राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 10 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि बच्चों को रोका टोका इसलिए जाता है कि उनमें सुधरने की गुंजाइश ज्यादा होती है। उनकी आयु लंबी होती है और उनका पटल खाली होता है जिसमें आसानी से बातें आ जाती है। उन्होंने कहा कि बिगड़ते तो युवा भी है और बुजुर्ग भी किंतु बच्चों में सुधरने की संभावना ज्यादा होती है। युवा और बुजुर्ग अपनी आदतों पर टिके होते हैं।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में कहा कि रोका टोका उसे जाता है जिसने अपनी मर्यादा समझी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मर्यादा की सीमा लांघनी नहीं चाहिए। लक्ष्य पर निगाह रखनी चाहिए। व्यक्ति के जीवन में संयम जरूरी है। हमें अपने व्यवहार में बड़ों के प्रति संयम लाना जरूरी है। उनकी बातों का सम्मान करना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो प्रकृति भी हमारा साथ देती है। माता पिता आपका हित चाहते हैं। आपके लिए उनका आशीर्वाद दिल से निकलता है, इसलिए वह फलीभूत भी होता है। आप जो भी बोलें सोच समझ कर बोलें।
संत श्री ने फरमाया कि गुरु के मन में हमारा हित छुपा होता है। उन्होंने कहा कि जिस घर में माता-पिता, दादा-दादी की बात को काटते हैं तो यह मान लीजिए कि उनके पुत्र भी उनकी बात को नहीं मानेंगे। जिन दोस्तों के साथ आप समय बिताते हो, बीमार पड़ने पर वे काम नहीं आते केवल माता-पिता ही काम आते हैं। माता-पिता गहरी नीव है। माता-पिता दिल से आशीर्वाद देते हैं और यही आशीर्वाद फलता है। यह हमें शक्ति देती है। उन्होंने कहा कि हम जितने मंसूबे बांधते हैं, वो टूटतें है तो बहुत दुख देते हैं, इसलिए मंसूबे मत पालो। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।