आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला जुग जुग जियो का दूसरा दिन
हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 23 अगस्त। दुनिया में आज तक कोई ऐसा दाता नहीं हुआ जिसने किसी की झोलियां सुखों से भरी हो। भगवान महावीर का धर्म पुरूषार्थ का धर्म है। पुरूषार्थी को उसकी योग्यता होने पर बिना मांगे ही मिलता है। अपने को योग्य बनाओ क्योंकि झोलियां वह फैलाते जिन्हें स्वयं पर या परमात्मा के धर्म पर विश्वास नहीं होता है। जिनशासन कहता मेहनत करने के बाद भी नहीं मिले तो किसी को दोष मत देना हमारे कर्म जिम्मेदार है। हमारी जिंदगी में दुःख व सुख के कर्ता व हर्ता हम ही है।
ये विचार शुक्रवार को श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘जुग जुग जियो’ के दूसरे दिन व्यक्त किए। इस प्रवचनमाला के साथ 100 से अधिक श्रावक-श्राविकाएं बियासना तप की आराधना भी कर रहे है।
पूज्य मुनिश्री ने कहा कि अपनी जिंदगी का लेखाजोखा जांचे ओर देखे कि परेशान करने वाले ज्यादा है या मदद करने वाले ज्यादा है। यदि जिंदगी में सुख टिकता नहीं ओर दुःख बिना बुलाए आ जाता है तो समझना वतिया नामक विराधना है। वतिया या ढंक देना या छुपा देना। ऐसा होने पर दुआ देने वाले कम बद्दुआ देने वाले अधिक मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि जब-जब छुपा देने का गुनाह हमसे होता है आशीर्वाद लेने का सामर्थ्य कम होता जाता है। जब हम उपकारियों के उपकार भूल जाते है या उसे छुपाने का प्रयास करते है तो वतिया नामक पाप करते है। उपकार करने वालों को हमेशा याद रखे अन्यथा जिंदगी में बद्दुआ देने वाले आ जाते है। वतिया का पाप जिंदगी में नहीं हो तो मदद देने वाले ढूंढते हुए आते है।
समकितमुनिजी ने कहा कि इच्छाकारणं का पाठ आशीर्वाद पाने का पाठ है। इसकी आराधना कर एवन्तामुनि मोक्ष पहंुच गए। इस मंत्र की सही ढंग से सम्यक आराधना हो जाए तो आशीर्वाद की बारिश होने लग जाए। इस मंत्र की आराधना से अनंत सुख मिलता है। शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘गुरूवर के हर वचन पर जीवन को ढालना है’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
पूज्य समीरमुनिजी प्रेरणास्रोत जिन्होंने हिंसक को अहिंसक बनाया
प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि जैेनियों के दुश्मन कोई ओर नहीं स्वयं ही बने हुए है। आजकल अपने ही धर्म वालों की नेमप्लेट बदलवाने के भी प्रयास किए जाते है ओर उन्हें अपनी तरफ आने का ऑफर भी दिया जाता है। ऐसे लोगों को पूज्य समीरमुनिजी म.सा. से प्रेरणा लेनी चाहिए जिन्होंने हिंसावृति से जुड़े लोगों को अहिंसक बना जिनशासन के साथ जोड़ने का महान कार्य किया। जो अनजाने में हिंसा को ही धर्म समझते थे ओर खानपान भी शुद्ध नहीं था उन्हें प्रेरणा देकर सही मार्ग पर लाने का प्रयास किया। उन्हें इंसानियत के धर्म से जोड़ा तो हिंसा से दूर होते चले गए।
ऐसे हजारों परिवारों को जोड़ वीरवाल समाज की स्थापना की। हिंसा छोड़ मानवता, दया व अहिंसा से जुड़ने वाला वीरवाल कहलाया। चित्तौड़गढ़ के अहिंसानगर में इन परिवारों के बच्चों के रहने व शिक्षा की व्यवस्था भी की है। जैन समाज के भामाशाहों को ऐसे केन्द्रों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
प्रवचनमाला पापा की परी के बैनर का विमोचन
प्रवचन में श्रावक-श्राविकाओं ने तेला, उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया। चातुर्मास में 28 से 31 अगस्त तक परिवार मे पिता-पुत्री के रिश्ते को महत्व को प्रदर्शित करने वाली प्रवचनमाला पापा की परी का आयोजन होगा।
प्रवचनमाला के बैनर का शुक्रवार को पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में विमोचन संघ के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। इस प्रवचनमाला में परिवारसहित आने की प्रेरणा दी जा रही है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627