जैन संत ने जीवन के परम सत्य का किया” खुलासा
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 29 जुलाई।रत्नत्रय के महान आराधक, परमागम रहस्यज्ञाता, परम पूज्य श्रीमद जैनाचार्य श्री रामलाल जी म.सा.के आज्ञानुवर्ती व्याख्यान वाचस्पति शासन दीपक श्री हर्षित मुनि ने कहा कि छोटे-छोटे परिवर्तन ही आपके मन में “अहो भाव” लाएंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने व्यवहार में थोड़ा सा परिवर्तन लाएं। आपमें आया यह परिवर्तन दूसरों को भी बदल देगा।
समता भवन में चल रहे नियमित प्रवचन के दौरान जैन संत ने जीवन के परम सत्य का खुलासा करते हुए कहा कि न जाने हम कितने भव पार कर चुके हैं। कीट-पतंग, पशु-पक्षी आदि ना जाने हम कितने जन्म ले चुके हैं। हमने बहुत सहन किया तब कहीं हमें यह मानव जीवन मिला है। यह जन्म तो हमने प्राप्त कर लिया लेकिन हमने इस भव को तारने के लिए किया क्या? उन्होंने कहा कि जिन शासन ऐसी चीज है जो आपको मोक्ष गति प्रदान कर सकता है बशर्ते कि आप इसका पालन करें। हम छोटी-छोटी गलतियों में इतना पश्चाताप कर लेते हैं किंतु इस जीवन का, इस कीमती चीज का हम दुरुपयोग कर रहे हैं, इसका पश्चाताप क्यों नहीं करते! जीवन का सदुपयोग करो।
संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि वर्तमान में हम जिनके साथ रह रहे हैं, यह मान लो कि हम उनके साथ हमेशा नहीं रह पाएंगे। उन्होंने कहा कि पागल, पागल को समझदार समझता है, इसलिए पागल के साथ रहने पर पागल बनने का ढोंग करना पड़ता है तभी हम सुरक्षित रह पाएंगे। उन्होंने कहा कि आप समाज में रहना चाहते हैं तो समाज के नियमों का पालन करते हुए जीवन को पार करने के लिए आराधना करना होगा।
संत श्री ने कहा कि चातुर्मास में आपमें परिवर्तन आना चाहिए। आपको बनाना आपके ही हाथ में है। आप अपने में परिवर्तन लाइए । वचन शैली में परिवर्तन लाइए। परिवार में हर चीज पर समभाव की दृष्टि होनी चाहिए। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।