सी. एल. जैन सोना (अमर छत्तीसगढ़, )रायपुर/राजनंादगंाव। छत्तीसगढ़ में 15 वर्ष बाद कांग्रेस के लौटने के प्रयास में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संगठन व प्रदेश अध्यक्ष की महत्वपूण भूमिका संघर्ष के दिनों में जोगी, रमन से सीधे संवाद करते भी दिखते रहे हैं। कांग्रेस में चुनावी घोषणा पत्र की महत्ती भूमिका सरकार स्थापित कराने में कैबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव के द्वारा बनाये गये चुनावी घोषणा पत्र 2018 का विमोचन राजनांदगांव में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया। श्री सिंह देव की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। छत्तीसगढ़ में जातिय समीकरण को लेकर दिखने वाले स्पष्ट संकेत बताने लगे हंै कि अब यहां पिछड़ा वर्ग अनुसूचितजाति, अनुसूचितजनजाति को लेकर ही सरकार बनेगी। यह स्थिति कांग्रेस-भाजपा दोनों में रहेगी। जहां ंसंगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी इन्ही वर्ग से हो सकते हैं। कांग्रेस में ढाई-ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री बनने, बनाने के संकेतों पर पिछले 6 माह से हो रही चर्चाओं में छत्तीसगढ़ कांग्रेस में दो फाड़ के संकेत तो नहीं यह चर्चा भी अब उच्च स्तर पर दबे स्वर में होने लगी है। श्री सिंह देव जब भी दिल्ली प्रवास में रहते हैं, चर्चाओं का दौर सीधे तौर पर उनके कांग्रेस पार्टी हाईकमान से मिलने को जोड़ दिया जाता है। जिस प्रकार से कल चर्चाओं के अनुसार (शिमला के किसी बड़े होटल में आयोजित कार्यक्रम में) कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, शिमला पहुंचे, जहां श्री सिंहदेव की बहन का प्रियंका गांधी से चर्चा गुप्तगु लोगों को ढाई साल को लेकर चर्चाओं का दौर फिर आंतरिक तौर पर शुरू दिख रहा है। पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही पंजाब जैसी सुगबुआहट राजस्थान एवं छत्तीस$गढ़ में भी सत्ता पक्ष व विपक्ष में चर्चाओं में तो दिख रही है। दबे स्वर में यह चर्चा भी राजनीतिक क्षेत्र में एक दो लोग कह रहे हैं कि दुर्ग के पूर्व सांसद ताराचंद साहू, व उनके बेटे को लेकर वे राजनीतक घटनाक्रम से भी जुड़कर मजे लेने का अवसर लोग नहीं छोड़ रहे हैं। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री टी एस सिंह देव का शंखनाद अब मौन दिख रहा है। लेकिन उनके दिल्ली प्रवास को लेकर चर्चाओं का दौर तत्काल शुरू हो जाता है। कहीं ढाई वर्ष का मुख्यमंत्री मामला तो नहीं। वैसे श्री सिंहदेव ने अपने दिल्ली प्रवास को लेकर इसे पारिवारिक तो जोड़ा है, सफाई भी दी है। कांग्रेस के लिए अगर यही सच है तो खतरे की संभावना नहीं है। सत्ता में परिवर्तन के खतरे की संभावना नहीं है। श्री सिंहदेव को उनके चुनावी घोषणा पत्र को लेकर प्रशंसा तो हो रही है। लेकिन जिस ढंग से घटनाक्रम में छत्तीसगढ़ प्रदेश ही नहीं दिल्ली सहित देशभर में राजनीतिक गणना, पिछड़ा वर्ग की सक्रियता लेकर छत्तीसगढ़ में भी दबे स्वर में ही सही यह संकेत मिलने लगे हैं कि भूपेश बघेल की सरकार पिछड़ा वर्ग अनुसूचितजाति, अनुसूचितजनजाति, किसानों, ग्रामीण क्षेत्र को लेकर जिस ढंग से कार्यक्रम योजनाएं बना रही है। कांग्रेस के वापसी संकेत के दिखते हैं। एक कारण यह भी है कि भाजपा के कतिपय वरिष्ठ नेता अगला चुनाव कांग्रेस को हटाने की बात तो कहते हैं। लेकिन अपनी कमजोरी के रूप में भी दबे स्वर में यह कहते नहीं चूकते कि पहले हमें अपना घर भी संभालना है। वीआईपी राजनीतिक दृष्टिकोण से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र व गृह क्षेत्र राजनंादगांव संसदीय क्षेत्र जहां आठ विधानसभा है। 