भीतरघात का शिकार हुई कांग्रेस : बहुमत के बाद भी नहीं बना सकी नगर पालिका उपाध्यक्ष

भीतरघात का शिकार हुई कांग्रेस : बहुमत के बाद भी नहीं बना सकी नगर पालिका उपाध्यक्ष

मुंगेली(अमर छत्तीसगढ) 8 मार्च। छत्तीसगढ़ के मुंगेली नगरपालिका में एक बार फिर हरिभूमि का विश्लेषण सही साबित हुआ है। पिछली खबर में नगरपालिका उपाध्यक्ष पद पर बहुमत के बावजूद मुश्किल में कांग्रेस और क्रॉस वोटिंग के साथ बीजेपी के उपाध्यक्ष बनने का विश्लेषण किया गया था, जो वास्तविक नजर आई है।

जिन नामों की चर्चा पहले से हमने बताया था। दोनों ही पार्टी ने उनके नाम पर मुहर लगाकर उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार भी बनाया। विश्वनीयता और सटीक विश्लेषण वाली खबर के बाद चैनल की जमकर चर्चा की जा रही है। इससे पहले भी नगर सरकार के चुनाव में नगरपालिका में अध्यक्ष और पार्षद के सभी आंकड़े सटीक साबित होने पर चर्चाओं में था।

नगर की जनता ने नगर सरकार के लिए जनादेश कांग्रेस को देकर नगरपालिका अध्यक्ष के लिए रोहित शुक्ला को भले ही जिताया था। लेकिन उपाध्यक्ष के पद पर कांग्रेस के पास बहुमत होने के बावजूद बीजेपी ने कांग्रेस के प्लान को फैल कर अपने पक्ष में छीना है।

नगरपालिका उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस से अरविंद वैष्णव तो बीजेपी से जयप्रकाश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया गया था। इस चुनाव में कांग्रेस के पाले में अध्यक्ष सहित 12 मत थे। जबकि, बीजेपी के पास निर्दलीय पार्षद के साथ 11 मत थे। निर्वाचित नपा अध्यक्ष और 22 वार्ड के पार्षद ने अपने मतों का प्रयोग किया। जिसमें बीजेपी के पक्ष में 13, कांग्रेस के पक्ष में 9 तो 1 मत रिजेक्ट होकर बीजेपी पार्षद जयप्रकाश मिश्रा नगरपालिका में उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए।

बहुमत के बावजूद कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में भूचाल मचा हुआ है। कांग्रेस पार्टी के लिए मुंगेली नगरपालिका में कुल 22 वार्डो में अध्यक्ष सहित 12 वोट थे। जिससे पार्टी मजबूती के साथ मैदान पर थी, उसके बावजूद कांग्रेस पार्षद के क्रॉस वोटिंग से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। मुंगेली जिले के कांग्रेस प्रभारी आलोक सिंह ने कहा कि, हमारे 3 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग करके पार्टी से गद्दारी की है। इसकी समीक्षा की जा रही है, पार्षद जो भी हो उन पर दो दिन के भीतर कड़ी कार्रवाई देखने को मिलेगी।

शहर चुनाव में नगरपालिका अध्यक्ष चुनाव हारने और पार्षद के अल्पमत होने के बावजूद उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा इस पद को हासिल करने मैदान में डटे रहे। यही वजह है कि, बेहतर प्लानिंग और समीकरण तैयार कर कांग्रेस के 3 पार्षदों को बीजेपी के पक्ष में मत करने से उपाध्यक्ष पद भाजपा के पाले में आ गया है। वहीं हारी बाजी को भाजपा ने कांग्रेस के हलक से खींचकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस पूरे प्लान के अगर मास्टरमाइंड की बात जाए तो भाजपा के नगरमंडल अध्यक्ष सौरभ बाजपेयी का नाम चर्चाओं में हैं।

पिछली खबर में हमने प्रशासन के संज्ञान में लाया था कि, इस तरह के चुनाव में प्रायः यह देखा जाता है कि, दोनों ही पार्टी अपने प्रतिनिधियों को बैलेट पेपर पर एक निश्चित स्थान पर निशान करके मत देने के दबाव बनाकर मतदान करवाया जाता है। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि, किस मतदाता ने किसको वोट दिया है या क्रॉस किया है। इसमें चुनाव की निष्पक्षता और गोपनीयता भंग होती है। इस पर प्रशासन ने संज्ञान लिया और पेन से टिक मार्क हटाकर स्वास्तिक के सील के माध्यम से पार्षदों से मतदान करवाया।

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