रायपुर(अमर छत्तीसगढ) श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में गतिमान चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर जी व मुनिश्री नरेश कुमार के सान्निध्य में आज दिनांक 03/10/2024 को नवरात्रि के शुभ अवसर पर “नवाह्रिक आध्यात्मिक अनुष्ठान” का आयोजन नियमित प्रवचन श्रृंखला आधारित विघ्न हरण की ढाल के साथ जय समवशरण में किया गया।
मुनि सुधाकर जी ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को बोधित करते हुए कहा कि नवरात्रि के नौ दिनों का जैन धर्म में भी विशेष महत्व है। नवरात्रि शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम समय है।
उन्होंने ने ध्यान आकर्षित किया कि जैन धर्म के प्रत्येक तीर्थंकर भगवान की अपनी अधिष्ठायक देवीयां है जो इसकी महत्ता को परिभाषित करती है। जैन धर्म में मंत्रों का अपना विशेष महत्व है और मंत्रों की साधना से सिद्धि व शक्ति प्राप्त कि जा सकती है। जो कार्य साधन से नहीं हो सकता व साधना से साधा जा सकता है।
रामायण में भी भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले शक्ति की उपासना की थी जिसके प्रतिक स्वरूप हम विजयादशमी मनाते हैं। मुनिश्री ने कई उदाहरणों से मंत्रों की शक्ति को समझाया।
मुनिश्री नरेश कुमार जी ने नवाह्रिक आध्यात्मिक अनुष्ठान अंतर्गत मंत्रों का उच्चारण कराते हुए अनुष्ठान करवाया।