सहन करना सीखिए, आपमे स्वयं ही परिवर्तन आ जाएगा – जैन संत हर्षित मुनि

सहन करना सीखिए, आपमे स्वयं ही परिवर्तन आ जाएगा – जैन संत हर्षित मुनि

कम से कम एक नियम का कड़ाई से पालन कीजिए, सहनशीलता आ जाएगी

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 22 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज यहां कहा कि सहन करना, कहने में सरल लगता है, किंतु इसका पालन करना बहुत ही कठिन है और पालन कर लिए तो आप स्वयं को परिवर्तित पाएंगे। अगर आप सब चीज को प्रभु का दिया मानेंगे तो आपका चित्त प्रभुमय हो जाएगा और आपमें सहन करने की शक्ति आ जाएगी।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि हर चीज प्रभु का दिया माने। हम प्राणी मात्र से मित्रता का भाव रखें तो किसी के कुछ कहने का हमें बुरा नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि जब अपना बच्चा रोता है तो मन दुखता है और बगल का बच्चा रोता है तो सिर दुखता है। आपके भीतर के नेगेटिव भाव को थोड़ा सा कम कीजिए। प्राणी मात्र से मित्रता का भाव रखिए तो सहन करने की शक्ति बढ़ेगी। एक – दो परिवर्तन अपने जीवन में लागू करने का प्रयास अवश्य करें। यदि आपने नियम का कड़ाई से पालन कर लिया तो आप में सहन करने की शक्ति आ जाएगी।
संत श्री ने कहा कि मन और हमारी वित्तियों के बीच स्वच्छंदता घुस गई है। आप अपने मन पर विजय प्राप्त कीजिए। आप अपने नियम पर अडिग रहें। आप अपने मन को कंट्रोल करोगे तो आपमें आत्म विश्वास जगेगा। एक हफ्ते तक किसी भी नियम का पालन करके देखिए और उसमें यदि आप अडिग रहते हैं तो आप स्वयं को परिवर्तित पाएंगे। उन्होंने कहा कि नीति कहती है जो तेरे वश में है, उसे सुधारना छोड़ तू दुनिया को सुधारने चला है, पहले स्वयं को तो सुधार। उन्होंने कहा कि आप अपनी बुराइयों को ढंक रहे हैं, उसे सुधार नहीं रहे हैं। अकेले रहने पर मनन कीजिए, मनन करने पर बुराइयां सामने आएगी जिसे दूर करने का प्रयास कीजिए। आप तो अकेले रहना ही नहीं चाहते हर समय आपका मोबाइल आपके साथ रहता है , तो आप स्वयं को कब सुधारेंगे? उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को करने पर उत्साह रहता है किंतु उसका मध्यम भाग काफी कठिन होता है और यदि इसे व्यक्ति पार कर जाता है तो अंतिम छोर में व्यक्ति स्वयं को परिवर्तित पाता है। उन्होंने कहा कि आप सहनशील बने और अपने में परिवर्तन लाने का प्रयास करें। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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