हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 6 सितम्बर। एक दुर्योधन के कारण महाभारत हो गई थी अभी स्थिति देखे तो दुर्योधनों की लाइन लगी हुई है। रेप की बढ़ती घटनाएं इस बात का प्रतीक है। समाज की गलत व्यवस्थाएं दुर्योधन को बढ़ावा देती है। जहां परिवार व समाज का डर खत्म हो जाता है वहां दुर्योधन बनने की तैयारी शुरू हो जाती है। समाज से बहिष्कृत होने का डर गलत कार्य करने से रोकता है इसलिए समाज का डर होना जरूरी है। कई बार समाज के बड़े लोगों का संरक्षण मिल जाने से भी व्यक्ति गलत कार्य करना शुरू कर देता है। वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में बच्चों के मन से शिक्षक से लेकर परिवार के वरिष्ठजनों तक का डर खत्म हो रहा है।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में अष्ट दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के छठे दिन शुक्रवार को धर्मसभा में अंतगड़ दशांग सूत्र के छठे वर्ग के अध्यायों का विवेचन करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने किसी के प्रति दुर्भावना रखने से बचने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हम स्वयं को कितना भी श्रेष्ठ मान ले पर श्रेष्ठिपना तभी कायम रहता जब दिल में सबके प्रति मंगलभावनाएं होती है। एक जने के लिए दुर्भावना भी मोक्ष से वंचित कर सकती है तो पता नहीं हमारे दिलों में कितनो के प्रति दुर्भावनाएं है। केवल त्याग तपस्या में श्रेष्ठ होने से कार्य नहीं चलेगा मन से वैर वैमेनस्य व नफरत की भावना भी मिटानी होगी। पर्युषण पर्व सबके प्रति मन के मैल मिटा सद्भावना रखने की प्रेरणा देता है।
मुनिश्री ने कहा कि दुर्जन के प्रति नफरत तो समझ में आती है पर कई बार लोग संतों से भी नफरत क्यों करते है यह समझ में नहीं आता। हम कितनी भी त्याग तपस्या कर ले मन में दुर्भावना रहने तक संसार नहीं छूटने वाला है। हम स्वयं को श्रावक मानते है तो अपने दिल के दरवाजे सबके लिए खुले रखे। धन से नहीं मन से अमीर होने पर ही श्रावक बन पाएंगे। श्रावक बनो तो सुदर्शन श्रावक जैसे बनो जो प्रभु दर्शन के लिए हर खतरा उठाने को तैयार हो जाता है।
धर्म के ठेकेदार नहीं उपासक बनो
प्रज्ञामहर्षि डॉ.समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि हमे धर्म का ठेकेदार नहीं उपासक बनने की जरूरत है। जो ठेकेदार होता है वह कहता मैं धर्म की रक्षा कर रहा हूं ओर जो उपासक होता है वह कहता धर्म मेरी रक्षा कर रहा है। हम जिन्हें पसंद करते है उनकी कमिया नजर नहीं आती ओर जिन्हें नापसंद करते है उनकी अच्छाईयां नहीं दिखती है।
इस दुनिया में लोग दुर्जन से डरते है ओर सज्जन को परेशान करते है। अर्जुन माली जब तक दुर्जन था लोग उससे डरते थे लेकिन प्रभु महावीर की अमृत वाणी सुनने के बाद वह संत बन गया तो लोग उसे ही परेशान करने लगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में भी ऐसे ही हाल है ईमानदार परेशान है ओर बेईमान मौज कर रहे है। समाज में भी काम करने को कोई तैयार नहीं होता ओर कोई करता है तो उसमें कमियां निकालने वाले कई मिल जाते है।
हमेशा सज्जनता ओर सहनशीलता की ही परीक्षा होती है लेकिन उससे नहीं घबराएं क्योकि उसमें जो पास हो जाते है उनका कल्याण हो जाता है। धर्मसभा के शुरू में पूर्व गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. द्वारा अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन किया गया। उन्होंने भजन ‘‘मनवा पर्व आराधना करना’ की प्रस्तुति दी। दोपहर में सिद्ध आराधना प्रेरणा कुशल भवान्त मुनिजी म.सा. ने कराई।
पर्युषण में लग रहा त्याग तपस्याओं का ठाठ
पर्वाधिराज पर्युषण पर्व में तप त्याग का ठाठ लगा हुआ है। कई श्रावक-श्राविकाएं अठाई तप की दिशा में गतिमान है। अनुमोदना के जयकारो की गूंज के बीच पूज्य समकितमुनिजी म.सा.के मुखारबिंद से सुश्राविका शकुन्तला बोहरा,वर्षा खिंवेसरा एवं श्रेष्ठा पीपाड़ा ने 9-9 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने छह, पांच,चार,तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल व एकासन के प्रत्याख्यान भी लिए। समकितमुनिजी ने तपस्वियों के लिए मंगलभावनाएं व्यक्त करते हुए बताया कि प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. की प्रेरणा से पर्युषण में करीब 200 एकासन तप की अठाई गतिमान है। करीब 25 तपस्वी उपवास की अठाई की दिशा में बढ़ चुके है। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद संघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627