रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 15 अप्रैल। भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने पुलिस बल की कमी का हवाला देते हुए रायपुर में कानून-व्यवस्था पर चिंता जाहिर की, इस पर सियासी बहस भी चल रही है, पर यह स्थिति रायपुर ही नहीं, पूरे प्रदेश की है। थानों में पुलिस बल की कमी ने कई इलाकों में सिस्टम के लिए दिक्कतें खड़ी कर रखी है।
राज्य में 482 थाने हैं। इस हिसाब से कांस्टेबल तथा हेड कांस्टेबल की संख्या 87 हजार होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। 17000 जवानों की कमी हैं। इन्हीं जवानों के भरोसे मैदानी सिस्टम चलता है। अभी 70 हजार पुलिस बल की तैनाती है। नई भर्ती में भी अभी पेंच हैं। सिपाहियों का प्रमोशन भी डेढ़ दशक से अटका हुआ है। इन्हीं सब वजहों से हालात बिगड़े हुए हैं। लंबे समय से आरक्षकों का प्रमोशन रुका हुआ है।
पिछले साल 500 आरक्षकों की पदोन्नति सूची जारी हुई थी, उसमें भी कई नाम अटक गए थे। बाद में यह सिलसिला आगे नहीं बढ़ा। जाहिर है, सिपाही प्रमोट होते तो नई भर्ती के लिए पदों की संख्या में इजाफा होता। पिछली सरकार ने जवानों की भर्ती की पहल की थी, लेकिन यह पूरी नहीं हो सकी।
अभी भर्ती में गड़बड़ी की वजह से कई लोग जेल भेजे गए हैं। अभी इसमें पेंच बताया जा रहा है। बात रायपुर की करे तो यहां जिले में 27 सौ के करीब पुलिसबल स्वीकृत है। इनमें से सात सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों की ड्यूटी अफसरों के यहां लगाई गई है। ऐसे में कानून व्यवस्था संभालना चुनौती ही मानी जाएगी।
शहर के साथ जिलों के ज्यादातर थानों में पुलिस बल की कमी होने की वजह से लॉ एंड आर्डर मेंटेन करने अपने पड़ोसी थाने से पुलिसबल की व्यवस्था कर लॉ एंड आर्डर मेंटेन करने का काम किया जा रहा है। इससे थानों में विवेचना सहित अन्य कार्य बुरी तरह से प्रभावित होते हैं।
पुलिस मैन्युअल में जो स्वीकृत बल है, उस हिसाब से थानों का बल नहीं मिल पाता। इस कारण संबंधित जिले के एसपी किस थाने में कितने का बल होना चाहिए वे स्व विवेक से निर्णय करते हैं। क्षेत्रफल बड़ा होने के साथ ही जनसंख्या ज्यादा है, लेकिन अपराध का रेसियो कम है। ऐसी स्थिति में उस थाने में एसपी कम का सेट अप देते हैं। इसके अलावा जहां अपराध की संख्या ज्यादा है, वहां ज्यादा का सेटअप दिया जाता है।
पुलिस विभाग में अफसरों से लेकर निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को हर आठ वर्ष में प्रमोशन देने का नियम है। आरक्षकों को हेड कांस्टेबल बनने परीक्षा दिलाने की जरूरत पड़ती है। बल की कमी होने की वजह से वर्ष 2009 के बाद से आरक्षकों का प्रमोशन अटका हुआ है। राजपत्रित पुलिस अफसरों को समय पर प्रमोशन मिल जाता है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में पर्याप्त संख्या में राजपत्रित पुलिस अफसर हैं।
थानों में जो स्वीकृत बल होता है, पुलिस मैन्युअल के हिसाब से उसका सेटअप इस तरह से होता है ।
टीआई – 01
एसआई – 04
एएसआई – 4 * 3 = 12
हेड कांस्टेबल – 12 * 3 = 36
कांस्टेबल – 26 * 3 = 108