विश्व का प्रत्येक जीव नास्तिक है – सुश्री धामेश्वरी देवीजी

विश्व का प्रत्येक जीव नास्तिक है – सुश्री धामेश्वरी देवीजी

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 27 मार्च। जगद्गुरुत्तम श्री कृपालुजी महाराज की प्रमुख प्रचारिका सुश्री धामेश्वरी देवीजी द्वारा स्टेट हाई स्कूल मैदान राजनांदगांव, में चल रही दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला में वेद शास्त्र के प्रमाणों से विश्व का प्रत्येक जीव एकमात्र आनंद ही चाहता है इसलिए आस्तिक है के सिद्धांत को समझाने के पश्चात् देवी जी ने तीसरे दिन वेदों के द्वारा यह भी प्रमाणित किया कि विश्व का प्रत्येक जीव नास्तिक है क्योंकि हर कोई इंद्रियों की भक्ति करता है लोग कहते हैं कि भगवान सब के अंतःकरण में व्याप्त है लेकिन इसको शतश: मानते नहीं है यदि कोई प्रतिक्षण ईश्वर को अपने अंतःकरण में बैठा माने, अपने साथ हर जगह महसूस करें, तो वह कोई अपराध कर ही नहीं सकता।

क्योंकि पाप तभी होते हैं, जब हम यह भूल जाते हैं कि हम उस परमपिता के अधीन हैं और वह प्रतिक्षण हमारे कार्यों को देख रहा है, हमारे कर्मों को हमारे अंदर बैठकर लिखता रहता है। जब लोग मंदिर में जाते हैं केवल उतने समय के लिए भगवान के सामने मंत्र, जाप, श्लोक आदि बोल देते हैं, जैसे ‘‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव“ आदि लेकिन मन की आसक्ती घर के माता-पिता में होती है।

मंदिर में खड़े होकर भी हमारा ध्यान संसारी कार्यों में लगा रहता है। इस प्रकार हर व्यक्ति, सर्वान्तर्यामी भगवान को धोखा देने का प्रयास करता है और मात्र इंद्रियों की भक्ति करता है। लोग किसी की मृत्यु पर कहते हैं- ‘‘राम नाम सत्य है“ लेकिन यही वाक्य यदि कोई किसी शुभ अवसर पर कह दे, तो इसे महान अपशगुन माना जाता है।

हम इतना भी नहीं जानते कि भगवान के नाम में स्वयं भगवान अपनी समस्त शक्तियों के साथ बैठे हुए हैं अर्थात् राम का नाम तो स्वयं राम ही है वह तो सर्वथा शुभ ही है। इसी प्रकार हम लोग ईश्वर को न मानकर संसारी मान्यताओं, खोखली परंपराओ

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