रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 27 अगस्त।
तेल, बाती और दीया जलता है और कहा जाता है दीपक जल रहा है। यही हमारे जीवन में हो रहे कार्य समायोजन की वास्तविकता है कर्ता कोई और है और कहा जाता है कुछ और। लेकिन जो सच्चा या निश्छल कर्ता होता है उसे इसे फर्क नहीं पड़ता वह हर परिस्थिति में समभाव रखता हुआ कहता है जो हो रहा है वह अच्छे के लिए हो रहा है। जितनी विनम्रता रहेगी निश्चित ही व्यक्ति का विकास उतना अधिक संभव होगा। मंगल भावना मिलती है हृदय की गहराई से जिसमें किसी प्रकार का अर्थ समायोजन नहीं होता।
दुआ दी नहीं जाती ली जाती है उक्त प्रेरणा पाथेय रायपुर तेरापंथ अमोलक भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी, समणी डॉ. मानसप्रज्ञा जी ने दो माह के प्रवास संपन्नता की ओर गतिमान हेतु आयोजित दिनांक 27/08/2023, रविवार को मंगल भावना समारोह में कही। आयोजन में समणी वृंद द्वारा प्रवास काल में आयोजित विभिन्न आयोजनों को चलचित्र माध्यम से प्रदर्शित किया गया। विभिन्न वक्ताओं ने अपनी मंगल भावनाए व्यक्त की। तेमम द्वारा भव्य नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से प्रवास काल की झांकी प्रस्तुत की। तेयुप व किशोर मंडल द्वारा सुमधुर मंगल गीतिका प्रस्तुत की।