कवर्धा(अमर छत्तीसगढ), 29 नबम्बर 2024।कबीरधाम जिले में बाल विवाह जैसी कुप्रथा के उन्मूलन के लिए प्रशासन और समाज के संयुक्त प्रयास से जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई है। छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव के निर्देश पर जिला कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा के नेतृत्व में यह अभियान संचालित हो रहा है।
जिले के हर ग्राम पंचायत, स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थलों पर बाल विवाह रोकथाम के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत जिले की सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन किया गया।
इन सभाओं में उपस्थित ग्रामीणों, समाज प्रमुखों, पंचायत प्रतिनिधियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बाल विवाह के दुष्परिणामों को समझा और इसे समाप्त करने का सामूहिक संकल्प लिया।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने जानकारी दी कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत 18 वर्ष से कम आयु की बालिका और 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह कानूनन अपराध है। इस कानून के उल्लंघन पर 2 साल की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
बाल विवाह के दुष्प्रभावों पर जागरूकत
महिला एवं बाल विकास विभाग की मिशन वात्सल्य टीम ने जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए बताया कि बाल विवाह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करता है। यह बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
बाल विवाह रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1098 को सक्रिय किया गया है। कोई भी नागरिक इस कुप्रथा की जानकारी देकर इसे रोकने में प्रशासन का सहयोग कर सकता है।
सामाजिक जागरूकता का विस्तार
जिला प्रशासन ने बाल विवाह रोकथाम के लिए समाज के हर वर्ग से सहयोग मांगा है। इसमें पंचायत प्रतिनिधियों, स्कूल-कॉलेज के शिक्षक, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वयंसेवी संगठनों को भी सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
बाल विवाह मुक्त भारत का सपना
कबीरधाम जिले में बाल विवाह के खिलाफ यह जागरूकता अभियान समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहा है। ग्राम पंचायतों में सामूहिक शपथ और जागरूकता कार्यक्रम इस अभियान को मजबूती दे रहे हैं। समाज और प्रशासन के इस संयुक्त प्रयास से बाल विवाह मुक्त भारत का सपना साकार होने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।