बिलासपुर (अमर छत्तीसगढ़) विश्व शांति तथा प्राणीमात्र की सुख-समृद्धि व कल्याण की मंगल कामना के साथ श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर क्रांतिनगर बिलासपुर में प्रारम्भ हुआ श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान हवन यज्ञ के साथ संपन्न हुआ। जैन मंदिर में सुबह छह बजे सर्वप्रथम श्री जी अभिषेक और शांति धारा की गयी की गई इस धार्मिक अनुष्ठान के आखिरी दिन विधान के मुख्य पात्रों के साथ शांतिधारा करने का सौभाग्य देवेंद्र सुमनलता जैन, अमित अंशुल जैन, प्रभाष मधु जैन, अनिल सुषमा चौधरी, चेतन ऋषभ जैन, संजय स्वाति जैन, आलोक मनोरमा जैन, अरिहंत स्वाति जैन, शैलेश शालिनी जैन परिवार को प्राप्त हुआ। तदोपरांत विशेष पूजा अर्चना की गई। चूंकि विधान का आखिरी दिन था इसलिए विशेष विशेष रूप से सरस्वती पूजन किया गया।
हवन प्रारम्भ करने के पूर्व बिलासपुर जैन समाज द्वारा छतरपुर से पधारे विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी पंकज भैया का सम्मान किया गया। जिनके सानिध्य में यह अनुष्ठान निर्विध्न एवं सानंद संपन्न हुआ।
विधान प्रारम्भ होने के पूर्व विधानाचार्य जी द्वारा आठ दिवसीय विधान के दौरान सवा लाख जाप करने का संकल्प दिलवाया गया था, लेकिन इन आठ दिनों में समाज के लोगों में भक्ति एवं उत्साह की ऐसी बयार बही कि विधान में शामिल धर्मानुरागियों ने तीन लाख से ऊपर जाप पूर्ण कर ली। बिलासपुर जैन समाज द्वारा विधानाचार्य जी के सम्मान के साथ-साथ विधान में सम्मिलित हुए उन समस्त धर्मानुरागियों के सम्मान किया जो पूरे अनुष्ठान में शामिल हुए, इसके साथ ही दुर्ग से पधारे जय श्री आयल मिल परिवार और जबलपुर से पधारे चावल वाला परिवार का भी सम्मान किया गया।
हवन प्रारम्भ करने के पूर्व विधानाचार्य जी ने कहा कि जैन परंपरा में पूजा, उपासना का विशेष महत्व है, जिनमें से सिद्धचक्र महामंडल विधान की और भी अधिक महिमा है। आठ दिवसीय अनुष्ठान में सिद्धचक्र मंडल पर 2040 अर्घ चढ़ाए गए। उन्होंने इस विधान की महिमा बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो हमारी जीवन के समस्त पाप-ताप और संताप को नष्ट कर देता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को हमेशा समता भाव से कर्म पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, लड़ झगड़ कर नहीं। जब भी मुनि और जिनवाणी का सानिध्य मिले तो देरी न करें, तत्काल उनकी वाणी को ग्रहण करें। मुनिराज के दर्शन व आशीर्वाद से जीवन में काफी परिवर्तन आता है। वही मनुष्य अपने जीवन को धन्य बना सकता है, जो जीवन में निष्कपट भाव से गुरु की सेवा करता है । गुरु के चरण दबाना जरूरी नहीं है, गुरु भक्ति जीवन में सदैव बनी रहे उसके लिए गुरु के गुणों का विस्तार करना जरूरी है। जिन गुरु के सान्निध्य में उन्नति का मार्ग मिलता है, उसकी महिमा करना ही श्रेष्ठ गुरु भक्ति मानी गई है। बिना गुरु की कृपा के मोक्ष मार्ग भी संभव नहीं होता है।
विश्व शांति तथा प्राणीमात्र की सुख-समृद्धि व कल्याण की कामना के साथ विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी पंकज भैया द्वारा हवन यज्ञ विधि विधान संपन्न कराया गया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने यज्ञ में 240 आहुुति दी। इस मौके पर कोरोना और यूक्रेन में मारे गए लोगों समेत विश्व शांति के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर आचार्य विद्यासागरजी के चरणों में कोटिश वंदन करते हुए भजनों के माध्यम से श्रावक-श्राविकाओं ने अपनी भक्ति भावना प्रस्तुत की। आठ दिवसीय आयोजन में भक्ति की बयार बही और आचार्यश्री विद्यासागर के बताए मार्ग पर चलते हुए समग्र समाज के महिला और पुरुषों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाया।