पर्युषण पर्व के तीसरे दिन
बिलासपुर (अमर छत्तीसगढ) 3 सितंबर। श्री जैन श्वेतांबर श्री संघ समाज द्वारा नेहरू नगर, स्थानकवासी उपाश्रय टिकरापारा, वैशाली नगर में तेरापंथ समाज के द्वारा परम पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व 2024 मंगलवार को सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया । सुबह विशेष पूजा, सामायिक, कल्प सूत्र का वाचन मे पांचवा सूत्र जिसमें पुष्पमाला के बारे में बताया गया । रात मे प्रतिक्रमण एवं रात्रि में बच्चे, महिलाओं, पुरुषों के द्वारा कई जैन धार्मिक भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया । साथ ही धार्मिक प्रतियोगिताएं भी कराई गई । सभी तपस्वियों की सुख साता पूछी गई ।
पर्युषण महापर्व के मंगलवार को नेहरू नगर स्थित कार्यक्रम स्थल में सुबह पूजन की वेशभूषा धारण कर स्तवन कुलनायक पूजा, मंगल दीपक सहित कई धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । समाज की श्रीमती ज्योति चोपड़ा, श्रीमती पुष्पा श्रीश्रीमाल एवं श्रीमती शोभा मेहता द्वारा कल्प सूत्र का वाचन किया गया । पर्युषण पर्व में समाज के प्रत्येक घरों में तपस्या चल रही है। जिसमें एकासना, ब्यासना और भी कई कठिन तप किए जा रहे हैं । सभी तपस्वियों के तप की बहुत-बहुत समाज द्वारा अनुमोदना करते हुये तपस्या की सुख साता पूछी गई और उनके स्वास्थ्य की मंगलकामना सभी ने की ।
पर्यूषण पर्व तीसरे दिन शाम की बोली मूल नायक भगवान के आरती की बोली सुश्री सुनीता जैन, मूल नायक भगवान के मंगल दीपक की विमल वैभव चोपड़ा, दादा गुरुदेव की आरती एवं मंगल दीपक की बोली रविंद्र जनदानी l पर्यूषण पर्व चौथे दिन सुबह का शांति कलश एवं आरती की बोली शशि रमेश भयानी एवं परिवार ने धर्म लाभ लिया । श्रीमती रानी डाकलिया द्वारा धार्मिक प्रतियोगिता कराई गई।
इस अवसर पर विमल चोपड़ा, नरेंद्र मेहता, सुभाष श्रीश्रीमाल, इंदरचंद बैद दिनेश मुणोत, प्रवीण कोचर, राजेश परसवानी, शैली, ज्योति कोचर, राखी डाकलिया, मीनू मेहता, पुष्पा श्रीश्रीमाल, अपेक्षा चोपड़ा, किरण चोपड़ा, राशि, पंखुड़ी, प्रखर सहित समाज के लोग उपस्थित थे।
पूनम तेजाणी 25 वा, आयुषी सुतारिया को तेला उपवास, रोज 30 से 35 लोगों ने किया एकासना तप (टिकरापारा)
गुजराती जैन समाज में आज बहुत ही उत्साह भरा दिन रहा जिसमें सवेरे 6:00 बजे भक्तामर स्रोत किया गया। उसके पश्चात 24 तीर्थंकर की गेम खिलाई गई। इसमें समाज के सभी लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया फिर एक साधना कक्ष बनाया गया है, जिसमें समाज के सभी एक-एक करके उस ध्यान कक्ष में जाकर मंत्र उच्चारण करते हैं। समाज के जितने भी लोगों ने मंत्र उच्चारण किया हो उनको दूसरे दिन सांत्वना पुरस्कार दिया जाता है।
आज जागृति दीदी और जिगना दीदी के द्वारा जैन धर्म की पवित्र पुस्तक आगम सजाओ प्रतियोगिता रखा गया है। जिसमें समाज की कई महिलाओं ने भाग लिया है साथ ही साथ नवकार मंत्र लेखन पुस्तिका दी गई है । इसमें रोज नवकार मंत्र लिखना है और उसकी बुक को पूरा भरकर देना है। इसके अलावा भी प्रवचन के साथ-साथ छोटी-छोटी धार्मिक गेम खिलाया जाता है। जिसे पूरा समाज उत्साह के साथ हिस्सा लेता है और खेल-खेल में ही धर्म का ज्ञान भी प्राप्त कर लेते हैं।
