जो मेरा है वह जाएगा नहीं और जो चला गया वह मेरा था नहीं…..बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण लाड में  नहीं होता है, बच्चों का निर्माण संघर्ष और अनुशासन में होता है….जेब में भले ना हो मोबाइल पर चेहरे पर रखिए इस्माइल -“राष्ट्रसन्त श्री ललितप्रभ सागर”

जो मेरा है वह जाएगा नहीं और जो चला गया वह मेरा था नहीं…..बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण लाड में नहीं होता है, बच्चों का निर्माण संघर्ष और अनुशासन में होता है….जेब में भले ना हो मोबाइल पर चेहरे पर रखिए इस्माइल -“राष्ट्रसन्त श्री ललितप्रभ सागर”

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) राजधानी रायपुर के आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में राष्ट्र सन्त श्री ललितप्रभ सागर जी के चल रहे दिव्य सत्संग प्रवचन माला ’जीने की कला’ में ब बड़ी संख्या में पूरे छत्तीसगढ़ बरसे जैन समाज के श्रावक श्राविका उपस्थित हो रे है । रविवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी प्रवचन स्थल पहुंचकर राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी का आशीर्वाद प्राप्त किया । श्री बघेल ने महाराज का प्रवचन सुना तथा उनसे प्रदेश की सुख, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त किया।

गुरुदेव ने समझाते हुए कहा कि मैं अपने नजरिए को हमेशा पॉजिटिव रखूंगा छोटी-छोटी बातों को लेकर मैं अपने मन को कभी खराब नहीं करूंगा । मैं अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखूंगा । विश्वास रखना कभी पांव में जूते ना हो तो ही मंदिर जाना भगवान से कहना पांव में जूते नहीं है तो क्या हुआ और तो है कई लोग ऐसे भी हैं जिनके पांव भी नहीं, चाहे जीवन में कभी भी कैसे भी हो अभाव हमेशा अपने मन में बी पॉजिटिव का वातावरण बनाओ । बड़ी सोच के मालिक बनो, जो मेरा है वह जाएगा नहीं और जो चला गया वह मेरा था नहीं और दूसरी बात जिंदगी में हमेशा अपने स्वभाव को शांत रखो, सोच को हमेशा पॉजिटिव रखो, स्वभाव हमेशा सरल रखो जो व्यक्ति सरल स्वभाव का होता है वह दूसरों के दिलों पर राज करता है ।

तीसरी बात में गुरुदेव ने कहा कि जो सीखना चाहते हो जाते थे सीख लो मैं जब भी बोलूंगा प्रेम से बोलूंगा । आप तप करते ना सोमवार का व्रत मंगलवार का उपवास आप खुद का प्रयोग करके देखो । गुरुदेव ने कहा कि क्रोध के लिए सप्ताह में एक दिन जरूर उपवास रखें, करके देखिए आपको बहुत इससे लाभ होगा ।

उपवास के बारे में बताया अगर किसी ने 30 उपवास किए हैं और एक बार कच्चा पानी चला जाए तो उसको एक उपवास का प्रायश्चित आएगा और यदि 30 उपवास के दौरान एक बार क्रोध आ गया तो 90 उपवास का प्रायश्चित आएगा। इससे हमें या प्रयास करना चाहिए कि हम क्रोध का त्याग करें और सप्ताह में 1 दिन क्रोध का उपवास रखें तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुराता है जो व्यक्ति तकलीफ में मुस्कुराता है वह जीवन की बाजी जीत जाता है ।
राष्ट्रसंत ने कहा कि बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण के संदर्भ में लाड में बच्चों का निर्माण नहीं होता है बच्चों का निर्माण संघर्ष और अनुशासन में होता है । क्रोध को शांत रखने के लिए उन्होंने मुस्कुराने का मंत्र बताया सदा मुस्कुराते नहीं जिस तरह हम फोटो खिंचवाने जाते हैं तो हमेशा मुस्कुराते हैं उसी तरह क्रोध भी आये तो मुस्कुराना चाहिए । गुस्से का अंत करने का मंत्र बताया जब भी क्रोध का वितरण बने अपने आप को अनुपस्थित समझे, जब भी क्रोध आए तो बातों को दूसरी दिशा की ओर मोड़ दे, मुस्कुराने की आदत डालें यदि घर में अपनी इज्जत बनाए रखनी है तो चीखना चिल्लाना क्रोध करना अब शब्दों का प्रयोग करना बंद करें ।

जवानी में गुस्से को बंद कर दो, बुढ़ापे में गुस्से को बंद कर दो । जेब में भले ना हो मोबाइल पर चेहरे पर रखिए इस्माइल ।

मुख्यमंत्री श्री बघेल शामिल हुए राष्ट्र संत श्री ललितप्रभ सागर जी के दिव्य सत्संग प्रवचन माला के कार्यक्रम में

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर के आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में राष्ट्र सन्त श्री ललितप्रभ सागर जी के चल रहे दिव्य सत्संग प्रवचन माला ’जीने की कला’ में शामिल हुए। श्री बघेल ने राष्ट्र संत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज का प्रवचन सुना तथा उनसे प्रदेश की सुख, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त किया।
सकल जैन समाज, श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में डॉ. मुनि श्री शांतिप्रिय सागर जी, महापौर रायपुर श्री एजाज ढेबर, दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री त्रिलोकचंद बरड़िया, श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री विजय कांकरिया सहित के अनेक पदाधिकारी और श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ’हैप्पी थाट्स’ कैलेण्डर का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने छत्तीसगढ़ की पावन धरा में राष्ट्र संतों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि राष्ट्र संत श्री ललितप्रभ सागर जी ने अपने प्रवचन के लिए छत्तीसगढ़ को चुना। हम सभी उनके अनेक प्रवचन पुस्तकों, कैसेट और अन्य माध्यम से सुनते रहते हैं परन्तु आज पहली बार प्रत्यक्ष रूप से उनका सत्संग सुनने का अवसर मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री ललितप्रभ सागर जी ने अपने प्रवचन में इतनी सुंदर बात कही कि क्रोध में कैसे नियंत्रण रखना है, जीवन में किस प्रकार सकारात्मकता बनाये रखना है। इन सब बातों को अपने जीवन में उतारेंगे, विचारों में असमानता का सम्मान करना सीखेंगे तो निश्चित रूप से हम सब का भला होगा। इससे व्यक्ति का, परिवार का, समाज का और पूरे देश का भला होगा।

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