सपरिवार संयम के मार्ग पर
राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ़) महेंद्र सागर जी मसा मणिप्रभा श्रीजी मसा की निश्रा में संयम अंगीकार करने जा रहे सुराणा परिवार का पांच मई को नगर आगमन हुआ। जिसके निमित्त नगर आगमन पर गुरुवार को गंज लाइन निवास स्थान से सुबह आठ बजे समर्पण पूजा के लिए
जैन मंदिर प्रस्थान, सुबह 9.30 बजे पहुंची उदयाचल में डोरा बंधन व अभिनंदन समारोह हुआ इसके बाद शाम छह बजे दीक्षार्थियों की गंज लाइन नाहटा निवास से सदर जैन मंदिर जाएगी पश्चात 7.30 बजे कुमारपाल राजा की आरती पारषनाथ जैन मंदिर की जाएगी।
चातुर्मास में प्रवचन सुनने के बाद लिया संकल्प बीए तक पढ़ाई किए मुमुक्षु राकेश सुराणा बालाघाट में सोना-चांदी का व्यापार करते थे। घर में सब सुख-सुविधाएं हैं करोड़ों की संपत्ति अर्जित की। इसके बार जयपुर में 2015 में मुनि महेंद्र सागर मसा. के चातुर्मास में प्रवचनों से जीवन में परिवर्तन हुआ। इसके उन्होंने अपनी संपत्ति को सत्कार्यों में लगाते हुए संयम को धारण करने का संकल्प लिया। वहीं उनकी पत्नी लीना बैंगलुरू में बीएससी और वि यूके से ग्रेजुएट प्ले थैरेपी की पढ़ाई की है। वहीं 11 वर्षीय में अमय सुराणा जो अपने माता पिता के साथ गुरू की निश्रा में दीक्षा ग्रहण करेंगे।
जन्म राजनांदगांव में हुई है। उनका अपने ननिहाल से काफी जुड़ाव रहा है। वहीं जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के सह सचिव रोशन गोलछा ने कहा कि मुमुक्षु सुराणा परिवार का गुरुवार को नगर आगमन हुआ उस निमित कई कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।
सुबह गंज लाइन स्तिथ निवास से बरघोड़ा(जुलूस) के साथ सदर जैन पार्श्वनाथ जैन मंदिर समर्पण पूजा विधि विधान से किये दोपहर11 बजे से डोरा बंधन प्रोग्राम उदयाचल प्रांगण व सकल जैन समाज द्वारा अभिनदन समारोह का आयोजन हुआ अभिनंदन पत्र एवँ तिलक व हार पहनाकर मुमुक्षुओं का स्वागत उपस्तिथ जैन समुदाय द्वारा किया गया
राजनांदगांव मुमुक्षु राकेश, मुमुक्षु अमय व मुमुक्षु लीना सुराणा । पिछले साल आया दीक्षा ग्रहण का भाव 22 मई को जयपुर में दीक्षा सम्पन्न होगी
सीए नाहटा ने बताया कि मुमुक्षु राकेश सुराणा का परिवार पिछले तीन-चार सालों को धर्म की राह में चल रहे थे लेकिन पिछले साल
उन्हें दीक्षा ग्रहण करने का भाव आया। उन्होंने बताया कि मुमुक्षु राकेश की प्राइमरी की पढ़ाई राजनांदगांव में ही पूरी की बचपन मे गर्मी की छुट्टियों में 2 माह राजनांदगांव रुकते थे और जो यादे उस समय संजोयी हैं वो आजीवन नही भूल सकते
• मुमुक्षु राकेश सुराणा के गंज लाइन निवासी ममेरे भाई सीए ऋषभ नाहटा ने बताया कि उनकी बुआ चैतन्य निधि श्रीजी मसा. (सांसारिक नाम चंदादेवी सुराणा) का विवाह बालाघाट निवासी इंदर चंद सुराणा से हुआ था। उनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं। बुआ और उनकी पुत्री ने 2008 में सांसारिक जीवन त्यागकर दीक्षा ग्रहण किया था। जिसमें बुआ जी का 2016 में और फूफा जी का 2019 में देवलोक गमन हो गया है। बुआ की सांसारिक पुत्री जो वर्तमान सौम्या निधि श्रीजी मसा है, उनके एक पुत्र की अस्वस्थता के कारण निधन हो गया। बुआ के परिवार में 40 वर्षीय राकेश सुराणा का परिवार निवासरत हैं जो अब संसारिक मोह-माया, सोना-चांदी का व्यापार भोग विलास को त्यागकर 22 मई को राजस्थान में गुरु की निश्रा में अपनी पत्नी 36 वर्षीय लीना सुरणा व एक 11 वर्षीय पुत्र अमय सुराणा के साथ दीक्षा ग्रहण करेंगे।
नानी का घर सभी को बहुत प्यारा होता है। यहां कुछ खट्टी-मिट्टी यादें आपको जीवन भर उत्साही करती रही उन्होंने राजनांदगांव में “बने-बने”शब्द जो हमेशा बात करने में हाल चाल पूछने में किया जाता हैं याद किया राजनांदगांव के नाहटा परिवार के भांजे राकेश सुराणा का परिवार है जो अब सांसारिक जीवन में अंतिम बार अपनी 80 वर्षीय नानी ढेला बाई नाहटा और मामा ताराचंद, नरेंद्र व नरेश नाहटा के घर आएं हम बात कर रहे हैं हमारे पड़ोसी जिला बालाघाट निवासी मुकेश सुराणा, उनकी पत्नी मुमुक्षु लीना सुराणा व पुत्र अमय सुराणा की जो 5 मई को अपने नानी-मामा के घर आएं हम ऐसा इसलिए कह रहे क्योंकि सुराणा परिवार के तीनों सदस्य 22 मई को जयपुर राजस्थान में सांसारिक जीवन और मोहमाया त्याग कर गुरु की निश्रा में दीक्षा ग्रहण करेंगे।
पत्नी और 11 साल के बेटे के साथ आज नानी से एवँ ननिहाल नाहटा परिवार से मिले मुमुक्षु राकेश परिवार द्वारा आज एक दिवसीय दीक्षा महोत्सव प्रोग्राम उदयाचल में रखा गया हैं