आज समाज में दो बड़ी-बड़ी ताप हो रहे हैं जिसमें पहले पूनम बेन तेजाणी को आज 25 वा उपवास है और आयुषी बेन सुतारिया को तीसरा उपवास है। और लगभग रोज 30 से 35 समाज के लोगों ने एकासना तप कर रहे हैं एकासना तप के लिए समाज के परिवारों ने हिस्सा लिया है और इसकी व्यवस्था समाज के प्राण महिला मंडल द्वारा बहुत ही अच्छे से कार्य को संभाला हुआ है। सभी तपस्वियो की हम सब समाज के पदाधिकारी बहुत बहुत अनुमोदना करते हैं ।
तीसरे दिन “सामायिक दिवस” पर उपसिका मंजू सेठिया एवं जयंती सिंघी ने सामायिक का प्रयोग करवाया (वैशाली नगर)
पर्युषन पर्वाराधना के तीसरे दिन सामायिक दिवस के दिन प्रवक्ता उपासिका मंजू जी सेठिया एवं सहयोगी उपासिका जयंती सिंघी ने प्रातः कालीन प्रवचन के दौरान अभिनव सामायिक का प्रयोग करवाया ।अभिनव सामायिक में त्रिगुप्ति की साधना, लोग्गस्स का कायोत्सर्ग, जप, ध्यान एवं स्वाध्याय के प्रयोग करवाये साथ ही सामायिक के महत्व के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सामायिक में सर्व सावद्य योगों का त्याग किया जाता है। दो करण तीन योगों का त्याग कर 32 सामायिक के दोषों को टाल कर की जाने वाली सामायिक शुद्ध होती है अतः हमें प्रतिदिन सामायिक करनी चाहिए। जब गौतम ने भगवान से पूछा कि
सामाइएणं भंते जीवे किं जणयइ!
भगवान महावीर ने उत्तर दिया
सामाइएणं सव्वसावज्जजोग विरइं जणयइ!
हमें ऐसी सामयिक करनी चाहिए, जिससे समता की साधना हो। सिर्फ आसान बिछाकर मुंहपती लगाकर और उसमें हम बैठकर इधर-उधर की बातें करें तो वह सामायिक सामायिक नहीं होती है। अगर हम एक सामयिक करें तो उसका प्रभाव पूरे दिन भर रहे यानी की समता की साधना पूरे दिन चलती रहे। समता का अर्थ होता है बाहरी विषयों से निवृत होकर अपने आप में रम जाना, अपनी आत्मा में रम जाना । सामायिक का महत्व बताते हुए कहा गया कि एक लाख वर्षों तक एक लाख खंडी सोना दान देने पर भी सामायिक की कीमत नहीं चुकाई जा सकती। सामायिक अमूल्य है 6 खंड का पूरा राज्य देकर भी या राजा श्रेणिक अपना पुरा राज्य देकर भी अपनी नरक का आयुष्य टालने के लिए एक पुणिया श्रावक की सामायिक नहीं खरीद सका ।
भगवान महावीर के भवों का वर्णन करते हुए बताया गया कि 25 वें भव में भगवान महावीर का जीव छत्रा नाम की नगरी में विजय राजकुमार के नाम से उत्पन्न हुआ। राज्याभिषेक होने के बाद उसने 24 लाख वर्षों तक राज काज संभाला और फिर एक लाख वर्ष के संयम पर्याय अवस्था में एक 11 लाख से अधिक मासखमण किये ।अर्हत भक्ति के कारण नंदन मुनि ने तीर्थंकर नामकरण की प्रकृति का उपार्जन किया।
भगवान ऋषभ के जीवन के बारे में बताते हुए आज भारत बाहुबली युद्ध प्रकरण के बारे में बताया गया तथा उसके बाद जब बाहुबली ने दीक्षा ग्रहण की और उनके मन में यह अभिमान आ गया कि अपने छोटे भाइयों के पास कैसे जाऊं उन्हें वंदना कैसे करूं तब उनकी बहनों ब्राह्मी और सुंदरी ने उन्हें प्रतिबोध दिया और उनका अभिमान टूटा और वे सिद्ध बुद्ध मुक्त बन गए। भगवान ऋषभ भी अपना संयम पर्याय पूर्ण करके सिद्ध बुद्ध मुक्त बने।
सायंकालीन प्रतिक्रमण का समय 6:30 से 7.30 है और उसके बाद में 8:30 से प्रतिदिन प्रवचन भी होता है। कल के प्रवचन में आचार्य श्री कालूगणी के बारे में बताया गया था।