रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 17 जुलाई। खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभ सूरि जी द्वारा प्रतिष्ठित चमत्कारी श्री जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी , भैरव सोसायटी में प्रथम दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरि जी की 870 वीं पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई । श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष बैद व महासचिव महेन्द्र कोचर ने बताया कि एक लाख तीस हज़ार अजैनों को जैन बनाने वाले एकावतारी युगप्रधान दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरीश्वर जी की पुण्यतिथि के अवसर पर दादागुरुदेव की बड़ी पूजा भक्ति भाव से की गई ।
प्रथम दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरि जी की गुणानुवाद सभा में अध्यक्ष संतोष बैद ने कहा कि 12 वीं शताब्दी में जब भारत में मुगल साम्राज्य द्वारा मंदिर व मूर्तियों को खंडित किया जा रहा था उस समय सुप्रसिद्ध जैन आचार्य श्री जिनदत्त सूरि जी ने अपने तपोबल व साधना से धर्म की रक्षा की ।
एक समय उज्जैन में उनके प्रवचन के समय 64 योगनियां श्राविका का रूप कर दादा जिनदत्त सूरी को कपट पूर्वक तंग करने आई जिसे अपने दिव्य ज्ञान से जानकर उन्हें मंत्र बल से उनके आसन में ही स्तंभित कर दिया जिससे 64 योगनियों ने नतमस्तक होकर आचार्य श्री को 7 वरदान दिए तथा इन सभी सिद्धियों का जनहित में प्रयोग कर मुगल बादशाह को प्रभावित किया ।
एक बार नगर में चतुर्मास प्रवेश के समय मुगल बादशाह के पुत्र कि घोड़े से गिरकर मृत्यु को हो गई तब आचार्य श्री ने बादशाह के पुत्र को अपने सिद्धिबल से व्यंतर देव को उनके शरीर में प्रवेश करा कर जीवित कर दिया तथा बादशाह ने पुत्र के जीवित हो जाने की खुशी में अपने राज्य में दादा श्री जिनदत्त सूरी के उपदेश से सभी मंदिर मूर्तियों को खंडित नहीं करने का आदेश जारी कर दिया ।
अजमेर में जैन प्रतिक्रमण में शाम को बिजली का प्रकोप हुआ अनेक धर्म प्रेमी को बचाने बिजली को अपने पात्र में स्तंभित कर दिया तब विद्युत देवी ने वरदान दिया की जिनदत्त सूरी की आन है कहने से विद्युत प्रकोप नही होगा । दादागुरुदेव की बड़ी पूजा में अष्ठप्रकारी पूजा में वर्द्धमान चोपड़ा , निर्मल पारख , डॉ योगेश बंगानी , दीप्ति बैद , मंजू कोठारी , ममता नाहर , सरला बैद सहित श्रद्धालुओं ने भाग लिया । अंत में आरती व मंगल दीवा किया गया ।