युक्तियुक्तकरण पर शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला :सीएम साय ने सख्त कदम उठाने के दिए निर्देश, कैमरे की निगरानी में होगी काउंसलिंग

युक्तियुक्तकरण पर शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला :सीएम साय ने सख्त कदम उठाने के दिए निर्देश, कैमरे की निगरानी में होगी काउंसलिंग

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 27 मई। स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण को सीएम साय ने प्रदेश के छात्रों के हित में लिया गया फैसला बताने और शिक्षकों के विराध के बीच पदोन्नति और युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की तैयारी चल रही है। सीएम ने कहा है कि, आज पूरे प्रदेश में अनबैलेंस है। कहीं हमारे स्कूल शिक्षकविहीन हैं तो कई स्कूलों में बच्चों से ज्यादा टीचर हैं। श्री साय ने कहा कि, इसी असमानता को समानता में बदलने के लिए युक्तियुक्तकरण हो रहा है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी।

वहीं शिक्षकों की पदोन्नति और युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के लिए बड़ा निर्णय लिया गया है। अब जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) और ज्वाइंट डायरेक्टरों (JD) की मनमानी इस मामले में नहीं चलेगी। उल्लेखनीय है कि, पिछली सरकार के दौरान सहायक शिक्षकों के प्रमोशन के नाम पर जेडी कार्यालयों में करोड़ों रुपये की वसूली हुई थी। वहीं, जिला शिक्षा कार्यालयों में भी दलाल सक्रिय होकर पैसे के दम पर ट्रांसफर और प्रमोशन के खेल में लगे हुए थे। इसी स्थिति से बचने के लिए कई अीम निर्णय लिए गए हैं।

डीपीआई (निदेशालय लोक शिक्षण) ने अब काउंसलिंग को पारदर्शी बनाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। सभी काउंसलिंग कक्षों में कैमरे लगाए जाएंगे, यानी अब बंद दरवाजे के पीछे गुपचुप तरीके से फैसले नहीं लिए जा सकेंगे। डीपीआई कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि, अब हर संभाग में खाली पदों की जानकारी ओपन डिस्प्ले के माध्यम से साझा की जाएगी। अब तक अधिकांश जगहों पर यह प्रक्रिया छुपाकर की जाती थी।

डीपीआई ने कहा है कि, मैं व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करूंगा कि, किसी भी दोषी अधिकारी को कठोरतम दंड से नहीं बख्शा जाएगा। यदि प्रत्येक शिकायत की जांच मुझे खुद करनी पड़ी, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। भ्रष्टाचार और लापरवाही अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

शिक्षा विभाग में प्रमोशन, ट्रांसफर और युक्तियुक्तकरण जैसी योजनाएं भ्रष्टाचार का जरिया बन गई हैं — यह शिक्षक संगठन और शिक्षकों का पुराना आरोप रहा है, जो अब सच साबित होता नजर आ रहा है। कई जिलों से खबरें सामने आई हैं कि अतिशेष शिक्षकों की सूची में हेराफेरी की जा रही है। जानबूझकर कुछ शिक्षकों को सूची में डाला या बाहर किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, कुछ जिलों में निलंबित सहायक शिक्षकों से 2-3 लाख रुपये की रिश्वत लेकर उन्हें खाली पदों वाले स्कूलों में फिर से बहाल किया जा रहा है। इसके लिए दलाल सक्रिय हैं जो यह कहकर प्रलोभन दे रहे हैं कि, बहाली भी हो जाएगी और अतिशेष सूची से बचाव भी होगा, क्योंकि उन्हें ‘सुरक्षित’ स्कूलों में पोस्टिंग दी जाएगी।

नया सत्र शुरू होने में अभी 20 दिन बाकी हैं, लेकिन कई शिक्षक गर्मियों की छुट्टी के दौरान ही चुपचाप जॉइन कर रहे हैं ताकि हंगामा न हो। मुंगेली जिले में इस गड़बड़ी की भनक कलेक्टर तक पहुंच गई, जिसके बाद उन्होंने बीईओ, बीआरसी और डीईओ को सख्त संदेश देते हुए चेताया कि उन्हें चल रहे खेल की पूरी जानकारी मिल चुकी है।

युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से जहां एक ओर शिक्षक वर्ग नाराज है, वहीं दूसरी ओर बीईओ और डीईओ जैसे अधिकारी पूरे उत्साह में नजर आ रहे हैं। शिक्षाकर्मी भर्ती की तरह ही अब युक्तियुक्तकरण भी धन उगाही का साधन बन चुका है। दलालों के माध्यम से शिक्षकों तक संदेश पहुंचाया जा रहा है कि, इतनी रकम दो, नाम सूची से हटा दिया जाएगा। रिणामस्वरूप, डरे हुए शिक्षक खुद भी दलालों से संपर्क कर रहे हैं और गर्मियों की छुट्टियों में भी कार्यालयों में गहमागहमी बनी हुई है।

अगर सरकार ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो यह तय मानिए कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर पदोन्नति से बड़ा घोटाला सामने आ सकता है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है। हाल ही में बिलासपुर जेडी ऑफिस में भी बंद कमरे में की गई काउंसलिंग के जरिए बड़ी संख्या में शिक्षकों को मनमाने ढंग से इधर-उधर कर दिया गया। आरोप है कि शिक्षकों को एक-एक कर बुलाया जाता है, और उन्हें झूठ बोलकर कहा जाता है कि पसंदीदा स्कूल की सीट भर गई है। मजबूरी में शिक्षक दूरस्थ इलाके चुनते हैं और बाद में वे सीटें शहर के पास वालों को पैसे लेकर बेच दी जाती हैं।

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