हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 21 सितम्बर। द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण कर्मो के मारे अपने निर्धन मित्र सुदामा का परिचय देने में फक्र महसूस करते है लेकिन हम अक्सर अपने उन परिवारजनों व रिश्तेदारों का परिचय देने से कतराते है जिन्हें हम अपने बराबर का नहीं मानते या लगता है उनका परिचय देने से हमारा रूतबा कम हो जाएगा चाहे वह हमारे माता-पिता ही क्यों न हो। अपनों को अपना कहने में संकोच व शर्म कैसी भले ही उनकी स्थिति कैसी भी हो। जिसे किस्मत छोड़ दे उनका तुम दामन थाम लो जिंदगी के श्रीकृष्ण बन जाओंगे।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में शनिवार को चार दिवसीय विशेष प्रवचनमाला श्रीकृष्ण-सुदामा चारित्र के तीसरे दिन व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि अमीर वह नहीं जिसकी तिजौरियां नोटो से भरी है बल्कि अमीर तो वह है जिसकी जिंदगी मोहब्बत से भरी है। ऐसा अमीरपना जीवन में जिसके होता वह राजा का भी राजा होता है। अमीर वहीं होता है जो किसी के काम आता है। हमारी दौलत किसी जरूरतमंद के काम नहीं आ सके तो हम निर्धन ही है। मुनिश्री ने कहा कि श्रीकृष्ण सुदामा चारित्र वाचन का उद्ेश्य मन में सेवा की भावना जागृत करना है।
जब हमे स्वयं अपनी गलती का अहसास हो जाता है तो उसे दोहराना बंद हो जाता है पर ऐसा नहीं होने पर गलती पर गलती करते जाते है। जब तक यह सिस्टम चलेगा चेहरे भले बदल जाए पर व्यवस्था नहीं बदलेगी। हर दो-तीन साल में मुखोटे चेंज होने से माहौल नहीं बदलता इसके लिए सिस्टम में बदलाव लाना होगा। जिसमें व्यवस्था बदलने का सामर्थ्य रहता वहीं जिनशासन के अंदर होता है।
जब ऐसा होने लगे तो समझ लेना जीवन सार्थक हो रहा है
प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी ने कहा कि जिस दिन माता-पिता व गुरू से पूछ लेंगेे आपकी क्या सेवा करू उस दिन आपका जन्म सार्थक हो जाएगा। जितना ध्यान संतान का रखते है उसका दस प्रतिशत भी संत का ध्यान रख लेंगे तो जीवन सार्थक हो जाएगा। जब आपके हिस्से की रोटी किसी ओर का पेट भरने लग जाए तब समझ लेना जीवन सार्थक हो रहा है। जब आपके हिस्से की संपति जिनशासन के काम आए समझना जीवन सार्थक हो गया।
जिनशासन की सेवा करने वालों की सेवा का मन हो जाए तो भी जीवन सार्थक बन जाएगा। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘आकर गुरू दर पर मेरी बदली चितधारा’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में चैन्नई,पूना,भीलवाड़ा, बिजयनगर,जोधपुर आदि क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविका भी मौजूद थे।
समकितमुनिजी से चैन्नई चातुर्मास की विनती लेकर पहुंचा श्रीसंघ
धर्मसभा में चैन्नई व उसके विभिन्न उपसंघों से पधारे श्रीसंघों के प्रतिनिधियों ने समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा से आगामी चातुर्मास चैन्नई में करने की विनती प्रस्तुत की। पूज्य समकितमुनिजी ने सबके प्रति मंगलभावना व्यक्त करने के साथ आगामी चातुर्मास चैन्नई में ही करने की भावना जताते हुए कहा कि वर्ष 2017 के चातुर्मास में वहां जो त्याग तपस्या का माहौल बना अब तक नहीं भूल पाए है।
श्रीसंघ लेकर पधारने वालों में शामिल चैनराजजी दुग्गड़,राजेशजी दुग्गड़, उत्तमचंदजी दुग्गड़, अशोककुमारजी दुग्गड़ आदि का ग्रेटर हैदराबाद संघ की ओर से स्वागत-सम्मान किया गया। चैन्नई से आई श्राविकाओं ने भजन की प्रस्तुति दी। भीलवाड़ा से पधारे सुश्रावक प्रकाशचन्द्र बाबेल ने भी भजन प्रस्तुत किया। पूना के कोथरूड संघ के ईश्वरलाल भटेवरा ने बताया कि समकितमुनिजी म.सा. की प्रेरणा से संघ द्वारा माह में छह दिन अन्नप्रसादम सेवा व स्वधर्मी बंधुओं के लिए नियमित भोजनशाला की व्यवस्था शुरू की है।
छह घंटे तक मंगलकारी उवसग्गर स्रोत की आराधना कल
चातुर्मास में भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में रविवार 22 सितम्बर को सुबह 11 बजे से छह घंटे तक मंगलकारी उवसग्गर स्रोत की आराधना की जाएगी। आराधना में हर घंटे कम से कम 27 श्रावक-श्राविका अवश्य मौजूद रहेंगे। कर्म विज्ञान समझाने की दृष्टि से सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला एकाउन्ट ऑफ कर्म 23 से 29 सितम्बर तक होगी। इसी तरह 29 सितम्बर को व्रति श्रावक दीक्षा समारोह होगा।
इसमें श्रावक-श्राविकाएं 12 व्रत में से न्यूनतम एक व्रत की दीक्षा ग्रहण करेंगे। चातुर्मास में 2 अक्टूबर को सवा लाख लोगस्स की महाआराधना होगी। आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627