परंपरा और रिवाज के नाम पर महिलाओं और छोटे बच्चों से करवाई जा रही अमानवीय भिक्षावृत्ति, रोक लगाने की मांग

परंपरा और रिवाज के नाम पर महिलाओं और छोटे बच्चों से करवाई जा रही अमानवीय भिक्षावृत्ति, रोक लगाने की मांग

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 19 अप्रैल। जिले के ग्राम पंचायत बोरी में परंपरा और रिवाज के नाम पर महिलाओं और छोटे बच्चों से करवाई जा रही अमानवीय भिक्षावृत्ति प्रथा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है।
छत्तीसगढ़ी समाज ने अपने ज्ञापन में बताया कि ग्राम पंचायत बोरी, जो जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, वहाँ आज भी एक अत्यंत अमानवीय कुरीति प्रचलन में है। इस प्रथा के तहत गाँव की महिलाओं को, दूधमुंहे बच्चों सहित, भिक्षावृत्ति के लिए मजबूर किया जाता है।


समाज ने इसे महिलाओं और बच्चों के मौलिक और मानवीय अधिकारों का घोर उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार के भी विपरीत है। और भी चिंताजनक यह है कि इस प्रथा में भाग न लेने पर संबंधित परिवारों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है, जिसमें ‘रोटी-बेटी’ के संबंध खत्म करने जैसे अन्यायपूर्ण कदम उठाए जाते हैं।


छत्तीसगढ़ी समाज, जिला इकाई राजनांदगांव ने मांग की है कि:

ग्राम बोरी में इस कुरीति की तत्काल उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए।

अमानवीय परंपराओं पर रोक लगाने हेतु कठोर प्रशासनिक कार्यवाही की जाए।

पीड़ित महिलाओं और बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा व आजीविका के लिए विशेष योजनाएं प्रारंभ की जाएं।

समाज में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर ऐसी कुप्रथाओं का जड़ से उन्मूलन किया जाए।

ज्ञापन सौंपने के अवसर पर छत्तीसगढ़ी समाज, जिला इकाई-राजनांदगांव के प्रभारी हेमंत लाऊत्रे सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे। समाज ने विश्वास जताया है कि प्रशासन इस गंभीर सामाजिक समस्या पर शीघ्र और प्रभावी कार्रवाई करेगा।

Chhattisgarh