गोड़ादरा स्थित महावीर भवन में चातुर्मासिक प्रवचन
सूरत(अमर छत्तीसगढ) 23 अगस्त। जीवन में हमेशा दान देने की भावना रखनी चाहिए क्योंकि दान करने से धन कभी कम नहीं होता है बल्कि उसके पुण्य से बढ़ता ही है। लक्ष्मी को चंचला कहा गया है वह एक जगह टिकती नहीं है। इसलिए जब तक हमारे पास धन है उसका दान के माध्यम से सदुपयोग करना चाहिए।
हमे मम्मण सेठ जैसा नहीं बनना है जिसके पास 96 करोड़ का माल था फिर भी उसने एक रूपए का दान नहीं दिया था। ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने शुक्रवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आठ तरह के खड्डे होते है जिनमें एक खड्डा पेट का होता है जो कभी नहीं भरता। खाना खाने के कुछ समय बाद फिर भूख महसूस होती है। ऐसे में जो काया को कष्ट देकर तपस्या करते है वह अनुमोदनीय ओर वंदनीय है।
तपस्या तपस्वी की आत्मा का पोषण करती है। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि संसार सागर से पार लगाने वाले चार शरणा है। इनकी शरण लेकर ही मोक्ष में पहुंच सकते है। सोने से पहले ओर जागने से पहले भी चार शरणा का स्मरण करते रहना चाहिए। कोई भी कार्य करने से पहले नवकार महामंत्र का शरणा अवश्य लेकर उसका उच्चारण करना चाहिए।
मांगलिक में 127 एवं नवकार मंत्र में 35 अक्षर होते है। इनकी शरण लेने वाला भवसागर पार कर जाता है। जो चार शरणा की शरण में गए बिना संसार सागर से मुक्ति नहीं मिल सकती है। धर्मसभा में रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा.,तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा.,सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा।
पर्युषण से पूर्व त्याग-तपस्या की लगी होड़
महासाध्वी मण्डल की प्रेरणा से चातुर्मास में धर्म साधना व त्याग तपस्या की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के आगमन से पूर्व ही त्याग तपस्या की होड सी लगी है। प्रवचन हॉल शुक्रवार को उस समय तपस्वी की अनुमोदना के जयकारों से गूंजायमान हो उठा जब पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से सुश्राविका शिमलाजी सांखला ने 30 उपवास,कुसुम बेन डांगी व ममता सहलोत ने 11-11 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। तपस्वियों का श्रीसंघ की ओर से सम्मान भी किया गया।
कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला,बेला, उपवास,आयम्बिल, एकासन आदि तप के भी प्रत्याख्यान लिए। पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. ने सभी तपस्वियों के प्रति मंगलभावनाएं व्यक्त की। पर्युषण पर्व में तप आराधना को प्रोत्साहित करने के लिए तीन प्रकार के कूपन श्रावक-श्राविकाओं को प्रदान किए जाएंगे।
इनमें उपवास की अठाई करने वालों को डायमंड कूपन, आयम्बिल अठाई करने वालों को गोल्ड एवं एकासन की अठाई करने वालो को सिल्वर कूपन प्रदान किए जाएंगे। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के उपाध्यक्ष राकेश गन्ना ने किया। चातुर्मास में प्रतिदिन प्रतिदिन सुबह 8.45 से 10 बजे तक प्रवचन एवं दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहे है।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, लिम्बायत,गोड़ादरा,सूरत
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प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627