चोपड़ा भवन महावीर जन्म वाचन महोत्सव में 14 स्वप्नों की बोली एवं 108 दीए से महाआरती …….वैशाली नगर में रविवार को प्रवचन में महावीर जीवन पर वाचना की तथा अणुव्रत दिवस पर अणुव्रत की महत्ता बताई

चोपड़ा भवन महावीर जन्म वाचन महोत्सव में 14 स्वप्नों की बोली एवं 108 दीए से महाआरती …….वैशाली नगर में रविवार को प्रवचन में महावीर जीवन पर वाचना की तथा अणुव्रत दिवस पर अणुव्रत की महत्ता बताई

पर्युषण पर्व के पांचवा दिन

बिलासपुर । श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2022 का रविवार को बड़ी संख्या में समाज के लोग सुबह भगवान महावीर जन्म वाचन को बड़े ही धूमधाम से मनाया। विशेष शांति कलश की पूजा, सामायिक, कल्प सूत्र, भक्ति हुए । शाम को प्रतिक्रमण एवं रात्रि में 108 दिए से महा आरती एवं भक्ति की गई ।

जैन समाज के अमरेश जैन ने बताया कि पर्युषण महापर्व के रविवार को तारबाहर स्थित चोपड़ा भवन में भगवान महावीर का जन्म वाचन दिवस मनाया गया । सुबह एवं रात्रि में विशेष पूजा की के साथ 14 स्वप्नों की बोली लगाई गई । पूजन वेशभूषा धारण कर स्तवन कुलनायक पूजा, शांति कलश पूजा, मंगल दीपक सहित कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । समाज की श्रीमती ज्योति चोपड़ा एवं श्रीमती पुष्पा श्रीश्रीमाल द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया । उसके पश्चात रात्रि में जैन समाज के श्रावक एवं श्राविकाओं ने एक से बढ़कर एक भक्ति गीत प्रस्तुत कर पूरे माहौल को भक्ति मय बना दिया ।
इस अवसर पर विमल चोपड़ा, संजय कोठारी, इंदरचंद बैद, संगीता भयानी, ज्योति भयानी, वैभव चोपड़ा, अमरेश जैन, पूर्णिमा सुराणा, निशी चोपड़ा, अंकिता पुंगलिया, पुष्पा बैद, अंजलि मेहता, भव्या, राशि, वंशिका, इच्छा, मौली, नक्श, महावीर, पंखुड़ी, दर्श, जिगर, प्रखर, अदित सहित समाज के लोग उपस्थित थे ।

महावीर जन्म वाचन महोत्सव मे लगी 14 स्वप्नों की बोली

पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन चोपड़ा भवन तारबाहर में भगवान महावीर स्वामी के जन्म वाचन दिवस उत्सव मनाया गया। 14 स्वप्नों की बोली लगाई गई । श्वेत हस्ती की बोली पतासी बाई सुभाष श्रीश्रीमाल, श्री वृषभ की बोली कचरीबाई प्रवीण रूपेश गोलछा, श्री केसरी सिंह की बोली इंदरचंद शितेष बैद, श्री लक्ष्मी जी की बोली कांता नीरज उषा सेंडे, श्री पुष्पमाला नरेंद्र तुषार मेहता, श्री सूर्यमंडल एवं श्री चंद्र मंडल बोली रवीन्द्र सुषमा जंदानी, श्री महाध्वज विमल वैभव चोपड़ा, श्री कुंभ हीरचंद संजीव चोपड़ा, श्री पदम सरोवर शशि रमेश भयानी, श्री देव विमान सुनीता जैन, श्री क्षीरसागर जैनेंद्र अभिनव डाकलिया, श्री रत्नों की राशि त्रिलोक चंद झाबक ने बोली लगाई, निरधून अग्नि प्रमिला देवी अविनाश चोपड़ा । 14 स्वप्नों के अलावा श्री मुनीम जी एवं भगवान को पालने में बिठाने की बोली, पालना झुलाने की बोली, डंका बजाने की बोली जिग्नेश मनोज शाह परिवार, मंगल दीपक संतोष किरण चोपड़ा परिवार को लाभ मिला । कार्यक्रम का संचालन सुभाष श्रीश्रीमाल के द्वारा किया गया ।

