खैरागढ़ विश्वविद्यालय विवाद…… विधायक ने……

खैरागढ़ विश्वविद्यालय विवाद…… विधायक ने……

कुलपति महाविद्यालय का निरीक्षण करें राज्यपाल

राजनंादगांव। (अमर छत्तीसगढ़)  एशिया का एक मात्र राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ स्थित इदिराकला संगीत विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ में नईसरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में बनने के बाद पदमश्री श्रीमती मोक्षदा चंद्राकर डॉ. ममता चंद्राकर को कुलपति का कार्यभार राज्यपाल अनुसूईया उईके द्वारा जारी आदेशों के तहत किया गया। विश्वविद्यालय का पिछले कुछ वर्षों से कुलपति के विरूद्ध विवादों को लेकर मामला शांत रहा है लेकिन पिछले कुछ समय से कुछ आरोप प्रत्यारोप विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कर्मचारियों की पदोन्नति संबंधित परिनियम 14 में आंशिक संशोधन कर पारित प्रस्ताव को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो रहा है। आंतरिक रूप से व परोक्ष रूप से ही विवाद का कारण पदोन्नति से वंचित शीघ्र लेखक कैडर को न्याय दिलाने के उददेश्य से गत 24 सितंबर को कार्यकारिणी की बैठक समिति में प्रस्ताव को लेकर हुआ। बैठक में संबंधित सदस्यों के साथ खैरागढ़ राज परिवार के सदस्य क्षेत्रीय विधायक देव्रवत सिंह भी उपस्थित थे। जानकारी के अनुसार अब विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की पदोन्नति संबंधित परिनियम 14 में आंशिक संशोधन का विरोध हो रहा है। अधिकारिक जानकारी के अनुसार पिछले कुलपति के कार्यकाल के कुछ निर्माण कार्यों में पाई गई गड़बड़ी को लेकर जिला प्रशासन द्वारा शासन स्तर पर उच्च स्तरीय जांच भी चल रही है। चर्चाओं के अनुसार आरोप प्रत्यारोप के मध्य पूर्व कुलपति के कार्यकाल का चिट्ठा भी अब धीरे धीरे कथित तौर पर सामने आते दिख रहा है। 

वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय का ही कर्मचारी संघ कार्यकारिणी की बैठक में लिये गये निर्णय पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कुलपति डॉ. ममता चंद्राकर एवं प्रभारी कुलसचिव इंद्रदेव तिवारी को पत्र दिया है। जिसमें कहा है कि व्यक्ति विशेष को पदोन्नति दिये जाने के लिए परिनियम 14 में किये जा रहे संशोधन को रोका जाना चाहिए। कर्मचारी संघ ने अपनी आपत्ति विभिन्न बिन्दुओं पर लिखित में पेश की है। इस मामले में पूर्व कुलपति से उनका पक्ष नहीं मिला। वहीं दूसरी ओर वर्तमान कुलपति पदमश्री डॉ. मोक्षदा चंद्राकर ने कहा कि कार्यकारिणी की बैठक में परिनियम 14 को लेकर जो भी निर्णय हुआ उसकी चर्चा हुई है। कर्मचारी संघ ने कहा व्यक्ति विशेष को असवैधानिक लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। यह भी बताया जा रहा है कि बैठक में विधायक देवव्रत सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए आपत्ति दर्ज कराई है। मामले की चर्चा जानकारी के अनुसार कल राज्यपाल अनुसूईया उईके समक्ष भी संक्षिप्त रूप से हुई र्ह। इसकी पुष्टि फिलहाल नहीं हुई है ?

सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में गत 24 सितम्बर 2021 को कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित की गई थी । बैठक मे विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कर्मचारियों की पदोन्नति संबंधी परिनियम 14 में आंशिक संशोधन का प्रस्ताव विश्वविद्यालय प्रावधानानुसार रखा गया था ।

 इस संबंध में उक्त प्रस्ताव को कार्यकारिणी समिति में  रखे जाने की आवश्यकता के संबंध मे जानकारी प्राप्त की गई तो पता चला कि पूर्व प्रशासन की तत्कालीन कुलपति परिजन विजय सिंह  की नियम विरूद्ध नियुक्ति ( अधिष्ठाता कला संकाय को चयन समिति का अध्यक्ष बनाकर ) की मदद से सहायक कुलसचिव के पद पर की गई थी । भविष्य में सहायक कुलसचिव के 1 अन्य पद पर सहायक कुलसचिव बनवाकर पूरे विश्वविद्यालय का नियंत्रण अपने हाथों में रखने की योजना तत्कालीन कुलपति द्वारा वर्ष 2013 मे परिनियम 14  मे संशोथन कर  शीघ़लेखक कैडर  को पदोन्नति से ही वंचित कर दिया गया । जबकि पूर्व मे विश्वविद्यालय मे शीघ्रलेखक कैडर के कर्मचारी टी एम जोश एवं रमेश श्रीवास्तव को सहायक कुलसचिव तथा उपकुलसचिव के पद पर पद्दोन्नत किया जा चुका है। तत्कालीन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 2013 मे परिनियम 14  मे संशोधन कर पूरे शीघ्रलेखक कैडर को पद्दोन्नति से वंचित करना एक सोची समझी साजिश है । जबकि पूर्व में दोनो कैडर से पदोन्नति होने के नियम विश्विद्यालय में थे। जानकारी के अनुसार वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा न्याय के आधारभूत सिद्धांत को ध्यान मे रखकर पदोन्नति से वंचित शीघ्रलेखक कैडर को न्याय दिलाने के उद्देश्य से 24 सितम्बर 2021 को कार्यकारिणी समिति की बैठक मे प्रस्ताव 

विचारार्थ रखा गया था ।जिस पर कतिपय मार्गदर्शन के साथ अग्रिम कार्यवाही का निर्णय लिया गया है ।

जानकारी के अनुसार अन्य विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में जहाँ निज सचिव का पद है वहाँ शीघ्रलेखक कैडर के कर्मचारियों को उप कुलसचिव के तक पदोन्नत किये जाने का प्रावधान है यह प्रावधान इस  विश्विद्यायलय में भी था। पूर्व कुलपति प्रो मांडवी सिंह द्वारा कैडर के पदोन्नति के प्रावधानों को ही खत्म कर दिया गया जो कि कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात है। 

ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है जिसके अंतर्गत प्रथम दृष्टया शासन द्वारा रूसा योजना के तहत हुवे निर्माण कार्यो में भारी अनियमितता पाई गई है जिसकी शासन स्तर पर उच्च स्तरीय जाँच जारी है।

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