बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) । श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2024 का रविवार की सुबह विशेष पूजा, सामायिक, कल्प सूत्र का वाचन, शाम को प्रतिक्रमण एवं रात्रि में बच्चे, महिलाओं, पुरुषों के द्वारा कई जैन धार्मिक भक्ति प्रस्तुत किया गया । भक्ति गीतों में नवकार धुन मंत्र……ओ दादा तेरी रहमतों का दुआ….. जनम जनम का साथ है…… पारसनाथ आपके चरणों में….. भक्ति की है रात बाबा आज थाने आणो है….जैसे कई भक्ति प्रस्तुत किए गए ।.पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन नेहरू नगर में श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ द्वारा कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए ।
समाज की श्रीमती शोभा मेहता, श्रीमती ज्योति चोपड़ा एवं श्रीमती पुष्पा श्रीश्रीमाल द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया । रात्रि में भक्ति संध्या में समाज की महिलाओं ने एवं बच्चों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया । कविता मुनोत के द्वारा रात्रि में धार्मिक गेम करवाया गया। रात्रि में प्रवीण गोलछा, कविता मूनोत, सुनीता जैन, रानी, शिल्पी डाकलिया ने भक्ति गीतो से पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया ।समाज के कई परिवारों में तपस्या चल रही है ।
पर्यूषण पर्व पहले दिन शाम की मूल नायक भगवान के आरती की बोली हीरचंद संजय कुमार एवं परिवार, मूल नायक भगवान के मंगल दीपक की बोली श्रीमती कचरी देवी प्रवीण कुमार एवं परिवार, दादा गुरुदेव के आरती एवं मंगल दीपक की बोली सुभाष चंद अनुराग श्रीश्रीमाल एवं परिवार ने लाभ लिया। पर्यूषण पर्व दुसरे दिन सुबह की शांति कलश एवं आरती की बोली दिनेश मलय मुणोत एवं परिवार के द्वारा लिया गया ।
इस अवसर पर समाज के संरक्षक विमल चोपड़ा, नरेंद्र मेहता, इन्दरचंद बैद, सुभाष श्रीश्रीमाल, मलय मुनोत, संजय छाजेड़, अमिता गोलछा, शिल्पी डाकलिया, संगीता चोपड़ा, अपेक्षा चोपड़ा, निशी चोपड़ा, अंजली मेहता, मीनू मेहता एवं जैन श्वेतांबर श्री संघ द्वारा समाज के वरिष्ठ जनों के उपस्थिति में उक्त आयोजन को बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया ।
मोक्ष पाने के लिए हमें एकाग्रचित होना जरूरी है – जागृति बेन एवं जिग्ना बेन (टिकरापारा)
श्री दशाश्रीमली स्थानकवासी जैन संघ टिकरापारा के सचिव गोपाल वेलाणी ने बताया कि आज से पर्वधीराज पर्युषण महापर्व शुरू हो गया है गुजराती जैन समाज में पर्युषण महापर्व का पहला दिन बड़े ही उत्साह और आनंद के साथ शुरू किया गया जिसे सुबह 6:00 बजे भगवान आदिनाथ जी की प्रार्थना की गई तत्पश्चात 9:00 से 10:30 बजे तक जागृति बेन शाह एवं जिग्ना बेन सेठ द्वारा प्रवचन दिया गया एवं समाज के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा पर्युषण महापर्व का स्वागत नित्य द्वारा किया गया ।
प्रवचन में बताया गया कि मोक्ष पाने के लिए हमें एकाग्रचित होना जरूरी है यदि मनुष्य एकाग्रता के साथ साधना करता है तो जरूर भगवान तक उनकी वाणी पहुंचती है जिससे कि मनुष्य के द्वारा मोक्ष प्राप्ति आसान हो जाती है और मनुष्य को एकाग्रता लाने के लिए अपने मन को शांत करना पड़ता है दीदी ने कहा जैसे पारसमणी यदि लोहा में छुआया जाए तो वह लोहा स्वर्ण धातु का बन जाता है उसी प्रकार यदि मनुष्य एकाग्रचित होकर प्रभु का स्मरण करें , प्रभु का ध्यान करें, प्रभु की साधना करें तो उसे प्रभु अवश्य मिल जाते हैं और प्रभु का मिलना ही मोक्ष प्राप्त कर लेना होता है।
आज के कार्यक्रम में समाज के अध्यक्ष भगवान दास भाई सुतरिया, मनुभाई मिठाणी, गुलाब तेजाणी, खुशाल तेजाणी, शरद दोशी, दर्शित तेजाणी, दीपक सुतारिया, किशोर देसाई, हेमंत सेठ, दीपक गांधी, कीर्ति गांधी, शोभना सुतारिया, हेमा तेजाणी, उर्मिला तेजाणी, हेनी, हिती, हनी, झील, वंशिका, अर्हम, दक्ष, आदि बहुत बड़ी संख्या में समाज के सभी उपस्थित थे।
पर्युषण के प्रथम दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया (वैशाली नगर)
परम श्रेध्य आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञा से पर्युषण पर्व में धर्माराधना करने हेतु सूरत से प्रवक्ता उपासिका बहन श्रीमति मंजू सेठिया एवम सहायक उपासिका बहन श्रीमती जयंती सिंघी बिलासपुर पधारे है। पर्युषण के प्रथम दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया। खाद्य संयम दिवस पर उपासिका जी ने बताया कि खाने में विवेक रखना जरूरी है, साथ ही प्रवक्ता बहन श्रीमति मंजू सेठिया ने बताया कि कालचक्र में कितने आरे होते है। भगवान महावीर के जीवन के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि धन का संचय तो सभी करते है, धर्म का संचय कैसे करें ये समझना भी जरूरी है। जिस प्रकार हम हमारे धन की और शरीर की सुरक्षा करते है वैसे ही आत्मा की सुरक्षा करना भी जरूरी है। श्रीमति ललिका मालू धर्मपत्नी सुरेंद्र मालू के 54 दिन की कंठी तप की तपस्या चल रही है, जिसमे आज 47वां दिन सातापूर्वक गतिमान है।
आज के प्रवचन में सुरेन्द्र मालू, चंद्रप्रकाश बोथरा, बिनोद लुणीया, प्रदीप दुगड़, अनिल सिंघी, कन्हैया लाल जी बोथरा, अंकित जैन, सुमित बोथरा, मेहुल छल्लानि, संगीता बरड़िया, श्रीमती अंजू गोलछा, कुसुम लुनिया, ललिका मालू, सुनीला नहर, भावना बोथरा, शांति दुगड़ एवं सोनल नहर आदि उपस्थित थे।