हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : स्त्रीधन विवाहित महिला की संपत्ति, दो महीने के अंदर 28 तोला सोना और 10 हजार जुर्माना दे पति

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : स्त्रीधन विवाहित महिला की संपत्ति, दो महीने के अंदर 28 तोला सोना और 10 हजार जुर्माना दे पति

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 20 मई। जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास ने स्त्रीधन वापस नहीं देने के मामले में महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया है। कोर्ट ने कहा है कि स्त्रीधन विवाहित महिला की संपत्ति है और वह अपनी इच्छा अनुसार इसका उपयोग कर सकती है। भले ही वह धन पति व ससुराल वालों के पास रहता हो।

हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील पर सुनवाई करते हुए पति को धारा 405 को दोषी मानते हुए दो माह के अंदर 28 तोला सोना एवं 10 हजार रुपए जुर्माना देने का निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर आरोपी को तीन माह का साधारण कारावास भुगतना होगा।

अपीलकर्ता कविता मूर्ति की 3 नवंबर 1995 को भिलाई निवासी वेंकटरमन मूर्ति के साथ कुंदन पैलेस रायपुर में विवाह हुआ था। शादी के बाद वह ससुराल में रहने लगी। कुछ दिनों बाद पति और अन्य लोग उसे यातना देकर प्रताड़ित करने लगे। पत्नी के पास उसे छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होने के कारण 19 मार्च 1996 की मध्य रात्रि घर छोड़कर चली गई।

मानसिक पीड़ा की अवस्था में उसने स्त्रीधन आभूषण सोना, चांदी अन्य वस्तु छोड़ दी थी। इसके बाद पीड़िता ने रायपुर आकर पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत अपराध करने का आरोप तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 व 4 के तहत महिला थाना में रिपोर्ट लिखाई।

पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया। 7 दिसंबर 1997 को पति ने पत्नी को एक कानूनी नोटिस भेजा। दूसरी ओर अपीलकर्ता पत्नी ने पति को 30 मई 1998 को नोटिस भेजकर स्त्रीधन वापस करने की मांग की। इसमें स्त्रीधन की सूची महिला थाना रायपुर में पेश की गई। पीड़िता पत्नी ने धारा 200 के तहत न्यायालय में परिवाद पेश किया।

न्यायिक मजिस्ट्रेट रायपुर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी पति को दोषमुक्त कर दिया। इसके खिलाफ पत्नी कविता ने हाईकोर्ट में अपील पेश की। याचिका में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया है कि स्त्रीधन विवाहित महिला की संपत्ति और वह अपने अनुसार इसका उपयोग कर सकती है।

हाईकोर्ट ने पाइप लाइन में लीकेज होने से शहर के कई वार्डों में दूषित पानी पहुंचने की खबर पर संज्ञान लिया है। नगर निगम बिलासपुर आयुक्त के शपथपत्र पर कोर्ट ने संतोष जाहिर कर इसे स्वीकार कर लिया। दूसरी ओर खैरागढ़ में बदबूदार गंदे पानी की सप्लाई होने के समाचार पर संज्ञान लेते हुए सीमओ नगर पालिका खैरागढ़ से शपथपत्र पर जवाब तलब किया गया है।

हाईकोर्ट ने कड़ाई से पूछा है कि आम लोगों को साफ पेयजल कब मिलेगा। हर जगह एक जैसी शिकायत मिल रही है। पाइप लाइन में लीकेज होने से बिलासपुर के कई वार्डों में दूषित पानी पहुंच रहा है, इसे पीने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने डायरिया होने की शिकायत की है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

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