पुण्यवाणी का उदय हुआ और आज मैं भी संयम की मांग की ओर अग्रसर हूं – मुमुक्षु सुश्री सिद्धि नाहर… माता हमेशा यह कहती थी कि हे जीव, सिद्ध बुद्ध मुक्त बनना – मुमुक्षु लाडो

पुण्यवाणी का उदय हुआ और आज मैं भी संयम की मांग की ओर अग्रसर हूं – मुमुक्षु सुश्री सिद्धि नाहर… माता हमेशा यह कहती थी कि हे जीव, सिद्ध बुद्ध मुक्त बनना – मुमुक्षु लाडो

बालोद (अमर छत्तीसगढ़) कार्यक्रम का प्रारंभ समता बालिका मंडल के अभिनंदन गीत एवं समता पाठशाला की बालिकाओं द्वारा जोरदार प्रस्तुति के साथ प्रारंभ हुआ स्वागत भाषण जैन श्री संघ अध्यक्ष डॉ प्रदीप जैन ने किया दीक्षार्थी बहनों ने जो मार्ग अपनाया हैं वह मार्ग बहुत ही कठिन है हम सब उसकी बारंबार अनुमोदना करते हैं …..संजारी विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि धन्य है हमारी छत्तीसगढ़ प्रदेश एवं धन्य है हमारा बालोद विधानसभा क्षेत्र जहां पर दो बहने संयम मार्ग की ओर बढ़ रही हैं मैं आज अपने आप को बहुत ही परम सौभाग्यशाली मानती हूं
मुमुक्षु लाडो ने आगे कहा कि राम गुरु की शरण में जा रही हैं सौभाग्यशाली हूं मेरा परिवार भी धन्य है जहां पर परिवार से कई भाई बहनें दीक्षित हुए हैं ।

जिनशासन को समर्पित हुए हैं आज मेरे पास शब्द नहीं है परिवार व समस्त जैन संघ मेरे लिए परम उपकारी है । माता पिता को कलेजे की कोर को छोड़ना आसान नहीं है लेकिन माता-पिता बहन ने मुझे संयम मार्ग जो हमेशा सहयोग प्रदान किया.. माता हमेशा यह कहती थी कि हे जीव, सिद्ध बुद्ध मुक्त बनना, 22 साल तक परिवार ने मुझे संभाला आज पाल पोस कर मुझे संयम के मार्ग दिये जाने के लिए अपना आशीर्वाद प्रदान कर रही है । यह पल मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात है.. पापा ने भी दीक्षा की आज्ञा प्रदान की दीक्षा मार्ग में जाने कभी कठिनाई उत्पन्न नहीं होने दी ।
छत्तीसगढ़ मानव अधिकार सदस्य, रिटायर्ड हाईकोर्ट रजिस्ट्रार नीलमचंद सांखला ने अभिनंदन समारोह में कहा कि अच्छे कर्म में जाने का मार्ग संयम मार्ग है ,मन को भटकने नहीं देना यह दो बहनों ने गुरुवर की आज्ञा में रहकर सीखा ..जैन धर्म आज त्याग तपस्या के कारण से जाना जाता है , जैन दर्शन सिद्धांत जियो और जीने दो पर टिका हुआ है
धमतरी की मुमुक्षु बहन सुश्री सिद्धि नाहर ने कहा कि गर्भ में जब जीव आता है तो भविष्य में कल्पना नहीं की जाती कि यह जीव क्या आकार लेगा ! हर का सपना होता है कि मैं कुछ बनू लेकिन पुण्यवाणी का उदय हुआ और आज मैं भी संयम की मांग की ओर अग्रसर हूं ..आज भौतिकता की चकाचौंध से दूर मैंने रामगुरु आज्ञा में जाने का जो मार्ग चुना वह मुझे बहुत ही प्रसन्नता की ओर ले जा रहा है ।

बालोद…..
दीपक की रोशनी देखते ही वह हमें वह जगमगाता दिखता है है दीपक मनोरम व आनंदित भी लगता है , हमें आकर्षित करता है बार-बार देखने की इच्छा होती है लेकिन हमारा ध्यान तेल व दीपक की बाती पर नहीं जाता हम उसका अस्तित्व नहीं समझ पाते, ऐसे ही मेरे जीवन में प्रकाशमान जब गुरु के दर्शन हुए एवं गुरु की आज्ञा में चलने का मन आत्मसात करते हुए धीरे-धीरे अग्रसर हुई जिस दिन गुरुवर राम की आज्ञा दीक्षा लेने से मिली तो मेरा मन प्रफुल्लित और आनंदित हुआ.. परिवार वालों ने भी मेरा भरपूर साथ दिया की मैं संयम के मार्ग की ओर बंढू , परिवार का कारण यदि सकारात्मक नहीं रहता तो आज इस और मैं नहीं बढ़ पाती संसार के मार्ग में फंसते हुए चली जाती, संसार का सुख थोड़ा है लेकिन मैं परम सौभाग्यशाली समझती हूं संयम की रही मुझे आत्मिक खुशी मिलेगी.. यह उद्गार आज छत्तीसगढ़ अभिनंदन समारोह के दौरान महेश्वरी भवन के प्रांगण में जैन भगवती दीक्षा की ओर अग्रसर बालोद की लाडली मुमुक्षु यशस्वी ढेलडिया ने कहा
अभिनंदन समारोह के मंच पर उपस्थित गुलाबचंद चोपड़ा जोधपुर, सुभाष कोटडिया शहादा ,गौतम पारख, खेतमल जैन ,बाबूलाल जैन , भीकम चंद जैन आदि उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन भूपेंद्र कोटडिया रायपुर ने किया.. अभिनंदन समारोह में छत्तीसगढ़ प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए गणमान्य नागरिकों ने अभिनंदन पत्र सौप कर दीक्षार्थी बहन का स्वागत अभिनंदन किया… इस अवसर पर महेश नाहटा ,अमर चंद जैन, नथमल गिडिया , दीपचंद सांखला, शंकरलाल जैन , प्रदीप चोपड़ा, राजेश टाटिया ,मनीष कोठारी, दानमल जैन, अनिल यादव, भवानी अग्रवाल, ममता नाहटा, ममता चोपड़ा, मेघा पारख पूजा राखेचा, त्रिशला जैन आदि उपस्थित थे ।

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