जैन श्वेतांबर तेरापंथ संघ के पर्यूषण पर्व
धर्म विद विशारद तेरापंथ के आचार्य श्री महाश्रमण जी की महती कृपा से उपासिका श्रीमती प्रेमलता नाहर अंकलेश्वर से और पुष्पा पगारिया सूरत से दो उपासिका बहने पधारी है और उनके सानिध्य में निर्बाध रूप से
हुलासचन्द गोलछा के निवास स्थान वैशाली नगर में पर्यूषण पर्व की आराधना हो रही है । प्रातः भजन, प्रार्थना योग, रात्रि कालिन सत्र में सती सुलसा का जीवन परिचय दिया गया ।‌
सुलसा का अड़िग विश्वास था महावीर जी पर प्रभु एकबार चंपा नगरी में विराजमान थे। वहां कंपिलपुर नगर का अंबड़ परिव्राजक प्रभु के दर्शन वन्दन करने आया। यह अंबड़ परिव्राजक चंपा नगरी में प्रभु के दर्शन वन्दन पश्चात जब राजगृह जाने के लिए उद्यत हुआ तब , उसके पूछने पर प्रभु ने फरमाया : – राजगृह में सुलसा नामक सम्यक्त्त्व में दृढ़ ऐसी सुश्राविका सुलसा है। उसे धर्म लाभ कहना।प्रभु के मुख से सुलसा के सम्यक्त्त्व की प्रसंशा सुनकर उसे सुलसा की कसौटी लेने का मन हुआ। उसने पहले दिन वैक्रिय लब्धि से ब्रह्मा का रूपअंबड़ ने दूसरे दिन साक्षात विष्णु का रूप धरा। तीसरे दिन अंबड़ ने शंकर का रूप धरा। पर दृढ़ समकिती सुलसा नही गई। चौथे दिन उसने तीर्थंकर का स्वांग रच लिया।अंबड़ ने संदेश भिजवाया कि अब तो वीतरागी जिनेश्वर 25 वे तीर्थंकर खुद पधारे है। अब तो दर्शन करने जाओ।

तब ज्ञाता सुलसा ने कहा : – मेरे भगवान 24 वे तीर्थंकर विरप्रभु तो चंपा नगरी में बिराजमान है। यह 25 वे तीर्थंकर अभी कैसे? 25 वे तीर्थंकर तो कभी होते हीं नहीं । जरूर यह ऐन्द्रजालिक है।
यह बात अंबड़ को पता चली। अपनी सारी माया को समेटकर वह अपने मूल रूप एक श्रावक की विधि से नैषधिकी बोलते हुए सुलसा के घर आये। एक साधर्मिक को अतिथि देखकर सुलसा प्रसन्न हुई। उसने एक श्रावक के रूप में अंबड़ का आदर सत्कार किया।‌ और यही सुलसा जी पंद्रह वे क्रम के निर्मम जी नामक तीर्थंकर बनेंगे ।
फिर स्थूलिभद्र के प्रभाव को बताया कि उनका प्रभाव 84
चौबीसी तक रहेगा।
रविवार को प्रवचन में महावीर जीवन पर वाचना की तथा अणुव्रत दिवस पर अणुव्रत की महत्ता बताई । तथा अणुव्रत को जन जन तक पंहुचाने वाले
आचार्य तुलसी को याद किया ।
तपस्या की कड़ी में
अर्चना नाहर का आज अठाई तपस्या निर्बाध चल रही है औऱ 15 के भाव है । वहीं समाज में छोटी‌ बड़ी तपस्या निरंतर चल रही है।

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