सिंहदेव से दुर दिखे अधिकांश –  कांग्रेस दो खेमे में दिखने लगा…. वैसे जरूरत विपक्षीय भाजपा को भी…. (अमर छत्तीसगढ़ विशेष)

सिंहदेव से दुर दिखे अधिकांश – कांग्रेस दो खेमे में दिखने लगा…. वैसे जरूरत विपक्षीय भाजपा को भी…. (अमर छत्तीसगढ़ विशेष)

राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीति विशेषकर कांग्रेस सत्ता, संगठन की स्थिति अब दो गुटों में दिख रही है। कल प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता कैबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव का राजनांदगांव आगमन हुआ। विभागीय समीक्षा बैठक में तीन विधायक सहित अधिकांश मंत्री का दर्जा प्राप्त बैंक प्राधिकरण अध्यक्ष दूर दिखे। प्रदेश में ढाई ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री को लेकर कुछ स्थिति चर्चाओं में स्पष्ट होते दिख रही है। दावे भी तथाकथित करने लगे कि नवरात्रि पर्व में मनोकामना ज्योति किसकी जलेगी या जलती रहेगी। चर्चा होने लगी। कांग्रेस भाजपा के व्यवसायिक राजनीतिक नेताओं की आस्था भी पार्टी छोडे जाने की स्थिति मेें उन पर भी ग्रहण लगा दिख रहा है। जो कभी कांग्रेस, कभी भाजपा, फिर कांग्रेस रहा है।

राजनांदगांव शहर व जिले में संभवता भविष्य में कांग्रेस के दो गुट सिंहदेव भूपेश के साथ अलग अलग दिखे तो आश्चर्य नहीं होगा। पदो से उपकृत नेता अधिकांश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ दिखते हैं। कारण चाहे जो भी हो। लेकिन कांग्रेस के तीन विधायक मंत्री पद का दर्जा प्राप्त है। प्राधिकरण बैंक अध्यक्ष सहित अधिकांश उपकृत नेताओं की श्रीश्री सिंहदेव के साथ कल दूरी दिखने लगी। चर्चा जारी है। यह अलग बात है कि जिला कांग्रेस संगठन के अध्यक्ष व शहर कांग्रेस के अध्यक्ष एवं शहर महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती रोशनी डॉ. घनश्याम सिन्हा पार्टीजनों के साथ श्री सिंहदेव के स्वागत में दिखी। कांग्रेस भवन में भी सिंहदेव का स्वागत तो हुआ लेकिन उपकृत नेता अनुपस्थित दिखे। जिले की खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी साहू जो पूरी तरह से सिंहदेव के खेमे ही नहीं उनके साथ दिखती है। वजह अभी उनके उपकृत होने की स्थिति नहीं दिखती।

वहीं खैरागढ़ के जोगी कांग्रेस के विधायक देव्रवत सिंह राजपरिवार के साथ ही कांग्रेस प्रवेश के द्वार पर बैठे असमंजस्य में हैं। वैसे भी राजनंादगांव एवं जिले में तथा संसदीय क्षेत्र की कांग्रेस राजनीति खैरागढ़ परिवार के साथ 70 वर्षों तक रही। राजपरिवार कांग्रेस हाईकमान एवं नेहरू गांधी परिवार के साथ रहा है। लेकिन खैरागढ़ परिवार के राजनीति के तीसरी पीढ़ी की देवव्रत सिंह ने पांच वर्ष पूर्व ही कांग्रेस से नाता तोड़ जोगी कांग्रेस में जाने की वजह से अभी तक अधिकारिक रूप से कांग्रेस के बाहर ही दिखते हैं। वैसे भी राजनांदगांव शहर एवं जिले में भले ही आधा दर्जन मंत्री पद के समकक्ष दर्जा प्राप्त हो लेकिन सर्वमान्य अथवा ऐसा एक भी नेता नहीं दिखता जिसका शहर व जिले में नेतृत्व पार्टीजन सत्ता संगठन स्वीकारें। कांग्रेस की गुटीय राजनीति राजनंादगांव जिले में लगभग आधा दर्जन खेमों में दिखती रही है। ऐसा लगता है कि कल के बाद अब सिंहदेव, भूपेश दो ही गुटों से कांग्रेसी जुड़ते दिखेंगे। ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के दावों का दौर खत्म नहीं हुआ। भूपेश बघेल समर्थक लगभग 40 से अधिक विधायक दिल्ली में हाईकमान के दरबार फिर पहुंचे दिख रहे हैं। कैबिनेट मंत्री श्री सिंहदेव के द्वारा तैयार चुनावी घोषणा पत्र 2018 जिसका विमोचन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजनंादगांव में किया। संभवत: वे भी सिंहदेव को कम आंकने के पक्ष में चर्चाओं के अनुसार नहीं होंगे।

कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र के अभी भी दर्जन भर से अधिक कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों का क्रियान्वयन होना शेष है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण पारदर्शी, लोकतांत्रिक, संवादात्मक, शासन की शुरूवात करनी है। अन्य लक्ष्यों में शराबबंदी, पेशा कानून, लोकपाल, विशेष सुरक्षा कानूनन, पुलिस सुधार, फुड पार्क, इंटरजनरेशन एक्विटी, सिंचित क्षेत्र होगा दुगना, संपत्ति कर में राहत, विद्यार्थियों को सुविधाएं, घर पहुंच सरकार सेवा इत्यादि प्रमुख है। वैसे छत्तीसगढ़ में 15 वर्ष के बाद कांग्रेस की सरकार का सत्तारूढ़ होने में विपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को श्रेय जाता है, तो कैबिनेट मंत्री सिंहदेव की सक्रियता उनके द्वारा बनाया गया चुनावी जन घोषणा पत्र भी कांग्रेस को सत्ता सौंपने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी प्रशंसा स्वयं राहुल गांधी ने भी की। चुनाव में भूपेश एवं सिंहदेव की महत्वपूर्ण भूमिका सरकार लाने में रही। संभवत: स्थितियां ऐसी निर्मित हुई होगी, जिसमें ढाई ढाई साल सीएम की बात आई हो। वैसे चर्चाओं के अनुसार इसे सीधे इंकार तो नही ंकिया जा सकता।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के पद की दौड़ में ताम्रध्वज साहू, डॉ. चरण दास महंत भी थे। चार में से फाइनल में दो सिंहदेव, भूपेश बच गये, तभी तो छग विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने कहा कि दो लोग मुख्यमंत्री बनने (सिंहदेव, भूपेश) फाईनल में पहुंचे है। प्रदेश में 15 वर्ष बाद कांग्रेस सरकार में लौटी। कांग्रेस ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री के लेकर सड़कों पर विशेषकर दिल्ली हाईकमान व गांधी परिवार के दरबार के साथ छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया के बंगले में फिर पहुंच गई है। भारी बहुमत से सत्ता में पहुुंची कांग्रेस अब स्वयं प्रदेश में दो गुटों में बटी होने का एहसास प्रदेशवासियों को कराते दिख रही है। भूपेश समर्थकों का दिल्ली पहुंचना उन चर्चाओं को बल दे रहा है। जिसमें कहा जा रहा है कि नवरात्र पक्ष में इसका पटाक्षेप हो सकता है ? राहुल, सोनिया, प्रियंका गांधी सभी की नजर है। पंजाब को लेकर चर्चा भी हो रही है। तीन वर्ष का भूपेश कार्यकाल पूरा भी होने जा रहा है। सिंहदेव भी आसान्वित दिख रहे हैं। चर्चाओं में कि अवसर मिलेगा। अवसर चाहे जिसे भी मिले स्थितियां यथावत, पूर्णवत अथवा परिवर्तन वाली रहे लेकिन कांग्रेस का दो फाड़ राजनीति को मजबूत करते दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर 15 वर्ष सरकार में रही विपक्षीय भारतीय जनता पार्टी भी सरकार में आने इतनी मजबूत नहीं दिखती। उनके पार्टी के कतिपय वरिष्ठ नेताओं की माने तो हमें अपना घर भी संभालना होगा।

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