गुण्डरदेही(अमर छत्तीसगढ़) आचार्य प्रवर 1008 श्री मसा की शुष्या परम पुज्य शासन रजत मणी श्री मसा ने गुण्डरदेही मे प्रवचन में कहा आचारंग सूत्र में कहा गया ” हे आत्मा तुही तेरा मित्र है जो अपने अंदर मित्र ढुंढ लेता है उसे बाहर मित्र ढुंढने की आवश्यकता नही पडेगी हमने अपने आप को दुश्मन बना लिया है कोध करके , द्वेष करके , झगड़ा करके छल करके ।
हम अपने आत्मा को हमेशा पॉजिटीव रखकर मित्र बना सकते है हमे हर जगह अपने आप को पॉजिटीव रखने से किसी प्रकार की समस्या ही नही आयेगी हर समस्या का हल हो जायेगा आमावस्या है तो पुर्णिमा भी आयेगी रात्रि है तो दिन भी आयेगी दुख हैं तो सुख भी आयेगी । जो हमेशा पॉजिटीव रहते हैं वे प्रतिकुलता मे भी अनुकुलता ढुंढ लेते है आप श्री कृष्ण जी का जीवन देख लीजिए उनके पास हमेशा प्रतिकुल परिस्थिती आई किन्तु उन्होने उसे अनुकुलता में बदल दिया । एक बच्चा था वह बहुत गरीब था उसके पिता जी मजदूरी करते थे वे उसे हमेशा निगेटिव बात करते थे तुम पढ़ कर क्यों करोगे आखिर तुम्हे मजदूरी ही करना है । वह स्ट्रीट लाईट में पढ़ाई करता था यह देख कर एक आदमी उसे कहते हैं कि तुम अच्छी मेहनत कर रहे हो और ऐसे ही प्रयास करते रहो और उसे हर संभव पढ़ाई से संबंधित हर सहायता की उस बच्चे में पॉजिटीव सोच कुट कुट कर मर गयी और उसने वैसे ही मेहनत भी की एक वह अमेरिका सुप्रसिद्ध वकील बना एंव आगे चलकर वह अमेरिका का राष्ट्रपति बना वो था अब्राहम लिंकन हम किसी पर द्वेष रखते है तो उस व्यक्ति पर हमे निगेटिव बात आयेगी हम मस्तिक में जैसा सोचेंगे वैसा फल मिलेगा ।
हम अगर निगेटिव रहेंगे तो निगेटिव सोच आयेगी पाजिटीव रहेंगे तो पाजिटीव सोचने लगेंगे । यदि आप पाजिटीव रहे तो सास ससुर अपने रिश्तेदारो या अन्य किसी भी व्यक्ति को अपना दुश्मन नही मानोगे । अर्जुन युद्ध के समय थर थर कांपने लगा की मैं जिनसे युद्ध कर रहा हूं वो सभी मेरे परिवार वाले मै इनसे कैसे लड़ सकता हूँ उनके उपर निगेटिव सोच हावी हो रही थी तब श्री कृष्ण जी ने न्यायप्रिय बोध दिया जिससे वे युद्ध के लिए तैयार हुए और वे युद्ध जीत भी गये । ये उनकी पॉजिटीव थिंकिंग का नतीजा है ।
दो भाई थे दोनों एक दुकान में व्यापार करते थे बड़े भाई का काम बाहर का था छोटा भाई दुकान में रहता था बाहर वाले उसे उलाहना देने लगे तुम हमेशा दुकान में रहकर काम करते हो और बड़ा भाई बाहर घुमता रहता है यह बात उसके दिमाग में घर गयी एक दिन वह उसने अपने बड़े भाई को बोला कि अब मैं दुकान में अकेले बैढुंगा बड़े भाई ने कुछ नहीं कहा वह वहा से चले गया बाजार में उसकी अच्छी पहचान थी वहा से बात करके वापस आकर उन्होने नये सिरे से अपना नया व्यापार चालु किया वह कुछ ही समय में बहुत सफल हो गया ( अपने पॉजिटीव थिंक के कारण ) इधर छोटे भाई का व्यापार दिनों दिन कमजोर होने लगा दुकान बंद होने की स्थिति बन गयी ।
वह अपने बड़े भाई के घर गया बड़ा भाई छोटे भाई को देखकर बहुत खुश हो गया बोला क्या बात है किसी प्रकार का समस्या तो नही तो छोटा भाई चरणो मे गिरकर माफी मांगी और रोने लगा तथा अपने व्यवसाय की स्थिति बताई तो बड़े भाई ने कहा तुम क्यो चिंता करते हो मैं तुम्हारा कर्ज पटा दूंगा और दोनो मिलकर साथ काम करने लगे । और व्यापार पुनः अच्छे से चलने लगा । अर्थात किसी के बोलने से हमे अपने परिवार की एकता नहीं छोड़नी चाहिए व्यापार की प्रगति जिसकी पुण्यवाणी से आ रही है चाहे वह दुकान का स्टाफ हो धर्मपनि हो भाई हो या रिश्तेदार हो सकता है ।
एक बच्चा था उसके पिता जी नही थे एक बार एक प्रोग्राम हो रहा था बच्चा छोटा था वह अपनी मां के साथ गया था वंहा पर स्पीच का प्रोग्राम रखा गया था । बच्चे आते सभी बोलते बड़ा आंनद आ रहा था तब छोटे बच्चे के मन में भी बोलने की इच्छा जागृत हुई उसकी मां बोली जा बोल संचालक महोदय बार बार कहने लगा यह नहीं बोल पायेगा मां बोली मेरा बेटा बोलेगा फिर उसे मंच पर बुलाया गया उसे परोपकार विषय पर बोलने को कहा गया उसे उसका मतलब नही मालुम था वह अपनी मां के पास दौड़कर गया और पुछा परोपकार का मतलब क्या होता है मां ने बताया परोपकार का मतलब दुसरो की मदद करना होता है फिर उस छोटे से बच्चे ने स्पीच दिया कि सभी बहुत प्रसन्न हुए और आगे चलकर वह बहुत बड़ा मोटिवेशन स्पीकर बना ।