म दूसरों के प्रति नफरत का भाव रखता है वह धर्म की श्रेणी में नहीं आता जो केवल स्वत का कल्याण चाहता है वह भी धर्म नहीं होता मतलब मौका परास्त का कोई धर्म नहीं होता, मतलबियों के आत्मा का कल्याण कभी नहीं होता है जो स्वयं की आत्मा के साथ दूसरों की आत्मा का कल्याण करना चाहते हैं वह होते हैं संत और वही होता है धर्म जो दूसरों की हमेशा भला चाहता है वह होता है धर्म
गुरुदेव ने बताया धर्म करते हैं तो उसे धर्म के द्वारा हमारा एवं हमारे परिवार की सुरक्षा होती है। इंसान उलझन में है कि धर्म माने किस को गुरुदेव ने बताया कि धर्म जो होता है वह संस्कारों की सुरक्षा आध्यात्मिकता को बढ़ाने का तरीका धर्म है। धर्म कभी दबाव से नहीं होता धर्म स्वभाव में होता है। स्वभाव के अंदर रहेगा तो विवेकशील होगा।
धर्म की आराधना करने के लिए तत्पर रहे जरूरी नहीं संयम जीवन में ही होने से धर्म हो सांसारिक जीवन में भी धर्म कर सकते हैं। ग्रहस्थ जीवन में भी रहकर धर्म कर विवेकशील बन सकते हैं ।
गुरुदेव ने कहा धर्म और कर्म दोनों ढाई अक्षर के हैं धर्म हमारे आवागमन को रोक लगाता है, कर्म आवागमन को बढ़ाता है। दया सेवा शांति धर्म है, धर्म में सुख है पाप में दुख है। क्रोध आए तो शांति रखना, शांति रखने वाला व्यक्ति तकलीफ में नहीं जाता ।
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इस अवसर पर तेरापंथ समाज अध्यक्ष सुरेंद्र मालू, संरक्षक महेंद्र जैन, गुजराती जैन समाज अध्यक्ष भगवानदास सुतारिया, सचिव गोपाल वेलाणी, हितेश सुतारिया, योगेश चोपड़ा, संजय छाजेड़, अजय छाजेड़, संगीता चोपड़ा, शुभचंद बाफना, नरेंद्र तेजाणी, मनीष शाह, अमरेश जैन उपस्थित थे।
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