रायपुर।(अमर छत्तीसगढ़) नानेश स्मृति समता मुकिम भवन शैलेन्द्र नगर में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए जैन संत हेमंत जी म सा ने कहा सारा संसार सुख दुख से भरा पड़ा है। सर्वज्ञ सर्प दर्शी तीर्थकर महावीर ने बताया है सुख दुख को पैदा करने वाले व्यक्ति स्वयं ही है। ये सब हमने ही इसे पैदा किया है। सुखी जीवन में जब विषमताओं पर हमारा ध्यान चला जाता है और परायी वस्तु एवं कार्यों को देखकर हम दुखी हो जाते हैं। यही जीवन की कमजोरी है। इस विषमताओं को जब हम अंदर आने नहीं देंगे तो दुख स्वयं ही भाग जायेगा।
आयोजन के प्रमुख सरोज सुराणा ने हेमंत मुनि के प्रवचन की जानकारी देते हुए कहा कि मुनि श्री ने कहा पूरा संसार विषमताओं से भरा पड़ा है। जहां जहां विषमता आई, वहां वहां क्रांति बढ़ी है। जितनी विषमता बढ़ेगी। उतने अशुभ कर्मों का संचय होगा, दुख होगा। आचार्य नानेश जो समता के मसीहा थे, उन्होंने जीवन में जब जब संघर्ष या विषमता उन्होंने समता भाव (समभावों) से उसे सहन किया। और उन्होंने अपने पुरूषार्थ से समताधारी युग पुुरूष बन गये। उन्होंने समता के वात्सल्य से अपने जीवन को सफल बना दिया।
भगवान पाश्र्वनाथ, भगवान महावीर जब कायोत्सर्ग की साधना करते है तो देवलोक भी उनकी परीक्षा लेने लेने आते और विभिन्न रूप में तरह तरह से भारी यातनाएं देते। पर वे ध्यानस्थ होकर हर गांव के प्रति क्षमा के भाव रखकर दिये। उपसर्ग को टाल देते और देव उन्हें वंदन नमन कर चले जाते। वे मारने वाले के प्रति भी समभाव रखते।
इस अवसर पर विराजित सौरभ मुनि ने कहा परपदार्थो से मोह को हटावे, जैसे जैसे लाभ बढ़ता है, वैसे वैसे लोभ बढ़ता है। लोभ प्रवृत्ति को काबू पा ले तो तनाव मुक्त हो जावेंगे।
आयोजन प्रमुख अशोक सुराणा ने सांध्य दैनिक अमर छत्तीसगढ़ एवं अमर छत्तीसगढ़ डॉट कॉम को