भारत निर्वाचन आयोग ने 20 साल पुरानी EPIC नंबरों की समस्या का समाधान किया

भारत निर्वाचन आयोग ने 20 साल पुरानी EPIC नंबरों की समस्या का समाधान किया


बेमेतरा(अमर छत्तीसगढ), 13 मई । भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों की समानता से जुड़ी दो दशकों पुरानी समस्या का सफल समाधान कर लिया है। यह समस्या वर्ष 2005 से चली आ रही थी, जब विभिन्न निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ) द्वारा अल्फान्यूमेरिक श्रृंखला में समानता के कारण वास्तविक मतदाताओं को गलती से एक जैसे ईपीआईसी नंबर जारी कर दिए गए थे।


इस जटिल समस्या को हल करने के लिए ईसीआई ने देशभर के 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं के पूरे डेटाबेस की गहन जांच की। इस प्रक्रिया में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, 4,123 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और 10.5 लाख मतदान केंद्रों की जानकारी को शामिल किया गया।
जांच के दौरान यह पाया गया कि यह समस्या व्यापक नहीं थी और औसतन चार मतदान केंद्रों में केवल एक ईपीआईसी नंबर की समानता देखी गई। क्षेत्रीय स्तर पर सत्यापन से यह स्पष्ट हुआ कि समान ईपीआईसी नंबर वाले सभी मतदाता वास्तविक हैं, और वे भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों तथा मतदान केंद्रों में पंजीकृत हैं। आयोग ने सभी प्रभावित मतदाताओं को नए नंबरों के साथ ईपीआईसी कार्ड पुनः जारी कर दिए हैं।


इस समस्या की शुरुआत वर्ष 2005 में हुई, जब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा विकेंद्रीकृत ढंग से निर्वाचन क्षेत्र-विशिष्ट अल्फान्यूमेरिक श्रृंखलाओं का उपयोग किया गया। 2008 में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद इन श्रृंखलाओं में आवश्यक परिवर्तन किए गए, किंतु कुछ क्षेत्रों में पुरानी श्रृंखलाओं का उपयोग जारी रहा या टाइपिंग में हुई त्रुटियों के कारण गलत श्रृंखलाएं प्रयोग में लाई गईं।


ईसीआई ने यह स्पष्ट किया है कि समान ईपीआईसी नंबर के कारण किसी भी मतदाता को गलत मतदान केंद्र पर मतदान करने की अनुमति नहीं मिली। प्रत्येक मतदाता का नाम केवल उसके निवास क्षेत्र के संबंधित मतदान केंद्र की मतदाता सूची में ही दर्ज होता है।

अतः इस तकनीकी त्रुटि का किसी भी चुनाव के परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।निर्वाचन आयोग द्वारा की गई इस व्यापक कार्रवाई से मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पारदर्शिता में और अधिक मजबूती आई है।

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