रायपुर। (अमर छत्तीसगढ़) स्थानीय विधानसभा रोड पर स्थित शांति सरोवर रिट्रीट सेंटर में आज प्रजापिता ब्रम्हाकुमारीज ईश्वरी विश्वविद्यालय के प्रशासक सेवा प्रभाग की ओर से आयोजित अखिल भारतीय प्रशासनिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भूपेश बघेल ने कहा जीवन में तन, मन, का संतुलन आवश्यक है। उन्होंने आयोजन संस्था को बधाई देते हुए कहा कि आज के कठिन दौर में आध्यात्म राजयोग, मेडिटेशन आवश्यक है।
राज्यपाल अनसुूईया उईके ने कहा छत्तीसगढ़ में जैसी सरलता, सहजता, आत्मीयता है। ऐसे देश के किसी भी हिस्से में नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों की समस्याएं, शिकायताएं, परेशानियों को हल किये जाने का प्रयास प्रत्येक स्तर पर होना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों की प्राथमिकता भी हो। बिलासपुर हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम चौरडिय़ा ने कहा हर व्यक्ति अपने जीवन का प्रबंधन, प्रशासक, कार्यपालक है। प्रदेश के गृह सचिव आईपीएस अरूण देव गौतम ने कहा पारदर्शी प्रशासन देने तंत्र बनाया गया है। इस अवसर पर दिल्ली से प्रधारी ब. कू. आशा दीदी ने आध्यात्म, राजयोग व तनाव मुक्त रहने के जीवनकला पर विशेष जानकारी दी। शांति सरोवर रिट्रीट सेंटर प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय निदेशिका ब. कू. कमला दीदी ने आयोजन की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि देश भर से 60 से अधिक प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया। मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप ने आयोजन के साथ विषय आध्यात्मिक प्रस्तुत किया। दिव्य गीत प्रस्तुत किया।
राज्यपाल सुश्री अनसूईया उईके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जस्टिस गौतम चौरडिय़ा, गृह सचिव अरूण देव गौतम, मंचस्थ अतिथियों व वक्ताओं ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
राज्यपाल सुश्री अनसूईया उईके ने आयोजन, आयोजकों, व आध्यात्मिकता द्वारा प्रशासन में उत्कृष्ठता विषय पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ जैसा राज्य पूरे देश में कहीं नहीं देखा, सरजल, सहजता, आत्मीयता से भरा हुआ है। राज्यपाल ने प्रशासनिक अधिकारियों से भी कहा कि वे निष्ठा ईमानदारी पारदर्शिता से अपना काम करें। लोगों की परेशानी, कठिनाई, जरूरतों पर ध्यान दें। आज भी कई लोग उनके पास आते हैं। जिन्हें वे सुनने के पश्चात उनके कार्य पूरे हो कोशिश करती है। समाधा का प्रयास उनका रहता है। राज्यपाल ने अपने लगभग 40 वर्ष के राजनीतिक प्रशासनिक कार्र्यकाल विस्तृत जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि ब्रम्हाकुमारीज संस्था द्वार आज आयोजित कार्यक्रम निश्चित तौर पर जिनके लिए आयोजित किया गया, उनके लिए मार्गदर्शक के रूप में लाभप्रद होगा। राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि प्रशासक की सोच सकारात्मक, सेवाभावना, के रूप में प्रस्तुत हो। राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि मेरा दरबार आम व खास सभी के लिए खुआ हुआ है। लोग बड़ी संख्या में आते भी हैं। उनको सुना भी जाता है। प्रशासनिक अधिकारी, संविधान की कसमें खाते हैं। उसे पूरा करें। प्रशासन तंत्र मेें ईगो की स्थिति नहीं होनी चाहिए। ब कू आशा दी ने उपस्थितजनों को पांच विषयों पर विस्तृत जानकारी व मार्गदर्शन दिया। जिसमें अवरनेश, एकनॉलेज, एक्सपेटेशन, एसेंट एवं एट्यिूटमीन, उन्होंने कहा कि हम अपने अंदर झांके, अपने आप से मुलाकात करें। उन्होंने कहा लगातार काम करने वालों को बीच से बीच में 3 से 5 मिनट का विश्राम भी लेना चाहिए। मन के कम्प्यूटर को खोलना चाहिए। शांत मय वातावरण में जाये। राजयोग मेडिटेशन से जुड़े। प्रजापिता ब्रम्हाकुमारीज ईश्वरी विश्वविद्यालय रायपुर स्थित शाति सरोवर रिट्रीट संस्था में आज उपस्थित मुख्य अतिथि, विशेष अतिथि ब कू बहनों के साथ ही वक्ताओं ने दूसरे वक्ताओं के द्वारा प्रस्तुत विचारों का समर्थन करते हुए विषय पर अपने वक्ताव्य में भी वे अन्य वक्ताओं का वक्तव्य उल्लेखित करते रहे। जिसका उपस्थितजनों ने भी पूरे मन से स्वागत, तालियां बजाकर की। ब कू आशा दीदी ने संस्था की 137 देशों में संचालित सेवा केन्द्रों की विस्तृत जानकारी दी।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजधानी रायपुर स्थित शांति सरोवर में प्रशासकों, कार्यपालकों और प्रबंधकों के लिए आयोजित अखिल भारतीय प्रशासनिक सम्मेलन का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया। आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर परियोजना के तहत राजयोग एजुकेशन एन्ड रिसर्च फाउंडेशन के प्रशासक सेवा प्रभाग द्वारा ‘स्प्रिचुअलिटी फॉर एक्सीलेंस इन एडमिनिस्ट्रेशन‘ विषय पर यह सम्मेलन आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन के लिए तन और मन का संतुलन आवश्यक है। जब मन संतुलित रहेगा, तो हमारे विचारों में उथल-पुथल नहीं होगी। मन शांत रहेगा, हमारी कार्य क्षमता बढ़ेगी, जो हमारे स्वयं के लिए, परिवार और समाज के लिए अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्षों के शोध के बाद मन को साधने के लिए अध्यात्म और ध्यान का रास्ता बताया है। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित लोगों से तन और मन के संतुलन के लिए समय निकालने और अध्यात्म तथा ध्यान का रास्ता अपनाने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ तन के लिए हमारी दिनचर्या और आहार का संतुलित होना आवश्यक हैै। इसी तरह मन के संतुलन के लिए मन की शांति आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम वैश्विक महामारी की दौर से उबरने की कोशिश कर रहे है। संकट के समय में हमारे आहार, विचार और व्यवहार का संतुलन जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा देश और दुनिया में शांति का प्रचार किया जा रहा है। आज के दौर में प्रशासकों और कार्यपालकों के लिए अध्यात्मिक सम्मेलन का आयोजन सराहनीय पहल है। उन्होंने इस आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।
सम्मेलन में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री गौतम चौरडिय़ा प्रमुख अतिथि के रूप में शामिल हुए। गृह विभाग के सचिव श्री अरुण देव गौतम, भारतीय तकनीकी संस्थान के डायरेक्टर श्री रजत मूना, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. विष्णु दत्त विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए। संस्था के प्रशासक सेवा प्रभाग की अध्यक्ष राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने मुख्य उद्बोधन दिया।
सम्मेलन में राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी अवधेश दीदी, राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी कमला दीदी और ब्रम्हाकुमार हरीश भाई सहित संस्था के अनेक पदाधिकारी, सदस्य और प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।