रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। उपाध्याय यशोविजयजी ज्ञान सार ग्रंथ में बताते हैं कि आपको जब तक ज्ञान नहीं होगा तो आप मोह का त्याग नहीं कर सकते हो। आपको मोक्ष प्राप्त करना है तो आपको मोह का त्याग करना होगा। आप क्रम से चलोगे तो ज्ञान अर्जित करोगे। पूर्णता को प्राप्त करने के लिए आपको अपने अंदर मग्नता लानी होगी। मग्नता लाने के लिए आपको स्थिर होना पड़ेगा और स्थिरता लाने के लिए आपको अपने मोह का त्याग करना पड़ेगा। यह बातें सोमवार को न्यू राजेंद्र नगर के मेघ-सीता भवन, महावीर स्वामी जिनालय परिसर में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान गुरुवार को साध्वी श्री स्नेहयशाश्रीजी ने कही।
साध्वीजी कहती हैं कि आपको जो चाहिए पूरा चाहिए जबकि बाहर की सांसारिक दुनिया में सब अधूरा है फिर भी आप यह जानते हुए पूरे की चाहत रखते हो। व्यक्ति संसार के क्षेत्र में पूरा पाना चाहता है। ज्ञानी कहते हैं कि संसार में कुछ पूर्ण नहीं है, नहीं था और न ही रहेगा। जबकि धर्म के क्षेत्र में आपको जो भी मिलता है, वह पूरा मिलता है। ज्ञान तो ठीक है और आपको कैवल्य ज्ञान हो जाए तो आपको सब मिल जाएगा। कैवल्य ज्ञान आपको कहीं भी और कभी भी हो सकता है। खाना खाते समय, सोते समय, ब्रह्मचारी जीवन में या गृहस्थ जीवन में, यह कभी भी आपको मिल सकता है। आपको अपना लक्ष्य निर्धारित रखना है, तब आपको मोक्ष प्राप्त हो सकेगा। लोग सिर्फ दीक्षा लेना चाहते हैं पर वे सुख-साधनों का त्याग नहीं करना चाहते। आपका मन करता है तो आप कहीं भी घूमने निकल जाते हो, जो मन करता है वैसा खा लेते हो, जिससे मिलना है मिल लेते हो हंसी मजाक कर लेते हो पर सहयोग की राह पर आपको यह सब नहीं मिलेगा।
बिना काम के कोई करोड़पति नहीं बन सकता
साध्वीजी कहती हैं कि यहां हर व्यक्ति करोड़पति बनना चाहता है पर उसकी इच्छा अंदर से नहीं होती वह सिर्फ दिखावे की होती है। वहीं, मन से पैसा कमाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति हर दिन अपनी दुकान जाता है। कई बार तो दुकान जाकर पता चलता है कि आज तो हड़ताल है। व्यक्ति सिर्फ सोचता है पर करता नहीं। दुकान तो बहुत दूर की बात है। प्रवचन के दौरान फोन भी आ जाए तो आप उठ कर चले जाते हो। वैसे ही आप किसी अधिकारी, अपने बॉस या किसी मंत्री से मिलते हो तो आप किसी का भी फोन नहीं उठाते हो। वैसे ही परमात्मा के सामने नहीं रहते हो। किसी का फोन आ जाए तो आप मंदिर से भी बाहर निकल जाते हो। सांसारिक सुख पाने आप अपने साधनों की संख्या बढ़ाते हो पर आप यह नहीं जानते कि उतना ही आप अपना दुख बढ़ा रहे हो। आपको पता है कि यह साधन आपको आगे चलकर दुख ही देगा फिर भी आप उसे खरीद लेते हो। ऐसा करके आप पानी पिलोते हो। पानी को आप एक साल तक पिलोओगे तो भी मक्खन नहीं निकलेगा। वैसे ही सांसारिक जीवन में आप सुख की जगह दुख बटोर रहे हो।
पानी कितना भी पिलोओ, मक्खन नहीं नहीं निकलेगा
साध्वी जी कहती है कि पानी को कितना भी पीलोओ, मक्खन नहीं निकलेगा। संसार में दुखों के अलावा कुछ भी नहीं है। आग में हाथ डालो तो यह बुद्धिमानी है या बेवकूफी आप अच्छी तरह से जानते हो, फिर भी आप बार-बार वही गलती करते हो। यह संसार दावानल है। इस संसार में आप सुख ऐसे खोज रहे हो कि जैसे वह आपको आज नहीं तो कल मिल ही जाएगा। एक छोटी सी झोपड़ी में रहने वाला व्यक्ति किसी भी प्रकार का टेंशन नहीं लेता है। वह व्यक्ति अगर बिल्डिंग में या बंगले में रहने लगे तो वह भय में रहेगा कि कहीं चोर लुटेरे उसके घर डाका ना डाल दें। साइकिल चलाने वाले व्यक्ति का पुत्र अगर कार भी खरीद लें और पुत्र अगर पिता को नीचा दिखाने लगे तो ऐसी कार खरीदने का कोई मतलब नहीं है। आपके पास अगर सभी सुख सुविधा हो जाए और आप पूरी दुनिया भी घूम ले तो घूम कर आओ वापस अपने घर ही आओगे। संसार की रगड़ पट्टी में आप फेरा लगाते रह जाओगे पर डेरा नहीं लगा पाओगे।
पंचपरमेष्ठी तप 15 सितंबर से
न्यू राजेंद्र नगर में पहली बार महावीर स्वामी जिनालय में साध्वी स्नेहायशाश्रीजी की पावन निश्रा में 15 सितंबर, गुरुवार से 19 सितंबर 2022 तक पंच परमेष्ठी वर्ण एकासना तप किया जाएगा। श्री जैन श्वेतांबर आध्यात्मिक चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री विवेक डागा जी ने बताया कि इस तप में आपको प्रतिदिन पांच द्रव्य से एकासना करना है। इस प्रकार एक द्रव्य पानी, दूसरा द्रव्य दूध या चाय, अन्य तीन द्रव्य में दो नमकीन और एक मीठा होगा। सभी श्रावकों से अपील है कि वे अधिक से अधिक संख्या में तप के लाभार्थी बनें।