सोमवार से शीतल मुनि जी का एक माह का मौन प्रारंभ, साधकों के यहां पहुंचकर मांगलिक पाठ देंगे …. मोहनीय कर्म सब कर्मों का राजा लेकिन….. – शीतल राज मसा

सोमवार से शीतल मुनि जी का एक माह का मौन प्रारंभ, साधकों के यहां पहुंचकर मांगलिक पाठ देंगे …. मोहनीय कर्म सब कर्मों का राजा लेकिन….. – शीतल राज मसा

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 20 सितंबर। स्थानीय पुजारी पार्क स्थित मानस भवन में आज अपने दो माह के नियमित प्रवचन को पूरा करने वाले मुनिश्री शीतल राज मसा ने कहा मोहनीय कर्म सब कर्मों का राजा है । मोहनीय कर्म प्रिय, अप्रिय, गुस्सा, अभिमान, कपट, लोभ आदि इसके जनक है । मोहनीय कर्म क्रोध, मान, माया, लोभ दर्शनीय मोहनीय, चरित्र मोहनीय इत्यादि है ।

आत्मा हित अहित का भान भूलकर संसार में मोहित आसक्त हो जाए यही वह कर्म है। मोक्ष जाने नहीं देते वे अघाति कर्म है, घाति कर्म जीव को केवली बनने से रोकता है एवं अघाति कर्म सिद्ध बनने से रोकता है ।

विनय विवेक पर बोलते हुए मुनि श्री ने कहा विनय आत्मा का निज स्वभाव है, विनय धर्म तथा न्याय नीति की ओर ले जाता है । विनय धर्म तथा ज्ञान दोनों का मूल्य है। उपाध्याय जी 32 आगम शास्त्रों के ज्ञाता थे । साधु साध्वियों को ज्ञान देते हैं।

मुनि श्री ने कहा जिनके द्वारा कर्म पुद्गल आत्मा के साथ चिपकने को आते हैं उसे आश्रव कहते हैं । आश्रव से कर्मों का निरंतर संचय होता है। आश्रव के बीस भेद हैं वहीं क्रोध, मान, माया, लोभ आत्मा में निरंतर कर्मों की आवागमन को कषाय कहते हैं। कषाय आत्म गुणो को मलिन कर देते हैं । मन, वचन, काया की प्रवृत्ति एवं हलचल को योग कहते हैं । अच्छा कार्यों में वनस्पति का उल्लेख करते हुए मुनि श्री ने कहा वनस्पति के में दो भेद हैं पहली साधारण दूसरा प्रत्येक, प्रत्येक वनस्पति में एक शरीर में एक जीव तथा साधारण वनस्पति के में एक शरीर में अनंत जीव होते हैं। नव तत्व जीव अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव संवर, निर्जरा, बन्ध एवं मोक्ष में समाया हुआ है । शरीर में इंद्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बोलते हुए कहा संसारी जीवो के ज्ञान प्राप्ति के साधन को इंद्रियां कहते हैं।

भगवान महावीर स्वामी की वाणी को साधक जीवन में उतारे। जीवन में समता भाव लाना जरूरी है। सामायिक स्वाध्याय करने पचखान लेने में अनुशासन का ध्यान रखें। कोई भी कार्य और विवेक पूर्ण न करें । विनय विवेक का पूरे मन से उपयोग करें । केवल सुनने से काम नहीं चलेगा मन में भी उतारो ।

उन्होंने कहा 23 एवं 24 सितंबर को भगवान महावीर की अनुवाणी अनुशासन में बैठकर सुने, जीवन में पाप घटाने का प्रयास करें । दया, प्रतिक्रमण, संवर, तप, तपस्या करें। सुश्राविका डॉ प्रणिता सेठिया रविवार 22 सितंबर को जैन तत्व परिचय के माध्यम से प्रश्नोत्तरी के कक्षाएं सामान्य ज्ञान हेतु लेंगी । विभिन्न बिंदुओं पर ज्ञान वर्धक चर्चाओं का आदान-प्रदान होगा । आज भी तप तपस्या संवर, दया करने की संख्या काफी रही । सभी ने पचकान लिया ।

आज दोपहर में टैगोर नगर निवासी यशवंत कोटेचा, डॉक्टर पंकज कोटेचा के यहां शीतल मुनी का मंगल पाठ मांगलिक हुवा। रविवार 22 सितंबर को शानदार ज्ञानवर्धक चर्चाओं का आदान प्रदान होगा। आज भी तप तपस्या संमर दया करने की संख्या काफी रही । सभी ने पचखान लिया । रविवार 22 सितंबर को शानदार ज्ञानवर्धक चर्चाओं के माध्यम से डॉक्टर प्रणिता की प्रस्तुति में भाग लेने महिलाओं बच्चों की उत्सुकता देखी जा रही है। सोमवार से शीतल मुनि जी का मौन प्रारंभ हो रहा है। लगभग एक माह रहेगा । इस बीच में साधकों के यहां पहुंचकर मांगलिक पाठ देंगे ।

Chhattisgarh