हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ) , 5 सितम्बर। आपका पैसा आपके लिए कभी सुरक्षा कवच नहीं बन सकता। धर्म ही आपको सुरक्षा बेल्ट प्रदान करेगा। जिस नगरी में धर्म ध्यान व तप त्याग ज्यादा होता है उसका भाग्य सवाया होता है। हमारा धर्म केवल संवत्सरी या चातुर्मास तक सीमित नहीं होना चाहिए। ये सब भले बीत जाए पर धर्म आराधना निरन्तर जारी रहनी चाहिए। जो धर्म का त्याग कर देता है उसके जीवन में कुछ नहीं बचता है इसलिए धर्म का आलंबन कभी नहीं छोड़े। जब तक धर्म से जुड़े रहेंगे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में अष्ट दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पांचवे दिन गुरूवार को धर्मसभा में अंतगड़ दशांग सूत्र के अध्यायों का विवेचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पर्युषण महापर्व जीवन में विनम्रता व क्षमाभाव रखने का संदेश देता है।
जो झुकता है उसे आशीर्वाद अवश्य मिलता है। सामने वाले की अकड़ भले कम नहीं हो पर अपने हाथों में प्लास्टर बांध कर नहीं रखे ओर विनयभाव दिखाते हुए आशीर्वाद प्राप्त करे। जितनी मंगलभावनाएं देते रहेंगे उतना अपना भी मंगल होगा। मुनिश्री ने कहा कि विनम्रता व सेवा भाव की यहीं मिसाल जैन समाज में श्रमण संघ ने कायम की है। श्रमण जैसी उदार भावना अन्यत्र मिलना कठिन है। इस संघ के महापुरूषों ने हमेशा देते रहने ओर समभाव रखने की प्रेरणा दी जिस पर संघ आज भी बिना किसी भेदभाव के चल रहा है।
श्रमण संघ के श्रावक-श्राविकाएं उनके क्षेत्र में आने वाले हर संघ के साधु साध्वियों की हर तरह की सेवा समान रूप से करते है ओर श्रमण संघ के स्थानक भी सभी को समान रूप से समर्पित है।श्रमण संघ एक ऐसे हंस के समाने है जिसके पंख सबको आश्रय देने वाले होते है भले ही उनमें से कोई उन पंखों को ही कुतरने का प्रयास करे।
कठिन पलों में जो हमारा सहारा बने उनको बर्बाद करने का प्रयास कभी नहीं करना चाहिए। धर्मसभा के शुरू में पूर्व गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. द्वारा अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन किया गया। उन्होंने भजन ‘‘आ पर्व मना ले मेरे मन क्षमा का ये पर्व सुहाना है’’ की प्रस्तुति दी। दोपहर में सिद्ध आराधना प्रेरणा कुशल भवान्त मुनिजी म.सा. ने कराई।
नाटिका के माध्यम से भगवान महावीर जन्मोत्सव की छाई खुशियां
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में भगवान महावीर स्वामी का जन्मोत्सव उल्लास के माहौल में मनाया गया। महावीर जन्म प्रसंग से जुड़ी नाटिका की प्रस्तुति चंदनबाला बहु मण्डल द्वारा दी गई। इसमें बताया गया कि किस तरह भगवान महावीर के जन्म से पहले माता त्रिशला को 14 स्वप्न आते है। उन स्वप्न का फलितार्थ जानते ही खुशी का माहौल बन जाता है।
भगवान महावीर जन्म होते ही कुण्डलपुर में खुशियां ही खुशियां छा जाती है। भगवान महावीर का जन्म होते ही बजे बधाईयां दी गई। श्रावक-श्राविकाएं महावीर भक्ति के रंग में डूब गए। राजसी पालने में भगवान महावीर को झूला झुलाने की होड लग गई। मुनिश्री ने नाटिका प्रस्तुति के लिए श्राविकाओं के प्रति मंगलभावना व्यक्त की।
पर्युषण में प्रवाहित हो रही तपस्याओं की अविरल धारा
पर्वाधिराज पर्युषण पर्व में तप त्याग की गंगा निरन्तर प्रवाहित हो रही है। कई श्रावक-श्राविकाएं अठाई तप की दिशा में गतिमान है। अनुमोदना के जयकारो की गूंज के बीच पूज्य समकितमुनिजी म.सा.के मुखारबिंद से सुश्राविका शकुन्तला बोहरा एवं वर्षा खिंवेसरा ने आठ-आठ उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने छह, पांच,चार,तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल व एकासन के प्रत्याख्यान भी लिए। मुनिश्री ने तपस्वियों के लिए मंगलभावनाएं व्यक्त की। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद संघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया।
पांच दिवसीय सह जोड़ा सेफ्टी बेल्ट विधान 13 सितम्बर से
चातुर्मासिक आयोजनों के तहत 13 से 17 सितम्बर तक पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में सेफ्टी बेल्ट विधान होगा। इसमें श्रावक-श्राविका सह जोड़ा शामिल होंगे। यह जोड़ा पति-पत्नी, भाई-बहन, पिता-पुत्री,मां-बेटे किसी भी रूप में हो सकता है। इसमें पांच दिन सुबह 9 बजे से सुरक्षा बेल्ट तैयार करने का विधान कराया जाएगा।
चातुर्मास में 19 से 22 सितम्बर तक भगवान कृष्ण-सुदामा की मित्रता व जीवन से जुड़ी चार दिवसीय विशेष प्रवचनमाला होगी। इसी तरह 29 सितम्बर को व्रति श्रावक दीक्षा समारोह होगा। इसमें श्रावक-श्राविकाएं 12 व्रत में से न्यूनतम एक व्रत की दीक्षा ग्रहण करेंगे।
चातुर्मास में 2 अक्टूबर को सवा लाख लोगस्स की महाआराधना होगी। आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इस अवसर पर अखिल भारतीय स्तर पर 11 हजार 111 आयम्बिल तप करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए हैदराबाद से बाहर रहने वाले श्रावक-श्राविकाओं के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया गया है।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627