जिंदगी की डोर तोड़ रहा टूटे खिलौनों को जोड़ने वाला सुलेशन…. युवाओं में तेजी से बढ़ रही सस्ते नशे की लत…

जिंदगी की डोर तोड़ रहा टूटे खिलौनों को जोड़ने वाला सुलेशन…. युवाओं में तेजी से बढ़ रही सस्ते नशे की लत…

रायगढ़(अमर छत्तीसगढ) 20 अक्टूबर ।: खिलौनों से खेलने की उम्र में उसी को जोड़ने में काम आने वाला केमिकल बच्चों और किशोरों के जीवन की डोर तोड़ रहा है। इस सस्ते और घातक नशे की गिरफ्त में अधिकतर कूड़ा चुनने वाले हैं। स्थिति इस कदर भयावह हो चली है कि इस वर्ग के बच्चे हर टोले, मोहल्ले व चौक, चौराहे पर रूमाल या प्लास्टिक में केमिकल छिड़क उसे सूंघते दिखने लगे हैं।

स्टेशनरी से लेकर किराना दुकान, साइकिल दुकान और गुमटी चलाने वाले व्यवसाई चंद रुपयों की लालच में किसी को सुलेशन बेच दे रहे हैं। कम से कम 10 रूपये और अधिक से अधिक 50 रूपये में नशे का यह साधन उपलब्ध है। दुकानदार की मानें तो यह सुलेशन प्लास्टिक के सामान व टूटे-फूटे पार्ट पूर्जे को जोड़ने के साथ कागज चिपकाने में काम आता है। वाहनों के ट्यूब पंक्चर बनाने में भी इसका प्रयोग होता है।

इस तरह होता है इस्तेमाल : संबंधित केमिकल के एक पैकेट को खरीद कर कहीं अकेले में बैठ कर प्लास्टिक की पन्नी पर उसे पहले निचोड़ देते हैं। उसके बाद हथेली में बंद कर नाक के पास ले जाकर सांस खींचते हैं। पांच मिनट बाद उन पर नशा हावी होने लगता है। नशे का प्रभाव चार से पांच घंटे तक रहता है। इस तरह दिन में दो बार और कभी कभी शाम में भी इसकी एक डोज लेते हैं। यह नशा शरीर को सुन्न कर देता है।

जिसको लेकर जब मीडिया कर्मी के द्वारा मामले पर थाना प्रभारी सिटी कोतवाली सुखनंदन पटेल से बात की तब थाना प्रभारी ने साफ साफ कह दिया कि मैं इस मामले में बाइट नहीं दूंगा परंतु ऐसे बच्चे दिखने पर कार्यवाही जरूर करूंगा पर देखा जाए तो कार्यवाही करनी तो दूर की बात है करनी होती तो सूचना की क्या आवश्यकता है वह खुद भी दुकानों की जांच कर सुलेशन पाए जाने पर भी कार्यवाही कर सकते है। इससे यह बात साबित होती है पुलिस कितनी लापरवाह है।

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