पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाला…. अधिवक्ता प्रशांत तिवारी ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर उठाए गंभीर सवाल

पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाला…. अधिवक्ता प्रशांत तिवारी ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर उठाए गंभीर सवाल

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 25 दिसम्बर। पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाले ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल मचा दी है। इस मामले में गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं कि राज्य के उच्च पुलिस अधिकारियों और भाजपा सरकार के संरक्षण में यह घोटाला हुआ है। घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कुछ अभ्यर्थियों ने दावा किया कि वे भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थे, लेकिन फिर भी उन्हें चयन सूची में शामिल कर लिया गया था।

इसके बाद यह आरोप भी सामने आए कि कई चयनित अभ्यर्थियों के नाम बिना किसी वैध प्रक्रिया के भर्ती सूची में डाले गए, जिससे भर्ती की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न उठने लगे। यह स्थिति छत्तीसगढ़ की पुलिस भर्ती प्रक्रिया को शर्मसार करती है और युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ करने का संकेत देती है।


राज्य में इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार और पुलिस विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत तिवारी ने इस मामले में राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए।

उनका कहना है कि चूंकि पुलिस के ही अधिकारी इस घोटाले में आरोपी हैं, ऐसे में राज्य पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना व्यर्थ है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है, ताकि एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो सके और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके।

उनका मानना है कि यदि राज्य पुलिस ही इस मामले की जांच करेगी, तो उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल होगा, जिनके बारे में आरोप हैं कि वे घोटाले में शामिल हैं। सीबीआई जांच से ही इस घोटाले की सच्चाई सामने आ सकती है और न्याय मिल सकता है।

प्रशांत तिवारी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने इस घोटाले को दबाने की कोशिश की और उच्च पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। इससे यह भी संदेह पैदा होता है कि राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।

विपक्ष ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक इस मामले की सीबीआई जांच नहीं होती, तब तक राज्य में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

सीबीआई जांच से यह सुनिश्चित होगा कि सभी आरोपी सामने आएंगे और उन्हें सजा मिलेगी, जिससे युवाओं का विश्वास पुलिस और भर्ती प्रक्रियाओं पर फिर से बहाल हो सकेगा। 

राज्य की पुलिस भर्ती प्रक्रिया को लेकर आ रहे इन सवालों ने पूरे प्रदेश में असंतोष और गुस्से की लहर पैदा कर दी है। योग्य युवाओं को अवसर नहीं मिलने और भ्रष्टाचार के कारण उनका भविष्य खराब होने का खतरा उत्पन्न हुआ है।

यह घोटाला छत्तीसगढ़ के नागरिकों और खासकर उन युवाओं के लिए एक बड़ा झटका है, जो सरकारी नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। अगर इस घोटाले पर सही समय पर कार्यवाही नहीं की जाती है, तो यह छत्तीसगढ़ में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर देगा। 

इस घोटाले में पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता और भाजपा सरकार का संरक्षण इसे और भी जटिल बना रहा है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस मामले में किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या वह सीबीआई जांच को मंजूरी देती है या नहीं। यदि इस मामले में जल्द ही निष्पक्ष और पारदर्शी जांच नहीं होती है, तो छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को गंभीर धक्का लग सकता है, और युवाओं में

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