6 में कांग्रेस, 1 में जोगी कांग्रेस और राजनांदगांव विधानसभा से स्वय डॉ. रमन सिंह विधायक है। राजनीतिक दृष्टिकोण से राजनंादगांव जिला एवं संसदीय क्षेत्र का अपना महत्व है। पिछले पांच वर्षों को छोड़ दिया जावे तो राजनंादगांव जिले के खैरागढ़ राज परिवार का दिल्ली हाईकमान एवं नेहरू गांधी परिवार से नजदीकी छुपी नहीं है। लेकिन 70 वर्षों के नेहरू गांधी परिवार से राजनीतिक नाता पांच वर्ष पहले कांग्रेस से तोडऩे वाले अब देवव्रत सिंह जोगी कांग्रेस के विधायक हैं। लेकिन उनका तन, मन कांग्रेस में समर्पित दिख रहा है। कांग्रेस प्रवेश के साथ भूपेश का नेतृत्व स्वीकारने तत्पर दिखते हैं। वैसे भी देवव्रत सिंह सरकार में या पार्टी में भले न हो लेकिन विकास कार्यों को लेकर उनकी सक्रियता मन चाहे अधिकारियों की पदस्थापना सिंचाई, सड़क, बिजली चाहे कोई भी विभाग हो दिखता है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीआईपी जिले राजनंादगांव को आधा दर्जन नेताओं को महत्वपूर्ण पद लाल बत्ती मंत्री का दर्जा देकर नवाजा है। लेकिन इसका लाभ आपस में वैचारिक मतभेदों की वजह से दूरी दिखती है। जहां तक राजनांदगांव जिला व शहर कांग्रेस संगठन की गतिविधियां कई वरिष्ठ एवं निष्ठावान नेता व पार्टी कार्यकर्ताओं की आतंरिक पीढ़ा सामने यदा कदा चर्चाओं में सामने आ जाती है। अब हम राजनंादगांव जिला व संदसीय क्षेत्र को यहीं छोड़कर वापस प्रदेश की छत्तीसगढ़ी की राजधानी की राजधानी में आते हैं जहां पिछले लगभग 6 माह से ढाई-ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री को लेकर चर्चाएं इतनी खुलकर सामने आ गई है कि लगता भी है सत्तापक्ष संगठन में भी चर्चाएं होती है कि कहीं आने वाले समय में कांग्रेस खुलेआम दो फाड़ में तो नहीं दिखेगी। जहां तक कांग्रेस के गुटबाजी के संकेत हैं तो इसे भी प्रदेश में लगभग सभी जिलोंं में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चर्चाओं में दिखती है। इस मामले में राजनांदगांव जिले की खुज्जी विधानसभा क्षेत्र की कांग्रेस विधायिका श्रीमती छन्नी चंदू साहू की स्थिति भी दिखती है कि उन्हें अभी सत्ता संगठन में तवज्जो मिलने के आसार इसलिए भी नहीं दिखते क्योंकि उन्हें सिंहदेव गुट का माना जाता है। आशीर्वांदक भी माना जाता है। प्रमाण भी इस वर्ष मिला। जहां विधायका श्रीमती छन्नी के जन्मदिन पर श्री सिंहदेव हेलीकाप्टर से छुरिया के पास स्थित ग्राम में पहुंचकर जन्मदिन की बधाई दी थी। राजधानी से लेकर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में ढाई-ढाई वर्ष को लेकर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से चल रही है। इसमें छुपा स्थात्व लोग इस रूप में भी बोलते दिखते हैं कि कांग्रेस खुलेआम दो फाड़ तो नहीं होने जा रही है। दो वर्ष बाद चुनाव होने हैं। असंतोष की स्थिति सत्ता पक्ष एवं उसके संगठन में भी दिखती है।सांध्य दैनिक अमर छत्तीसगढ़ एवं अमर छत्तीसगढ़ डॉट कॉम को एक छायाचित्र उपलब्ध कराया गया है, जिसमें श्री सिंहदेव की बहन प्रियंका गांधी से चर्चा करते दिख रही है। देखने वालों की नजर, सोच अलग हो सकती है चित्र शिमला का बताया गया है । छुपा सच कांग्रेस में सबकुछ ठीक तो नहीं दिखता। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टी एस सिंह देव की सगी बहन श्रीमती आशा देवी हिमांचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीर भद्र सिंह के परिवार से जुड़ी है। श्रीमती आशा देवी शिमला में श्रीमती प्रियंका गांधी से चर्चा करते दिख रही है। शेष..फिर आगे